आसान नहीं रहा गायिका पलक मुच्छल का सफर, इस तरह बचाई थी 900 जिंदगी
बॉलीवुड में काम करने वाले कई सितारों का जीवन आज जितना आरामदायक नजर आता है वहां तक पहुंचने में उनकी काफी मेहनत शामिल होती है। उन्हीं सितारों में एक हैं गायिका पलक मुच्छल जो बॉलीवुड की एक पॉपुलर गायिका हैं। इन्होंने एक से बढ़कर एक सुपरहिट गाने गाए हैं लेकिन अगर इनके संघर्ष की बात करें तो आसान नहीं रहा गायिका पलक मुच्छल का सफर, इसके बाद भी इन्होने इस तरह से कई जिंदगी बचाईं। चलिए बताते हैं इनसे जुड़ी कुछ अनसुनी बातें, जो आपको प्रेरणा दे सकती हैं..
आसान नहीं रहा गायिका पलक मुच्छल का सफर
30 मार्च, 1992 को मध्यप्रदेश के इंदौर में जन्मी पलक मुच्छल के पिता एक संस्था में अकाउंटेंट हैं। इनकी मां अमिता मुच्छल और एक छोटा भाई पलाश मुच्छल हैं। पलक को बचपन से ही संगीत का शौक रहा है और मात्र 4 साल की उम्र में ही इन्होंने गाना शुरु कर दिया था। इन्होंने हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत की शिक्षा ग्रहण से ली और इसके साथ ही पलक को 17 भाषाओं की जानकारी है।
पलक बचपन से ही सामाजिक कार्यों में सक्रिय रही हैं और 5 साल की उम्र में वे एक संस्था से जुड़ गई थीं। उन्हें गरीबों की मजबूरी दिल से महसूस होती है और जब साल 1999 में कारगिल की लड़ाई छिड़ी थी तब उन्होंने शहीदों के परिवारों के लिए दुकाने और गली के नुक्कड़ों पर गाना गाकर चंदा इकट्ठा किया था, जिसका सारा पैसा शहीदों के परिवारों को मुहैया कराया गया था। इसके अलावा इनके भाई पलाश भी इनके साथ विदेशों में स्टेज शो करने जाते थे, उनमें जो भी पैसा पलक कमाती थीं उन्हें गरीब बच्चों को दान कर देती हैं। पलक की अपनी एक प्रयदर्शनी है जिसका नाम ‘दिल से दिल तक’ रखा, जिसमें पलक कम से कम 40 गाने गाती हैं जिनमें हिंदी फिल्मों के प्रसिद्ध गाने, भजन और गजलें शामिल है। इसके अलावा पलक ने गुजरात के भुकंप पीड़ितों को 10 लाख रुपये की मदद की थी। पलक की बच्चों के प्रति सहानुभूति सिर्फ भारत तक नहीं है, साल 2003 में पलक ने पाकिस्तान की एक बच्ची के लिए मदद की थी जो दिल की बीमारी से ग्रसित थी और इलाज के लिए भारत आई थी।
साल 2006 में पलक अपने संगठन पलनक मुच्छल हार्ट फाउंडेशन के लिए कुल 1.2 करोड़ रुपये की राशि इकट्ठा की थी। इन रुपयों से 234 बच्चों का ऑपरेशन कराया गया थाष पैसों की कमी के कारण बच्चों का ऑपरेशन नहीं हो पा रहा था और ये सुनिश्चित करने के लिए इंदौर की भंडारी हॉस्पिटल ने पलक मुच्छ हार्ट फाउंडेशन को 10 लाख रुपये तक के ऑवरड्राफ्ट की इजाज़त दी। साल 2009 में पलक ने 1.71 करोड़ रुपये की धनराशि इकट्ठा की जिससे 338 बच्चों की जान बचाई गई थी। इस सामाजिक संगठन के पैसों से पलक अपने निजी कामों के लिए इस्तेमाल नहीं करती हैं। लाभार्थी बच्चों से पलक प्रतीक के रूप में बच्चों से गुड़िया उपहार में लेती हैं।
फिल्मी करियर इस तरह हुआ शुरु
पलक ने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत साल 2011 में आई फिल्म दमादम से की थी। इसके बाद इन्होंने “एक था टाइगर”, “फ्रॉम सिडनी विथ लव”,”आशिकी 2″ और बंगाली फिल्म रॉकी में गाने गाये, लेकिन पलक को हिंदी सिनेमा में सबसे बड़ी कामयाबी फिल्म “एक था टाइगर” और “आशिकी 2” में गाने से मिली थी। पलक कई सिंगिंग रिएलिटी शोज में जज के रूप में भी काम कर चुकी हैं और आज ये फिल्म इंडस्ट्री की पसंदीदा गायिकाओं में एक हैं।