9 दिसंबर को है सोम प्रदोष व्रत, इस दिन शिव पूजन से मिलता है विशेष फल
हर मास में दो प्रदोष व्रत आते हैं और प्रदोष व्रत में शिव भगवान की पूजा की जाती है। सोमवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को सोम प्रदोष व्रत कहा जाता है और इस बार 9 तारीख यानी सोमवार को ये व्रत आ रहा है। पंचाग के मुताबिक प्रदोष व्रत हर मास के त्रयोदशी तिथि को आता है और ये व्रत करने से शिव जी हर कामना को पूर्ण कर देते हैं।
मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 09 दिसंबर को सुबह 09 बजकर 54 मिनट से शुरू हो जाएगी। जो कि 10 दिसंबर को सुबह 10 बजकर 44 मिनट तक रहने वाली है। इस दिन शिव भगवान की पूजा करने का शुभ मुहूर्त शाम 05 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा जो कि रात को 08 बजकर 08 मिनट तक रहेगा। इसलिए आप इस शुभ मुहूर्त के दौरान भगवान शिव की पूजा जरूर करें। ।
पूजा विधि
- सोम प्रदोष के दिन सुबह उठकर स्नान करें और मंदिर जाकर शिवलिंग पर जल अर्पित करें।
- पूजा करने हेतु सबसे पहले पूजा का संकल्प लें और उसके बाद गणेश जी की मूर्ति पर दूध चढ़ाएं।
- शिव पर दूध अर्पित करें। दूध अर्पित करने के बाद शहद, घी और चीनी शिवलिंग पर चढ़ाएं। ये करने के बाद शिव पर जल अर्पित करें और शिवलिंग को अच्छे से स्नान करवाएं।
- स्नान कराने के बाद शिवलिंग पर को चंदन का तिलक लगाएं और फूल अर्पित करें। इसके बाद चावल शिवलिंग पर रख दें।
- 11 बेलपत्र लेकर उन्हें एक एक कर शिवलिंग पर रखें। बेल पत्र के अलावा आप धतूरा और भांग भी शिवलिंग पर चढ़ा सकते हैं।
- इसके बाद एक देसी घी का दीपक शिवलिंग के पास रख दें। फिर ऊं नम: शिवाय: मंत्र का जाप करें और शिव चालीसा का पाठ करें।
- पूजा पूरी करने के बाद खड़े होकर नीचे दी गई शिव आराती को पढ़े।
शिवजी की आरती –
ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।
हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।
त्रिगुण रूप निरखते त्रिभुवन जन मोहे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
अक्षमाला वनमाला मुण्डमाला धारी।
त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
कर के मध्य कमण्डलु चक्र त्रिशूलधारी।
सुखकारी दुखहारी जगपालन कारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।
मधु-कैटभ दोउ मारे, सुर भयहीन करे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
लक्ष्मी व सावित्री पार्वती संगा।
पार्वती अर्द्धांगी, शिवलहरी गंगा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।
भांग धतूर का भोजन, भस्मी में वासा॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।
शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी।
नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥
ॐ जय शिव ओंकारा॥
होती है हर कामना पूर्ण
जो लोग प्रदोष व्रत करते हैं उनकी हर कामना पूर्ण हो जाती है। वहीं अगर कुंवारे लोगों द्वारा ये व्रत रखा जाता है तो उन्हें सच्चा जीवन साथी मिलता है। इसके अलावा ये व्रत करने से शनि दोष भी दूर हो जाता है।
अगर आप इस दिन व्रत रखते हैं तो केवल फल और दूध का ही सेवन करें और अगले दिन शिव जी की पूजा करने के बाद अपने व्रत को तोड़ दें।