भगवान शिव तांडव नृत्य क्यों करते हैं? क्या हैं इसके मायने, जाने इससे जुड़ा रहस्य
भगवान शिव के तांडव नृत्य के बारे में तो आप सभी ने सूना ही होगा. आप में से कई लोगो को बस इतनी जानकारी होगी कि शवजी जब गुस्से में होते हैं तो तांडव नृत्य करते हैं. पर आप इस बारे में विस्तार से नहीं जानते होंगे. जैसे कि शिवजी तांडव नृत्य कब करते हैं, क्यों करते हैं, इसके पीछे की कहानी क्या हैं और इस तांडव नृत्य के क्या क्या मायने होते हैं. आज हम आपको इस तांडव नृत्य से जुड़ी हर एक बात विस्तार से बताने जा रहे हैं.
शिवजी का तांडव नृत्य भी दो प्रकार का होता हैं. पहला तांडव नृत्य वो तब करते हैं जब गुस्से में होते हैं. गुस्से में किए गए तांडव नृत्य के दौरान शिवजी के हाथ में डमरू नहीं होता हैं. वे ये बिना डमरू के ही करते हैं. वहीं यदि शिवजी डमरू के साथ तांडव नृत्य कर रहे हैं तो समझ जाइए कि प्रकृति में आनंद की बारिश होने जा रही हैं.
इसी तरह शान्र समाधि में शिवजी नाद करते हैं. नाद अर्थ एक प्रकार की आवाज़ को सुनना होता हैं. इसमें कोई गाना नहीं होता हैं. मतलब ये नाद बिना गाने का नृत्य होता हैं. इसे बस आप महसूस कर सकते हैं. ये नाद भी दो प्रकार के होते हैं पहला आहद और दुसरा अनहद.
जब भरत मुनि ने नाट्यशास्त्र का पहला अध्याय लिखा था तो उसके पाने अपने शिष्यों को तांडव की शिक्षा भी दी थी. उस दौरान गंधर्व और अप्सराएं उनके शिष्य थे जो नाट्यवेद के आधार पर शिवजी के सामने प्रस्तुति दिया करे थे. बता दे कि ये भरत मुनि का दिया ज्ञान और प्रशिक्षण ही था जिसके कारण उनके सभी नर्तक तांडव भेद बखूबी जानते थे. इसी के आधार पर वे अपनी नृत्य शैली में परिवर्तन लाते थे.
शिवजी की पत्नी पारवती ने इसी नृत्य को बाणासुर की पुत्री को सिखाया था. इस वजह से ये तांडव नृत्य एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जीवित रहा. शिव के तांडव को नटराज का प्रतिक भी माना जाता हैं. गौरतलब हैं कि नटराज भी शिवजी का ही एक स्वरुप हैं. मसलन जब शिवजी तांडव नृत्य करते हैं तो वे नटराज कहलाते हैं. ये नटराज शब्द भी दो चीजों ‘नट’ और ‘राज’ से मिलकर बना हैं जिसका मतलब हैं ‘कला’ और ‘राजा’. शवजी का नटराज रूप से बात दर्शाता हैं कि अज्ञानता को सिर्फ ज्ञान, संगीत और नृत्य से ही दूर किया जा सकता है.
आपकी जानकारी के लिए बता दे कि वर्तमान में शास्त्रीय नृत्य से जितनी भी विद्याएं मौजूद हैं वे सभी तांडव नृत्य से ही उत्पन्न हुई हैं. तांडव एक तरह की तीव्र प्रतिक्रिया वाला नृत्य हैं. लास्य शैली की बात की जाए तो इसमें फिलहाल भरतनाट्यम, कुचिपुडी, ओडिसी और कत्थक जैसी नृत्य शैलियाँ शामिल हैं.
तो अब आप तांडव नृत्य से जुड़े सभी रहस्य जान चुके हैं. हमें उम्मीद हैं कि आपको हमारी दी गई ये जानकारी अवश्य पसंद आई होगी. कृपया आप इस जानकारी को दूसरों के साथ शेयर करना ना भूले. इस तरह भारतीय इतिहास के बारे में हर किसी को जानकारी मिल सकेगी.