तो इस वजह से सबसे अमीर होने के बावजूद भी गरीब हैं तिरुपति बालाजी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर: तिरुपति बाला जी मंदिर भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ये मंदिर आंध्र प्रदेश राज्य में है और इस मंदिर में हर साल करोड़ों रुपए का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। ये मंदिर भारत के सबसे धनी मंदिरों में गिना जाता है और बाला जी भगवान सबसे धनवान माने जाते हैं। हर रोज हजारों की संख्या में लोग तिरुपति बाला जी मंदिर आती है और तिरुपति बाला जी के दर्शन करते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर तिरुपति बाला जी के दर्शन करने से हर कामना पूरी हो जाती है।
तिरुपति बालाजी मंदिर
तिरुपति बालाजी मंदिर भगवान विष्णु जी का ही एक रुप हैं और तिरुपति बाला जी से एक कथा जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक बार भृगु ऋषि ने ये जानने का प्रयास किया कि तीनों देवों में से कौन से देव सबसे बड़े हैं। ये जानने के लिए भृगु ऋषि सबसे पहले ब्रह्मा जी के पास उनसे मिलने के लिए गए। लेकिन ब्रह्म जी के व्यस्त होने के कारण उन्होंने भृगु ऋषि से मिलने से मनाकर दिया। इसके बाद भृगु ऋषि भगवान शिव जी से मिलने के लिए कैलाश पर्वत गए। लेकिन उनकी मुलाकात शिव भगवान से भी ना हो पाई। जिसकी वजह से भृगु ऋषि को काफी गुस्सा आ गया।
इसके बाद भृगु ऋषि विष्णु जी से मिलने के लिए बैकुंठ चले गए। वहां जाकर उन्होंने पाया कि विष्णु जी शेष शैय्या पर योगनिद्रा में लेटे हुए थे। विष्णु जी को योगनिद्रा में देख भृगु ऋषि और क्रोधित हो गए और उन्होंने क्रोध में आकर भगवान विष्णु की छाती पर लात मार दी। जिससे विष्णु जी की नींद खुल गई। नींद खुलती ही विष्णु जी ने भृगु ऋषि को अपने पास खड़ा पाया और विष्णु जी ने तुरंत भृगु ऋषि के पैरों को पकड़कर उनसे पूछा, ऋषिवर आपके पैर में चोट तो नहीं लगी है। विष्णु जी की ये बात सुनकर भृगु ऋषि का क्रोध एकदम शांत हो गया और उन्होंने अपने क्रोध के लिए विष्णु जी से माफी मांगी। हालांकि भृगु ऋषि द्वारा विष्णु जी को लात मारना मां लक्ष्मी को पसंद नहीं आया और विष्णु जी द्वारा भृगु ऋषि को कोई दंड ना देने से मां लक्ष्मी क्रोधित हो गई। विष्णु जी से क्रोधित होकर मां लक्ष्मी धरती पर आ गई। धरती पर आकर मां लक्ष्मी ने पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिया।
कई समय तक विष्णु जी लक्ष्मी मां की तलाश मेें लगे रहे और जब इन्हें पता चला कि लक्ष्मी मां ने पद्मावती नाम की कन्या के रुप में जन्म लिया है तो विष्णु जी भी एक साधारण व्यक्ति यानी वेंकटेश रुप लेकर धरती पर आ गए। वहीं पद्मावती के बड़े होने पर विष्णु जी ने पद्मावती के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा और पद्मावती ने इस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।
हालांकि पद्मावती के पिता एक राजा थे और विष्णु जी एक साधारण इंसान थे। विष्णु जी के पास इतना धन नहीं था कि वो धूमधाम से विवाह का आयोजन कर सके। पैसों की कमी होने पर विष्णु जी चिंता में पड़ गए।
विवाह के लिए धन जमा करने के लिए विष्णु जी ने कुबेर से मदद मांगी और भगवान शिव और ब्रह्मा जी को साक्षी रखकर कुबेर से काफी धन कर्ज में ले लिया। कर्जा लेते हुए विष्णु जी ने उन्हें वचन दिया की वो कलियुग के अंत तक अपना सारा कर्ज चुका देंगे। कर्ज मिले के बाद इनकी शादी धूमधाम से और भव्य तरीके से की गई।
लोगों द्वारा चढ़ाए जाते हैं पैसे
कुबेर जी से विष्णु जी ने कर्ज लिया गया था। इस कर्ज को चुकाने के लिए लोग तिरुपति बालाजी मंदिर में भगवान को चढ़ावा चढ़ाते हैं। ताकि जल्द से जल्द कुबेर से लिए गए कर्ज को पुरा किया जा सके। भक्त तिरुपति बाला जी मंदिर आकर पैसे, सोने और चांदी की वस्तुएं भगवान को चढ़ाया करते हैं। अगर आकड़ों की मानी जाए तो हर साल इस मंदिर में 1,000 से लेकर 1,200 करोड़ रुपए तक का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। हालांकि इतना चढ़ावा चढ़ाने के बाद भी भगवान तिरुपति जी गरीब माने जाते है। क्योंकि इन्हें कलियुग के अंत तक कर्ज चुकाना है।
तिरुपति बालाजी मंदिर से जुड़ी अन्य जानकारी –
- तिरुपति बालाजी मंदिर में एक छड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि इस छड़ी से ही बाला जी की बचपन में पिटाई हुआ करती थी और एक बार इस छड़ी से पिटाई करते हुए इनको चोट भी आ गई थी। ये छड़ी तिरुपति बाला जी मंदिर के मुख्य द्वार के दरवाजे के दाईं तरफ रखी गई है। इसलिए आप जब भी इस मंदिर में जाए तो इस छड़ी को जरूर देखें।
- तिरुपति बाला जी मंदिर के गर्भगृह में चढ़ाई गई चीजों को बाहर नहीं लाया जाता।
- तिरुपति बालाजी मंदिर में एक जलकुंड स्थित है और इस जलकुंड के पानी से ही तिरुपति बाला जी को स्नान करवाया जाता है। गौर करने की बात ये है कि बाला जी की पीठ सदा गीली ही रहती है और साफ करने के बाद भी नहीं सूखती है।
- बाला जी के वक्षस्थल पर मां लक्ष्मी का प्रतिमा भी रखी गई है।
- इस मंदिर के गर्भगृह में जलने वाली ज्योति कभी भी नहीं बुझती है और हजारों सालों से ये जल रही है।
- तिरुपति बालाजी मंदिर में आकर लोग अपने बाल भी चढ़ाते हैं। दरअसल ऐसी मान्यता है कि बाल चढ़ाने से भी कुबेर भगवान से लिया गया ऋण उतर जाता है।
तिरुपति बालाजी मंदिर का निर्माण
- तिरुपति बालाजी मंदिर को 5वीं शताब्दी के दौरान बनाया गया था।
- ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण करवाने के लिए चोल, होयसल और विजयनगर के राजाओं द्वारा धन राशि दान दी गई थी और इस मंदिर का विकास करवाया गया था।
- 9 वीं शताब्दी में इस मंदिर पर कांचीपुरम के पल्लव शासकों ने अपना अधिक जमा लिया था।
- ये मंदिर 15 वीं शताब्दी के दौरान प्रसद्धि होने लगा था और दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आकर दर्शन करने लग गए थे।
- तिरुपति बाला जी भगवान को वेंकटेश्वर, श्रीनिवास और गोविंदा के नाम से भी जाना जाता हैं।