बंगाल में स्कूलों में सरस्वती पूजा बंद,नबी दिवस मनाना अनिवार्य किया!
पिछले कुछ दिनों से पश्चिम बंगाल में कम्युनल तनाव उफान पर नज़र आ रहा है. छोटी-मोटी बातों को मुद्दा बनाकर माहौल ख़राब हुआ ही रहता है. बंगाल सरकार की सेक्यूलरिज्म की तो परिभाषा ही अलग है. स्कूल में सरस्वती पूजा बंद कर नबी दिवस को मनाना अनिवार्य किया. हिंदुओं की चुप्पी का फायदा उठा रहे हैं मुस्लिम और राजनेता. सरस्वती पूजा, दुर्गा पूजा और हिंदुओं के त्यौहार पर प्रतिबंध लगाने वाली ममता सरकार ने नबी दिवस को मनाना अनिवार्य किया और ममता सरकार इसको मनाने के पैसे भी देगी.
नबी दिवस मनाना अनिवार्य किया :-
नबी दिवस को सरकारी पुस्तकालयों में भी मनाया जाएगा. बंगाल सरकार के इस नये नियम के हिसाब से राज्य के सभी 2000 से ज्यादा सरकारी पुस्तकालयों में साल के दूसरे प्रस्तावित कार्यक्रम की तरह नबी दिवस मानने की भी बात कही गई है. 11 जनवरी 2017 को जारी इस आदेश में 51 इवेंट्स की सूची जारी की गई है. जिसमें ईद-उद-मिलाद-उन-नबी जो की मोहम्मद पेगंबर की जन्मदिन के तौर पर मनाया जाता है, भी शामिल है.
बंगाल सरकार प्रत्येक इवेंट मनाने के लिए हर सरकारी पुस्तकालयों को 1000 रुपए की आर्थिक सहायता करेगी. बीजेपी ने बंगाल सरकार के इस कदम की कड़ी आपत्ति जताई है. बीजेपी का कहना है कि इससे पहले नबी दिवस मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है. ये अल्पसंख्यक तुष्टिकरण को ध्यान में रखकर उठाया गया एक और कदम है.
मामला पिछले साल दिसंबर का है. 13 दिसंबर को कुछ स्टूडेंट्स ने स्कूल में ‘नबी दिवस’ मनाने की परमिशन मांगी थी. वो मिल गई होती बशर्ते बाहरी आदमियों की उसमे इंवॉल्वमेंट ना होती. स्कूल के बच्चों के बीच एक धार्मिक आयोजन में बाहरी लोगों की शिरकत को स्कूल ने नकार दिया. तभी से मामला बिगड़ा हुआ है. क्लास नौ और दस के कुछ लड़के बाहरी लोगों के साथ स्कूल में घुस आए और नबी दिवस मनाने की कोशिश की. बवाल हुआ, मामला गंभीर हुआ तो स्कूल ने जिला प्रशासन को लैटर लिख के मदद मांगी. स्कूल में नबी दिवस नहीं आयोजित होने पर स्कूल प्रशासन पर सरस्वती पूजा पर भी रोक लगाने का दबाव बना हुआ था. जिसके चलते स्कूल प्रशासन ने सरस्वती पूजा के समय स्कूल बंद रखने का निर्णय लिया. इस खबर ने मीडिया में खूब सुर्खियां बटोरीं. इसके बाद इसी विवाद को देखते हुए सरकार ने ये फैसला लिया है कि अब राज्य की सरकारी पुस्तकालयों में नबी दिवस भी मनाया जाएगा.