सगी बहनों का लड़के कभी उड़ाते थे मजाक, आज हेवी लाइसेंस वाहन दौड़ा किया माँ का सिर गर्व से ऊँचा
आज के जमाने में महिलाएं भी हर फिल्ड में ना सिर्फ पुरुषों की बराबरी कर रही अहिं बल्कि उनसे आगे भी निकल रही हैं. हमारे समाज में महिलाओं को लेकर कई तरह की गलत धारणाएं हैं. उनमे से एक ये भी हैं कि महिलाएं पुरुषों वाले काम जैसे कि भारी वाहन चलाना इत्यादि नहीं कर सकती हैं. हालाँकि हरियाणा की दो सगी बहनों ने समाज की इस सोच को भी गलत साबित कर अपनी माँ का नाम रोशन किया हैं. दरअसल इन दिनों रोहतक के एकता कालोनी में रहने वाली बहनें रीना हुड्डा और मीना हुड्डा लोगो के लिए महिला सशक्तिकरण की प्रेरणा बनी हुई हैं.
झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली ये दनो बहने स्कूल के बच्चों को बस से लाने और छोड़ने का काम करती हैं. ये दोनों ही मेक द फ्यूचर ऑफ कंट्री (एमटीएफसी) नाम की एक संस्था का हिस्सा हैं और इसी के तहत स्कूल बस चलाने का काम करती हैं. बच्चों को स्कूल छोड़ने के साथ साथ दोनों इग्नू से मास्टर ऑफ सोशल वर्क की स्टडी भी कर रही हैं.
दोनों बहनों का संघर्ष भी काफी रहा हैं. जब छोटी थी तो पिता का देहांत हो गया था. ऐसे में माँ इंद्रवती ने अकेले ही अपनी दोनों बेटियों और बेटों को पाल पोश बड़ा किया. घर की आर्थिक हालत ठीक नहीं थी ऐसे में भाइयों को कम उम्र में कई जिम्मेदारियां संभालनी पड़ गई. वहीं ने अपनी बेटियों को शिक्षित करने का फैसला लिया. अब चुकी पैसो कि कमी थी तो उनका एडमिशन एमटीएफसी संस्था में कराया गया जिसके बाद दोनों बहनों की लाइफ बदल गई.
इस संस्था में दोनों ने अपनी स्कूल पढ़ाई पूरी की और साथ में स्कूटी, बाइक और कार चलाना भी सिख लिया. इसके बाद सस्न्था के लोगो ने छोटी बहन मीणा को हरियाणा रोडवेज के रोहतक प्रशिक्षण केंद्र पर हैवी व्हीकल लाइसेंस लेने हेतु प्रोत्साहित किया. एक महीने के सफलतापूर्वक प्रशिक्षण पश्चात अप्रैल 2018 में मीना लाइसेंस हासिल कर ऐसा करने वाली रोहतक की प्रथम महिला बन गई.
वहीं बड़ी बहन रीना को रोहतक में 3 महीने का वेटिंग पीरियड होने की वजह से बहादुरगढ़ के प्रशिक्षण केंद्र से हैवी लाइसेंस हेतु आवेदन करना पड़ा. रीना को भी ये लाइसेंस प्राप्त हुआ और वो ऐसा करने वाली बहादुरगढ़ की पहली महिला बन गई. रीना और मीना की इस उपलब्धि पर माँ को गर्व हैं.
रीना बताती हैं कि जब वे बस चलाने का प्रशिक्षण ले रही थी तो उनकी बैच में 100 के आसपास लड़के थे जो हमेशा उनका मजाक उड़ाया करते थे. लेकिन इसके बावजूद रीना ने उन पर ध्यान नहीं दिया और प्रशिक्षण के बाद वाले ट्रायल में पहली कोशिश में ही पास गई. रीना पहले झुग्गी झोपड़ी के बच्चो को ऑटो में स्कूल छोड़ा करती थी लेकिन संस्था की कोशिशों को देख एक समाजसेवी राजेश जैन ने बस गिफ्ट में दे दी.
रीना और मीना कहती हैं कि आज वे जिस मुकाम पर हैं उसमे माँ और भाइयों के सपोर्ट का बड़ा हाथ रहा हैं. उनके परिवार ने पूरा सहयोग दिया आहें. उनके प्रोत्साहन कि वजह से ही दोनों बहनों की झिझक दूर हुई और वे आज हेवी लाइसेंस वाहन चलाती हैं. माता और भाइयों के अतिरिक्त वे इस चीज का श्रेय एमटीएफसी के संचालक नरेश ढल, तस्वीर हुड्डा, मनीषा अग्रवाल को भी देती हैं.