गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भगवान से कम नहीं हैं नरेंद्र मोदी , उन्हें जीवन का अधिकार मिला
JAIPUR : भाजपा नेता शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी धार्मिक उत्पीड़न का सामना कर रहे अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश से भागकर आए गैर-मुस्लिम शरणार्थियों के लिए भगवान से कम नहीं हैं।
उन्होंने प्रधान मंत्री के नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के लिए धन्यवाद दिया, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में पहुंचे तीन इस्लामी देशों के गैर-हिंदुओं को नागरिकता प्रदान करता है।
Shivraj Singh Chouhan, BJP in Jaipur on #CitizenshipAmendmentAct: Narendra Modi inke liye bhagwan ban ke aaye hain jo pratadit the aur nark ki zindagi jee rahe the. Bhagwan ne jeewan diya, maa ne janam diya, lekin Narendra Modi ji ne fir se zindagi di hai. pic.twitter.com/mKnTryu6zb
— ANI (@ANI) December 23, 2019
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री ने यहां एक कार्यक्रम में बोलते हुए कहा कि मोदी ने गैर-मुस्लिम शरणार्थियों को जीवन का एक नया अधिकार दिया है। चौहान ने कहा, “नरेंद्र मोदी उन लोगों के लिए भगवान के रूप में उभरे हैं जो नरक जैसी जिंदगी जी रहे थे।”
“भगवान ने उन्हें जीवन दिया, उनकी मां ने उन्हें जन्म दिया लेकिन यह नरेंद्र मोदी हैं जिन्होंने उन्हें जीवन का अधिकार दिया।”
बाद में मीडिया के साथ बातचीत के दौरान, शिवराज सिंह चौहान ने झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम और सीएए विरोध के बीच किसी भी लिंक को खारिज कर दिया।
उन्होंने कहा, “ऐसा कोई सवाल नहीं उठता। राज्य के मुद्दों पर राज्य के चुनाव लड़े जाते हैं,”
ज्ञांत हो की नागरिकता (संशोधन) विधेयक के अधिनियम बनने के तुरंत बाद देश के विभिन्न हिस्सों में एंटी-सीएए विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए और गैर भाजपा दल और जिहादी समाचार पत्रिकाओं के द्वारा इस आग में घी डालने का काम किया गया था
CAA का क्या है?
नागरिकता संशोधन अधिनियम- 2019 में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदू, सिख, पारसी, बौद्ध और ईसाई प्रवासियों जो धार्मिक उत्पीड़न के चलते भारत में शरण लिए हुए हैं और शरणार्थी के तौर पर बिना दस्तावेज के भारत में रहते हैं, अगर वो ३१।१२।२०१४ से पहले भारत आये हुए हैं तो उन्हें भारत की नारिकता दी जायेगी ।
CAA को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी गयी है :
सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर पहली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने विवादास्पद कानून पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, लेकिन केंद्र से कहा कि वह उन याचिकाओं के खिलाफ अपना जवाब दाखिल करे, जो कहती हैं कि यह संविधान का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि विधेयक मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है और संविधान में निहित समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।