सुभाष चंद्र बोस की परपोती के दिल में बसता है गोडसे, नाथूराम के लिए कही यह बातें
एक भारत में अलग-अलग मत के लोग बसते हैं और हर किसी का ख्याल बिल्कुल अलग रहता है। महात्मा गांधी देश के राष्ट्रपिता हैं लेकिन वे भी इंसान थे गलतियां उन्होने भी की। मगर उनकी हत्या करने की गलती नाथूराम गोडसे ने की, जिसे देश के ज्यादातर लोग बुरा समझते हैं। मगर इन सभी के बीच सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री के दिल में बसता है गोडसे, जिसे लेकर उन्होंने अपने दिल की बात कही।
सुभाष चंद्र बोस की प्रपौत्री और अखिल भारत हिंदू महासभ की नेता राजश्री चौधरी ने अपने समर्थकों के साथ महात्मा गांधी के हत्यारे की पूजा की है। इसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं, समाचार एजेंसी एएनआई की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया है जिसमें राजश्री चौधरी अपने समर्थकों के नाम नाथूराम गोडसे की आरती उतारकी नजर आ रही हैं। ये वीडियो मध्य प्रदेश के ग्वालियर का है जिस वीडियो में राजश्री चौधरी के साथ भगवा टोपी लगाए आस-पास कई लोग नजर आ रहे हैं। वीडियो में एक जगह पर नाथूराम गोडसे और झांसी की रानी की तस्वीर लगी है और यहां पर लगभग दर्जनभर लोग गोडसे की तारीफ से बनी हुई आरती गा रहे हैं और उनके बलिदान की गाथा भी गा रहे हैं। राजश्री चौधरी ने बताया कि नाथूराम गोडसे अखिल भारत हिंदू महासभा के केंद्रीय नेता हैं। इसके अलावा वे हम सभी के दिल में बसते हैं। राजश्री चौधरी ने कहा कि कांग्रेस की सरकार ने उन्हें बदनाम किया है और उन्होंने कहा है कि एक ऐसा समय आएगा जब लोगों को सही इतिहास का पता चलेगा।
राजश्री चौधरी ने कहा कि हिंदू महासभा के कार्यकर्ता पर ग्वालियर में झूठी एफआईआर दर्ज कराई गई है। इसे तुरंत वापस लिया जाए क्योंकि ये गलत है। उन्होंने बताया कि अगर इस एफआईआर को वापस नहीं लिया गया तो पार्टी के सभी लोग संसद पर घेराव करने पहुंच जाएंगे। आपको बता दें कि हिंदू महासभा के सदस्यों ने ग्वालियर में नाथूराम गोडसे के 70वें बलिदान दिवस को मनाया गया था। इस बावत हिंदू महासभा के सदस्य पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी। राजश्री चौधरी ने एफआईआर को गलत बताते हुए इसे वापस लेने की मांग की है।
साल 1948 को एक सभा को संबोधित करने गए महात्मा गांधी को नाथूराम गोडसे ने 4 गोलियां दाग दी थीं। इसके बाद खुद को सरेंडर कर दिया था। उन्होने आखिरी समय तक कहा कि गांधी अच्छे होंगे लेकिन मुस्लिम के लिए अलग देश देकर उन्होंने भविष्य के दुश्मन को पाला है और उन्हें कदापि इसका पछतावा नहीं है कि उन्होने गांधी को मारा। गोडसे उस दौर के युवा थे और उनमें भगत सिंह को फांसी दिए जाने वाले सहमति में गांधी का शामिल होना ही खटक गया था। उसके बाद आजादी मिली और भारत के दो टुकड़े में गांधी जी ने कांग्रेस का साथ दिया तो इससे गोडसे गांधी जी से नाराज थे मगर हत्या करना उनका जुर्म था।