एक राजा के घमंड को तोड़ने के लिए साधु ने उसे सच्चाई का आईना दिखाया और बताया कि…
अक्सर शान और शौकत आने पर कई लोग घमंडी हो जाते हैं और अन्य लोगों को अपने से छोटा समझने लग जाते हैं। इंसान के अंदर घमड़ आने से वो अहंकारी हो जाता है और उसकी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। इसी विषय से एक कहानी भी जुड़ी हुई है। कहानी के अनुसार एक राजा हुआ करता था और इस राजा को अपने पैसों और राज्य पर बेहद ही घमंड था। इस घमंड के चलते ये राजा अन्य राज्यों के राजाओं से सही से बात नहीं करता है और अन्य राजाओं का अपमान करने का कोई भी मौका नहीं छोड़ता था।
एक बार एक साधु को राजा के इस व्यवाहर के बारे में पता चला और साधु को राजा पर बेहद ही गुस्सा आया। इस साधु ने राजा को सही रास्ते पर लाने की ठान ली। राजा को सही मार्ग दिखाने के लिए ये साधु राजा से मिलने के लिए उसके राज्य चले गया। राज्य जाकर साधु ने पाया की वहां की जनता भी राजा से दुखी थी और राजा के बारे में केवल बुरा ही बोल रही थी। राज्य की जनता को दुखी देख साधु को और गुस्सा आ गया।
साधु राजा से मिलने के लिए सीधा राज महल चले गया और बिना किसी से अनुमति लिए साधु राजा के कक्ष में पहुंच गया। साधु को अपने कक्ष में पाकर राजा को बेहद गुस्सा आया और राजा ने साधु से क्रोधित होकर पूछा, आप यहां क्या कर रहे हैं। आप किसकी आज्ञा से मेरे कक्ष के अंदर आए हो। क्या आप नहीं जानते की ये कक्ष मेरा है और मेरी मर्जी के बिना इधर आना अपराध है और मैं चाहूं तो आपको ऐसा करने के लिए सजा दे सकता हूं।
साधु ने विनम्रता से राजा को सुनने के बाद कहा, मैं आज ही इस राज्य में आया हूं और मुझे सोने के लिए एक सराय की जरूरत थी। इसलिए मैं इधर आ गया। साधू की ये बात सुन राजा को और क्रोध आ गया और राजा ने साधु से बोला ये मेरा कक्ष है ना की कोई सराय। अगर आपको आराम करना है तो किसी और जगह जाएं।
ये सुनकर साधु ने राजा से एक प्रश्न करते हुए पूछा, तुमसे पहले ये राजमहल किसका था ?
राजा ने कहा, मेरे पिता जी का।
साधु ने पूछा उनसे पहले ये महल किसका था।
राजा ने कहा, मेरे दादा जी का
साधु ने हंसकर बोला तुम्हारा राज महल एक सराय है। जिस तरह से सराय में लोग आकर कुछ दिनों तक रहते हैं। वैसे ही तुम भी कुछ समय के लिए यहां पर हो। जैसे कुछ समय के लिए तुम्हारे दादा जी और पिता जी यहां रहा करते थे। वैसे ही तुम भी आज यहां हो। इस जगह कल कोई और होगा और उसके बाद कोई और। इसलिए तुम इतना घमंड ना करो और सबके साथ प्रेम से रहो।
साधु की ये बात सुन राजा को इस बात का एहसास हो गया कि आज जो शान और शौकत हमारे पास है वो कल किसी और की है। इसलिए शान और शौकत पर कभी भी घमंड नहीं करना चाहिए।