जानिए क्यों सूर्य और चंद्र ग्रहण लगने पर किया जाता है पवित्र पानी से स्नान
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण को हिंदू धर्म में शुभ नहीं माना गया है और ग्रहण लगने पर लोगों द्वारा कई तरह के नियमों का पालन किया जाता है। शास्त्रों में सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण खत्म होने के बाद पवित्र स्नान करने का जिक्र किया गया है। पंडितों के अनुसार जब भी सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण खत्म हो तो सबसे पहले पवित्र नदी के पानी से स्नान जरूर करें।
ग्रहण खत्म होने के बाद पवित्र नदियों में डूबकी लगाने से एक कथा भी जुड़ी हुई है। ऐसा कहा जाता है कि महाभारत काल के दौरान जब सूर्य ग्रहण लगा था। तब भगवान श्रीकृष्ण जी ने ग्रहण खत्म होते ही पवित्र नदी में डूबकी लगाई थी। महाभारत ग्रंथ के अनुसार सूर्य ग्रहण लगने पर श्री कृष्ण जी ने देवी यशोदा और नंद बाबा के संग कुरुक्षेत्र में पवित्र स्नान किया था। ताकि उनका शरीर पूरी तरह से शुद्ध और पवित्र हो सके। महाभारत ग्रंथ में बताई गई इस घटना से ये बात साफ होती है कि ग्रहण के बाद स्नान करना कितना जरूरी होता है। हालांकि हर बार ये सम्भव नहीं हो पाता है कि हम पवित्र नदी में जाकर डूबकी लगा पाएं। ऐसा होने पर आप नहाने के पानी में थोड़ा सा गंगा जल मिला दें और इस पानी से स्नान कर लें। गंगा जल से स्नान करने से भी ग्रहण का असर आप पर नहीं पड़ता है और आपका शरीर पवित्र हो जाता है।
क्यों किया जाता है ग्रहण के बाद स्नान
पुराणों के अनुसार चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दौरान इनसे निकलने वाली किरणें काफी घातक और अशुभ होती हैं। ग्रहण के दौरान ये किरणें शरीर पर पड़ती हैं और ऐसा होने से शरीर अपवित्र हो जाता है। इसलिए ग्रहण खत्म होने पर स्नान किया जाता है। ताकि शरीर दोबारा से पवित्र हो सके। दरअसल अपवित्र शरीर के साथ किसी भी तरह का धार्मिक कार्य नहीं किया जा सकता है। इसलिए ग्रहण के बाद सबसे पहले अपने आपको पवित्र किया जाता है और शरीर को शुद्ध करने के लिए पवित्र पानी से स्नान किया जाता है।
स्नान के अलावा घर और मंदिर की सफाई भी ग्रहण खत्म होने के बाद की जाती है। क्योंकि ग्रहण के कारण घर और मंदिर भी अपवित्र हो जाते हैं । इनकी सफाई करते समय गंगा जल का छिड़काव जरूर किया जाता है। ताकि ये एकदम शुद्ध हो जाएं।
क्यों किया जाता है ग्रहण से पहले स्नान
शास्त्रों में ग्रहण लगने से पहले भी स्नान करने की बात कही गई है। शास्त्रों के अनुसार ग्रहण लगने से पहले स्नान करते हुए सूर्य देव के मंत्रों का जाप किया जाए। तो सूर्य देव कवच प्रदान करते हैं और ऐसा होने से ग्रहण के दौरान आपका शरीर पवित्र रहता है। इसके अलावा शरीर की रक्षा सूर्य की घातक किरणों से भी होती है।इतना ही नहीं राहु ग्रह का प्रकोप भी आप पर नहीं पड़ता है। इसलिए जब भी ग्रहण लगे तो आप ग्रहण लगने से पहले और इसके खत्म होने के बाद भी पवित्र स्नान जरूर करें।