चिड़िया और बंदर की कहानी: किसी मूर्ख व्यक्ति को सलाह देना सबसे बड़ी मूर्खता होती है
मूर्ख लोगों को सलाह देना सबसे बड़ी मूर्खता मानी जाती है। मूर्ख व्यक्ति को सुझाव देना सांप को दूध पिलाने के समान होता है और इस विषय से एक कथा भी जुड़ी हुई है। कथा के अनुसार एक जंगल में गोरैया अपने परिवार के साथ एक पड़े के ऊपर घोंसला बनाकर रहा करती थी। इस गोरैया के परिवार में इसके दो बच्चे थे, जो कि बेहद ही छोटे थे। ये गोरैया रोज सुबह अपने बच्चों के लिए भोजना का इंतजाम करने के लिए जंगल में घूमा करती थी और भोजन मिलने पर उसे अपने घोंसले में लाकर बच्चों के बीच आधा आधा बांट देती थी।
एक दिन जंगल में तेज बारिश होने लगी और गोरैया के बच्चे गोरैया का इंतजार कर रहे थे। तभी पेड़ के नीचे एक मूर्ख बंदर आकर बैठ गया। मूर्ख बंदर पूरी तरह से भीगा हुआ था। वहीं थोड़ी देर में गोरैया भी अपने घोंसले में आ गई। गोरैया के आते ही उसके बच्चों ने उसे बंदर के बारे में बताया और कहा एक बंदर इतनी तेज बारिश में पेड़ के नीचे बैठा हुआ है और पूरी तरह से भीग गया है।
बंदर को बारिश में भीगता देख गोरैया बंदर को आवाज देती है और उससे पूछती है, क्या तुम इस जंगल में नए हो। बंदर गोरैया से कहता है, नहीं मैं काफी सालों से जंगल में रह रहा हूं। गोरैया बंदर से कहती है तो तुम बारिश में क्यों भीग रहे हो अपने घर जाकर रहो।
मूर्ख बंदर गोरैया से कहता है कि उसका कोई घर नहीं है। गोरैया बंदर को घर बनाने की सलाह देती है और कहती है कि यहां-वहां घूमने से अच्छा है कि तुम अपना एक घर बना लो। ताकि खराब मौसम में तुम मेरी तरह आराम से घर में रहे सको। अगर आज तुम्हारा घर होता तो तुम बारिश में नहीं भीगते।
गोरैया की ये सलाह बंदर को अपना अपमान लगती है और बंदर को गुस्सा आ जाता है। बंदर पास में पड़े एक पत्थर को उठाकर गोरैया के घोंसले में मार देता है। जिसकी वजह से गोरैया का घोंसला पूरी तरह से टूट जाता है। घोंसला टूटने की वजह से गोरैया और उसके बच्चे बेघर हो जाते हैं और बारिश में बुरी तरह से भीग जाते हैं।
कहानी से मिली सीख
बंदर और गोरैया की इस छोटी सी कहानी से हमें बहुत बड़ी सीख मिलती है। इस कहानी से हम ये ज्ञान मिलता है कि कभी भी मूर्खों को सलाह ना दें। क्योंकि मूर्खों को सलाह देने के कारण कई बार अपना ही नुकसान हो जाता है। जिस तरह से इस कहानी में मूर्ख बंदर को सलाह देने के कारण गौरेया को अपने घोंसले से हाथ धोना पड़ा। उसी तरह से कई बार हम लोगों द्वारा किसी मूर्ख को दी गई सलाह हमपर ही भारी पड़ जाता है।