स्वयं प्रकट हुआ था त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, जानें इस त्रयंबकेश्वर मंदिर से जुड़ी रोचक कथा
त्रयंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र राज्य में स्थित है और ये मंदिर शिव जी भगवान को समर्पित है। इस मंदिर पर शिव भक्तों की काफी आस्था है और हर साल लाखों की संख्या में भक्त यहां आया करते हैं। त्र्यंबकेश्वर मंदिर एक प्राचीन मंदिर है जो कि बेहद ही खूबसूरत पहाड़ियों के बीच में स्थित है। ऐसी मान्यता है कि त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग स्वयं प्रकट हुआ था।
त्रयंबकेश्वर मंदिर के गृभ गृह में एक छोटे से गङ्ढे में तीन छोटे-छोटे लिंग बनें हुए हैं। जो कि ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी का प्रतीक माने जाते हैं। इस मंदिर में आकर लोग इन तीनों लिंगों के दर्शन करते हैं। ये मंदिर बेहद ही सुंदर तरीके से बनाया गया है। ये मंदिर शिव जी के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इस मंदिर को शिव जी के बारह ज्योतिर्लिगों में दसवां स्थान दिया गया है।
त्रयंबकेश्वर की कथा
त्रयंबकेश्वर मंदिर से एक प्राचीन कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार ब्रह्मगिरी पर्वत पर ऋषि गौतम रहा करते थे। जो कि देवी अहिल्या के पति थे। ऋषि गौतम बेहद ही विद्वान थे और हर वक्त तपस्या में लीन रहते थे। ऋषि गौतम से अन्य ऋषि बेहद ही ईर्ष्या करते थे और ऋषि गौतम को किस तरह से नीचा दिखाया जाए इसी की साजिश रचा करते थे।
एक दिन सभी ऋषियों ने मिलकर ऋषि गौतम पर गौ हत्या का आरोप लगा दिया। गौ हत्या का आरोप लगने से ऋषि गौतम बेहद ही दुखी हो गए। गौ हत्या के पाप से बचने के लिए अन्य ऋषियों ने ऋषि गौतम के सामने एक शर्त रखी और उनसे कहा कि वो इस स्थान पर जब गंगा नदी लेकर आएंगे। तभी उन्हें इस पाप से मुक्ति मिलेगी। दरअसल ऋषियों को पता था कि गंगा नदी को यहां लेकर आना असंभव है और इसी कारण से गौ हत्या के पाप के प्रायश्चित का ये समाधान उन्होंने ऋषि गौतम का बताया।
ऋषि गौतम ने अपनी गलती का प्रायश्चित करने हेतु शिव जी की पूजा करना शुरू कर दी और दिन रात केवल शिव जी की तपस्या करने लगे। वहीं ऋषि गौतम की तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी और मां पार्वती जी ने उन्हें दर्शन दिए। जिसके बाद शिव जी और मां पार्वती जी से वरदान मांगते हुए ऋषि गौतम ने उनसे कहा कि वो गंगा नदी को इस स्थान पर भेज दो। शिव जी ने गंगा मां से ऋषि गौतम द्वारा बताए गए स्थान पर रहने को कहा। लेकिन गंगा मां ने शिव जी से कहा कि वो तभी इस स्थान पर रहेंगी। जब स्वयं शिव जी भी यहां पर रहेंगे। गंगा की बात को मानते हुए शिव जी ने इस जगह पर त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के रूप में वास किया। जिसके बाद गंगा नदी गौतमी के रूप में इस जगह पर बहने लगी।
त्रयंबकेश्वर मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी
- त्रयंबकेश्वर मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है और इस मंदिर के पास ही एक तलाब भी है। इस मंदिर में पूजा करने के बाद लोगों द्वारा यहां पर गायों को चारा भी खिलाया जाता है।
- इस मंदिर में स्थित कुशावर्त कुंड में स्नान किया जाता है और उसके बाद भगवान के दर्शन किया जाते हैं।
- सोमवार के दिन इस मंदिर में काफी भीड़ होती है और इस दिन भगवान त्रयंबकेश्वर की पालकी भी निकाली जाती है। ये पालकी मंदिर से लेकर कुशावर्त तक ले जाई जाती है।
- कई लोगों द्वारा सोमवार के दिन भगवान त्रयंबकेश्वर का अभिषेक और महाभिषेक भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान का अभिषेक करने से हर कामना पूरी हो जाती है।
होती है संतान की प्राप्ति
जो लोग भी त्रयंबकेश्वर मंदिर जाते हैं वो गोदावरी नदी में डूबकी भी जरूर लगाते हैं। गोदावरी नदी इस मंदिर से 35 किलोमीटर दूरी स्थित है। समय-समय पर इस नदी के किनारे कई तरह के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि गोदावरी नदी में स्नान करने से संतान प्राप्ति होती है। वहीं गोदावरी नदी के किनारे भी कई सारे मंदिर स्थित है।
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कहां पर है स्थित
त्रयंबकेश्वर मंदिर महाराष्ट्र राज्य के नासिक शहर से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर है। ये मंदिर बेहद ही खूबसूरत जगह पर स्थित है और इस मंदिर के आसपास की खूबसूरती देखते ही बनती हैं। इस मंदिर के आसपास बेहद ही सुंदर पहाड़ हैं जो सदा हरे भरे रहते हैं। नासिक से त्रयंबकेश्वर मंदिर तक का सफर बेहद ही सुंदर है।
कब जाएं
त्रयंबकेश्वर मंदिर जाने का सबसे उत्तम समय सिंतबर से नवंबर और फरवरी से मई के बीच का है। दरअसल इस दौरान यहां पर बारिश नहीं होती है और मौसम भी साफ मिलता है। मॉनसून के समय इस जगह पर आप जाने से बचें। क्योंकि इस दौरान यहां बेहद ही तेज बारिश होती है जिसकी वजह से रास्ते बंद कर दिए जाते हैं।
कैसे जाएं
आप रेल मार्ग के जरिए आसानी से नासिक पहुंच सकते हैं और नासिक से आपको बस या टैक्सी की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। इसके अलावा पुणे और शिरड़ी तक वायु मार्ग से भी पहुंचा जा सकता है। इन जगहों पर पहुंचकर आप यहां से त्रयंबकेश्वर मंदिर जाने के लिए टैक्सी कर सकते हैं।
कहां रहें
त्रयंबकेश्वर मंदिर के पास ही कई सारे होटल और धर्मशालाएं हैं। जहां पर आपको रहने के लिए आसानी से जगह मिल जाएगी। हालांकि शिवरात्रि के दौरान काफी संख्या में भक्त इस जगह पर आते हैं। इसलिए आप पहले से अपनी बुकिंग करवा कर जाएं तो ज्यादा बेहतर होगा। क्योंकि इस दौरान सारे कमरे बुक ही मिलते हैं।
जरुर देखें ये स्थान
त्रयंबकेश्वर मंदिर के अलावा आप शिरड़ी मंदिर, भीमशंकर शिव मंदिर, एलोरा और एलिफेंटा गुफाओं भी जरूर देखने जाएं। ये सभी जगह 200 किलोमीटर के दायरे में हैं। आप पांच दिनों के अंदर इन सभी जगहों को आसानी से धूम सकते हैं।
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