कहानी: शुभचिंतकों से अगर कोई गलती हो जाए तो उसे माफ करने में ही समझदारी है
कई बार परिवार के सदस्यों, दोस्तों और शुभचिंतकों से भूल हो जाती है और इस भूल को माफ करने में ही भलाई होती है। शुभचिंतकों से हुई गलतियों पर उनपर क्रोधित होने से अच्छा उनकी भावनाओं को समझकर उन्हें माफ करने में समझदारी होती है। क्योंकि जीवन में बेहद ही ऐसे कम लोग होते हैं जो कि आपकी चिंता करते हैं और आपके के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अगर आपके जीवन में भी कोई ऐसा इंसान है जो आपका शुभचिंतक है। तो आप उस इंसान से अपना रिश्ता अच्छे से बनाकर रखें। इस संबंध से एक कथा भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक सेवक राजा से बेहद ही प्यार करता था और राजा का खूब सम्मान किया करता था। ये सेवक राजा की हर जरूरत का ध्यान रखता था। इस सेवक को राजा की देखभाल की जिम्मेदारी सौंप गई थी और ये सेवक रोज राजा को भोजन परोसने का काम भी करता था। हालांकि राजा बेहद ही गुस्से वाला था और छोटी सी गलत होने पर सजा दे देता था।
ये सेवक दिन रात राजा की सेवा करने में लगा रहता था और राजा को किसी भी तरह का कष्ट या तकलीफ ना पहुंचे इस बात का पूरा ध्यान रखता था। वहीं एक दिन राजा को खाना परोसते हुए सेवक के हाथों से थोड़ी सी सब्जी राजा के कपड़ों पर गिर जाता है। कपड़ों पर सब्जी गिरने से राजा बेहद ही क्रोधित हो जाता है और राजा का मुंह गुस्से से लाल हो जाता है। ये सब देखकर सेवक बुरी तरह से डर जाता है और उसे समझ आ जाता है कि इस छोटी सी गलती के लिए राजा उसे बहुत बड़ी सजा सुनाने वाले हैं।
सजा के बारे में सोचते हुए सेवन पूरी सब्जी का बर्तन राजा के कपड़ों पर गिरा देता है। जिसकी वजह से राजा और क्रोधित हो जाता है और सेवन से कहते है, तुमने दो बार मेरे कपड़ों पर सब्जी फेंकी है। एक बार सब्जी फेंकने के बाद तुमने दोबारा जानबूझकर मेरे कपड़ों पर सब्जी क्यों फेंकी ? मैं तुम्हें मौत की सजा दे सकती हूं।
सेवक डरते हुए राजा से कहता है, महाराज थोड़ी सी सब्जी गिरने से आप बेहद ही क्रोधित हो गए थे और मैं जानता था कि आप मुझे मौत की सजा सुनाने वाले थे। वहीं जब जनता को ये पता चलता की राजा ने महज थोड़ी सी सब्जी कपड़ों पर गिरने के कारण अपने सेवक को मौत की सजा सुना दी, तो जनता की नजरों में आप गिर जाते हैं। इसलिए मैंने दोबारा से आपके कपड़ों पर सब्जी फेंक दी। ताकि लोगों की नजरों में मेरी गलती बड़ी दिख सके और आपकी बदनामी ना हो। इस भूल के लिए प्रजा मुझे ही अपराधी समझेगी और आपके द्वारा दिए गए मृत्यु दंड के फैसले को सही मानेगी।
सेवक की ये बात सुनकर राजा का क्रोध शांत हो गया और राजा को समझ आ गया कि वर्षों से उनकी सेवा करने वाल ये व्यक्ति उनका सेवक होने के साथ-साथ उनका शुभचिंतक भी है और शुभचिंतकों से अगर कोई गलतियां हो जाए तो उसे माफ करने में ही समझदारी है।