जनवरी के पहले सप्ताह आ रहे हैं ये त्योहार, जानें कब है गुरु गोविंद सिंह जयंती और एकादशी का व्रत
नववर्ष 2020 का आगमन जल्द ही होने वाला है और नए साल की शुरूआत के साथ ही व्रत एवं त्योहार एक बार फिर से आने वाले हैं। नए साल के दूसरे दिन यानी 2 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती आ रही है और 6 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत है। गुरु गोविंद सिंह जयंती सिख धर्म के लोगों का सबसे बड़ा पर्व है। इस दिन गुरुद्वारों में खासा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है और लोग गुरुद्वारे आकर अपना मथा जरूर टेकते हैं।
गुरु गोविंद सिंह जयंती 2020
गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म के 10 वें और अंतिम गुरु हैं, जो कि गुरु तेगबहादुर के पुत्र थे। इनका जन्म 22 दिसंबर 1666 को पटना में हुआ था। सिख धर्म के लोग गुरु गोबिंद सिंह जयंती को हर वर्ष धूम-धाम से मनाते हैं। इस दिन गुरुद्वारों में कीर्तन का आयोजन किया जाता है और खालसा पंत की झांकियां निकाली जाती हैं। इसके अलावा इस दिन दान करना भी शुभ माना जाता है।
पौष पुत्रदा एकादशी
06 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी आ रही है। ये एकादशी हर साल पौष महीन के शुक्ल पक्ष को आती है। इस एकादशी का व्रत रखने से हर कामना पूर्ण हो जाती है और संतान की प्राप्ति होती है। इसलिए जो लोग संतान चाहते हैं वो 6 जनवरी को पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर रखें।
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु और कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा की जाती है। इस दिन सुबह स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लिया जाता है। पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान का ध्यान किया जाता है। वहीं इनकी पूजा करते हुए इन्हें तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाया जाता है।
कृष्ण जी के बाल रूप की होती है पूजा
पौष पुत्रदा एकादशी के दिन कृष्ण जी के बाल रूप की पूजा जरूर करें। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण जी के बाल रुप की पूजा करने से पुत्र की प्राप्ति हो जाती है। पूजा करने हेतु आप कृष्ण जी की मूर्ति को पंच अमृत से स्नान करवाएं। उसके बाद मूर्ति को नए वस्त्र पहनाएं और झुले पर बैठा दें। कृष्ण जी को मखन का भोग लगाएं और इनके नाम का जाप करें। पूजा के अंत में कृष्ण जी से संतान प्राप्ति की कामना करें। इस व्रत को रखने से नि:संतान दंपत्तियों को संतान सुख मिल जाता है।
रखें इन बातों का ध्यान –
- पुत्रदा एकादशी के दिन बच्चों के साथ बुरा व्यवहार ना करें और उनसे प्यार से ही बात करें।
- इस दिन तुलसी की पूजा जरूर करें और तुलसी के सामने दो दीपक जलाएं। हालांकि पुत्रदा एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ने से बचें। क्योंकि एकादशी के दिन तुलसी का पत्ता तोड़ना शास्त्रों में वर्जित माना गया है और ऐसा करने से पाप चढ़ता है।
- पुत्रदा एकादशी के दिन केवल जमीन पर ही बैठें और सोएं। इस दिन जितना हो सके भगवान का ध्यान करें और विष्णु जी के सभी नामों का जाप करें।
- ये व्रत निर्जला व्रत होता है। इसलिए इस दिन कुछ भी ना खाएं। वहीं अगले दिन स्नान कर खाने की चीजों का दान करें और उसके बाद कुछ मीठा खाकर अपने ये व्रत तोड़ दें।