24 नवंबर को है रवि प्रदोष व्रत, इस उपाय से करें व्रत, मिलती है लंबी उम्र और अच्छी सेहत
प्रदोष व्रत हर महीने शुक्ल एवं कृष्णपक्ष की त्रयोदशी को आते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये व्रत रखने से और शिव जी की उपासना करने से मनचाही चीज मिल जाती है और आयु लंबी होती है। 24 नवंबर को इस साल का आखिरी रवि प्रदोष व्रत आ रहा है और इस दिन कई सारे विशेष योग भी बन रहा है। 24 नवंबर को प्रदोष व्रत है और इसके अगले दिन ही मासिक शिवरात्री आ रही है। इसलिए शिव जी को प्रसन्न करने के लिए आप इन दोनों दिनों शिव की पूजा जरूर करें।
ऐसा माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव द्वारा कैलाश पर्वत के रजत भवन में नृत्य किया जाता है और इस दिन व्रत रखने से और शिव जी की पूजा करने का विशेष लाभ मिलता है।
प्रदोष व्रत का महत्व
प्रदोष व्रत को रखना मंगलकारी माना गया है। हिन्दू धर्म के अनुसार ये व्रत करने से शिव जी की कृपा प्रदान हो जाती है और हर कामना पूर्ण हो जाती है। इतना ही नहीं ये व्रत रखने से जीवन के सारे कष्ट भी दूर हो जाते हैं। जिन लोगों द्वारा ये व्रत रखा जाता है उन्हें गाय के दान जितना पुण्य हासिल होता है और पापों से मुक्ति मिल जाती है।
प्रदोष व्रत से जुड़ी जानकारी
रविवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष कहा जाता है और ये व्रत रखने से आयु में वृद्धि होती है और शरीर सेहतमंद बना रहता है। इसी तरह से सोमवार के दिन आने वाले व्रत को सोम प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है। सोमवार के दिन आने वाले व्रत को रखने से कोई भी इच्छा पूर्ण हो जाती है। मंगलवार के दिन आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोषम कहा जाता है और भौम प्रदोषम व्रत रखने से रोग सही हो जाते हैं।
इसी तरह से बुधवार के दिन इस व्रत को करने कोई भी कामना सिद्ध हो जाती। बृहस्पतिवार के दिन प्रदोष व्रत करने से शत्रुओं पर विजय मिलती है। शुक्रवार के दिन आने वाले प्रदोष व्रत को रखने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। शनिवार के दिन आने वाले प्रदोष को शनि प्रदोषम कहा जाता है और ये व्रत रखने से शनि ग्रह शांत रहता है और संतान प्राप्ति होती है।
इस तरह के रखें ये व्रत
- प्रदोष व्रत शिव जी से जुड़ा हुआ है। इसलिए आप इस दिन शिव की पूजा और व्रत जरूर रखें।
- सुबह स्नान कर मंदिर में जाकर शिव की पूजा करें।
- आप ये व्रत क्यों कर रखे हैं इस चीज का संकल्प आप पूजा करते हुए जरूर लें। क्योंकि संकल्प करते हुए मांगी हर चीज को भगवान पूरा कर देते हैं।
- संकल्प लेने के बाद जल और दूध शिविलंग पर अर्पित करें। इसके बाद शिव के नाम का जाप करें और शिवलिंग के सामने एक दीपक जला दें। इसी तरह से शाम के समय भी पूजा करें। इस व्रत के दौरान केवल फल ही खाएं। अगले दिन स्नान कर इस व्रत को तोड़ दें।