भारी पड़ी अनिल अंबानी को ये गलतियां, इसलिए अब बिकने जा रहीं उनकी कंपनियां
भारत के सबसे अमीर बिजनेसमैन का खिताब पिछले कई सालों से मुकेश अंबानी को दिया जा रहा है। मगर उनके छोटे भाई अनिल अंबानी जब से मुकेश अंबानी से अलग बिजनेस करने लगे हैं तबसे उनके हालात कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं। पिछले कुछ समय से उनके नुकसान और कर्ज की भरपाई बड़े भाई होने के नाते मुकेश अंबानी करते थे लेकिन भारी पड़ी अनिल अंबानी को ये गलतियां, इस बार कुछ ज्यादा ही परेशानी से अनिल अंबानी गुजर रहे हैं।
भारी पड़ी अनिल अंबानी को ये गलतियां
मौजूदा समय में रिलायंस कम्युनिकेशन दिवालिया कानून की प्रक्रिया से गुजर रही है। शुक्रवार को जारी तिमाही नतीजों के मुताबिक, कंपनी को 30 हजार करोड़ से ज्यादा का घाटा हुआ और ये कॉर्पोरेट इतिहास में वोडाफोन-आइडिया के बाद दूसरा बड़ा घाटा था। कर्ज चुकाने के लिए अनिल अंबानी अपनी संपत्तियां बे रही है। अनिल अंबानी के अलावा छाया विरानी, रायना कारानी, मंजरी काकेर और सुरेश रंगाचर ने भी इस्तीफा दे दिया है। इनमें से अनिल अंबानी, छाया विरानी और मंजरी काकेर ने 15 नवंबर को इस्तीफा दिया था तो वहीं रायना कारानी ने 14 नवंबर और सुरेश रंगाचर ने 13 नवंबर को इस्तीफा दिया था। साल 2008 में अनिल अंबानी के पास 42 अरब डॉलर की संपत्ति थी जो 11 साल बाद यानी 2019 में घटकर 5230 मिलियन डॉलर के करीब हो गई है। जो 3651 करोड़ रुपये के करीब है और आपको बता दें कि इस संपत्ति में गिरवी वाले शेयर की कीमत भी शामिल की गई है। मार्च, 2018 में रिलायंस ग्रुप का कुल कर्ज 1.7 लाख करोड़ रुपये था, 31 मार्च, 2019 तक आरकॉम पर करीब 35, 600 करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था।
रिलायंस पावर पर 30,200 करोड रुपये, रिलायंस कैपिटल पर 38,900 करोड़ रुपये का कर्ज और रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग पर मार्च, 2019 तक 7 हजार करोड़ रुपये का कर्ज हो गया था। आरकॉम की कुल देनदारियों में 23,327 करोड़ रुपये का लाइसेंस शुल्क और 4,987 करोड़ रुपये का स्पेक्ट्रम इस्तेमाल शुल्क को भी शामिल किया गया है। आरकॉम और उसकी अनुषंगियों ने 1,210 करोड़ रुपये के ब्याज और 458 करोड़ रुपये के विदेशी विनिमय उतार-चढ़ाव के लिए प्रावधान नहीं किया। साल 2005 में धीरूभाई अंबानी के 28 हजार करोड़ रुपये के रिलायंस ग्रुप का बंटवारा हो गया था और तब मुनाफा कमाने वाला टेलीकॉम सेक्टर अनिल अंबानी के पास था। इसके साथ ही ये फैसला किया गया था कि आने वाले 10 सालों में बड़े भाई मुकेश अंबानी इस क्षेत्र में दखल नहीं दें। मगर इस कंपनी का घाटा होता गया।
जियो की शरुआत ने किया बंटाधार
साल 2002 में रिलायंस इंफोकॉम ने CDMA की शुरुआत की थी और इसमें 2जी के साथ 3जी को सपोर्ट किया गया था लेकिन भारत में तब तक 4जी की शुरुआत होने वाली थी। तब थोड़ा मुनाफा होने के बाद ये स्कीम घाटे में जाने लगी। साल 2002 में रिलायंस इन्फोकॉम में शुरुआत हुई थी तब अनिल अंबानी ने सीडीएम टेक्नोलॉजी को चुना था। एक ओर अनिल अंबानी घाटे में थे उसी समय मुकेश अंबानी ने जियो लॉन्च कर दिया। इसके लॉन्च होते ही वोडाफोन-आइडिया और एयरटेल को भारी नुकसान हो गया और इन्हें भी अपने रेट कम करने पड़े क्योंकि जियो फ्री में लॉन्च किया गया था। इसके सिम हाथों-हाथ बिके और कम समय में करोड़ों लोग जियो का सिम यूज करने लगे थे। वहीं अनिल अंबानी ने बिग सिनेमा, रिलायंस बिग ब्रॉडकास्टिंग और बिग मैजिक जैसी कंपनियां बेच दी थीं।