चित्तौड़गढ़ किले का इतिहास (Chittorgarh Fort History in Hindi)
चित्तौड़ का किला चित्तौड़गढ़ का किला UNESCO वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल है और यह किला भारत के राजस्थान राज्य के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। यह किला बेहद ही विशाल है और एक पहाड़ी पर बना हुआ है। जिसकी ऊंचाई 180 मीटर है। इस किले को चित्तौड़ का किला (Chittorgarh ka Kila) भी कहा जाता है। 280 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैले इस किले से बेहद ही रोचक इतिहास जुड़ा हुआ है और यह किला भारत का सबसे बड़ा किला है (Largest Fort of India)।
यह किला गौरव का प्रतीक माना जाता है और इसे सातवीं सदी में बनाया गया था। इतिहासकारों के अनुसार इस किले को शासक चित्रांगदा मौर्य द्वारा बनाया गया था। कहा जाता है कि बप्पा रावल ने 724 ईस्वी में इस किले की स्थापना की थी और इस किले पर 834 वर्षों तक मेवार द्वारा शासन किया था।
कई बार किया गया हमला
चित्तौड़गढ़ किले (chittorgarh ka kila) पर कई बार हमला किया जा चुका है और इस किले को बचाने के लिए कई सारे राजपूत शासकों ने अपनी कुर्बानी दी है। रानी पद्मिनी को हासिल करने के लिए इस किले पर अल्लाउद्दीन खिलजी द्वारा साल 1303 में आक्रमण किया गया था। इस किले पर दूसरा हमला 1567 में अकबर द्वारा किया गया था और महाराणा उदय सिंह से यह किला छीन लिया गया था। हालांकि 1616 में जहांगीर ने यह किला महाराजा अमर सिंह को वापस कर दिया था और दोबारा राजपूतों का हक इस किले पर स्थापित हो गया था।
किले के अंदर हैं बेहद ही सुंदर महल
- इस किले (chittorgarh kila) के अदंर कई सारे महल हैं जिनमें से एक महल को पद्मिनी महल कहा जाता है। पद्मिनी महल सफेद रंग का है और इस महल में काफी सारे शीशे लगे हुए हैं। इस महल के अलावा इस किले के अंदर राणा कुंभा महल और फ़तेह प्रकाश महल भी हैं।
- राणा कुंभा भी काफी सुंदर महल है और यह महल इस किले का सबसे पुराना महल है। ऐसा कहा जाता है कि उदयपुर के संस्थापक महाराणा उदय सिंह का जन्म इसी महल में हुआ था। इस महल के अलावा इस किले के पास ही भगवान सूर्य देव का एक मंदिर भी है।
- चित्तौड़गढ़ किले के पास ही बेराच नदी भी है जो कि यहां का आकर्षण केंद्रीय है।
- चित्तौड़ के किला (chittorgarh kila) के अंदर एक वक्त में 84 जल निकायए हुआ करती थी और ये सारी जल निकाय पानी से भरी रहती थी। ऐसा माना जाता है कि यह जल निकाये इस राज्य के लोगों के लिए जल अपूर्ति का साधन थी।
किले के अंदर बनें हैं दो स्तंभ
इस किले के अंदर ही दो पाषाणीय स्तंभ भी बनाए गए हैं जो कि देखने में बेहद ही सुंदर हैं। इन स्तंभ को कीर्ति स्तंभ और विजय स्तंभ के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है इन स्तंभों को बनाने में करीब 10 सालों का वक्त लगा था और यह दोनों स्तंभ राजपूत वंश के गौरवशाली का प्रतीक माने जाते हैं। इन स्तंभों पर खूबसूरत कार्य किया गया है।
विजय स्तंभ को महमूद शाह आई खलजी पर विजय करने के बाद राणा कुम्भा द्वारा बनाया गया था। जबकि कीर्ति स्तंभ जो कि 22 मीटर ऊंचा है। उसे जैन व्यापारी जीजाजी राठौड़ द्वारा बनाया गया है और यह आदिनाथ को समर्पित है। जो कि पहले जैन तीर्थंकर थे।
बना हुआ है जौहर कुंड
चित्तौड़गढ़ के किले (chittorgarh ka kila) के अंदर ही जौहर कुंड बनाया गया है। इस कुंड से कई सारी कहानी जुड़ी हुई हैं। कहा जाता है कि जब अल्लाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मिनी को पाने के लिए इस किले पर आक्रमण किया था। तब रानी पद्मिनी ने महल की अन्य महिलाओं के साथ इसी अग्नि के कुंड में कूद कर अपनी जान दे दी थी। दरअसल उस दौरान, जब युद्ध में राजा और उसके सैनिक शहीद हो जाते थे। तब दुश्मनों से अपनी रक्षा करने के लिए रानी और सैनिकों की पत्नियां कुंड में कूद कर अपने प्राण त्याग देती थी। इस प्रथा को ‘जौहर प्रथा’ कहा जाता है।
चित्तौड़गढ़ किले (Chittorgarh ka Kila) का लाइट शो
चित्तौड़ का किला (chittorgarh kila) घूमने में काफी समय लग जाता है क्योंकि यह बेहद ही बड़ा किला है। वहीं इस किले में लाइट शो भी किया जाता है। इसलिए अगर आप इस किले में घूमने के लिए जाएं, तो इस लाइटिंग शो को भी जरूर देखें। यह लाइटिंग शो राजस्थान के पर्यटन विभाग द्वारा किया जाता है। यह शो 58 मिनट की अवधि का होता है जो कि शाम के 7:00 बजे शुरू होता है। इस शो को देखने के लिए टिकट खरीदनी पड़ती है जो कि 50 रुपए की होती है।
चित्तौड़ का किला (Chittorgarh ka Kila) काफी बड़ा है इसलिए इस किले को घूमने के लिए आपको गाड़ी की सुविधा भी दी जाती है।
कब घूमने जाएं
अप्रैल और मई के दौरान इस राज्य में बेहद ही गर्मी होती है। इसलिए आप इन दोनों महीनों में भूलकर भी यहां ना जाएं। इस किले को घूमने का सबसे अच्छा समय सर्दियों का है। इसलिए आप चित्तौड़ या चित्तौड़गढ़ का किला देखने का प्लान सर्दियों के समय ही बनाएं।
कैसे पहुंचे
चित्तौड़ का किला उदयपुर के पास ही स्थित है और आप इस जगह हवाई, रेलवे और सड़के मार्ग के जरिए जा सकते हैं। चित्तौड़गढ़ किले का सबसे निकटतम हवाई अड्डे उदयपुर हवाई अड्डे है, जो कि इस किले से 70 किमी की दूरी पर स्थित है। इस हवाई अड्डे के लिए दिल्ली, मुंबई और अहमदाबाद से हवाई सेवाओं उपलब्ध है। उदयपुर पहुंचकर आपको यहां से बस या टैक्सी मिल जाएगी। वहीं आप चाहें तो अपने शहर से रेल मार्ग और सड़क मार्ग के जरिए भी इस जगह पर जा सकते हैं।
चित्तौड़ के किले (chittorgarh kila) का इतिहास जानने के बाद आप इस किले को देखने के लिए जरूर जाएं। यह किला देखकर आपको राजपूताना शासन का अनुभव होगा।
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