अध्यात्म
शुरू हो गया है अगहन मास, लक्ष्मी प्राप्ति और खुशहाली के लिए ज़रूर कीजिये ये काम
अगहन मास शुरू हो गया है और इस मास को बेहद ही पवित्र मास माना जाता है। इस मास के दौरान लोगों द्वारा धार्मिक कार्य किए जाते हैं और रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठा जाता है। अगहन मास के दौरान शंख पूजा और श्रीकृष्ण पूजा का भी विशेष महत्व होता है। इस मास के दौरान स्नान, दान और पूजा-पाठ करना बेहद ही फलदायक माना जाता है। जबकि कई लोगों द्वारा अगहन मास के दौरान रोज भजन-कीर्तन भी किए जाते हैं। इस साल ये महीने 12 नवंबर से शुरु हो गया है जो कि 13 दिसंबर तक रहेगा। अगहन मास के साथ ही हेमंत ऋतु यानी पितरों की ऋतु भी शुरू हो जाती है और ऐसा माना जाता है कि इस मास के दौरान रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करने से मन को शांति मिलती है। इस मास को श्री कृष्ण जी का प्रिय मास भी कहा जाता है और इसलिए इस मास में कृष्ण जी की पूजा जरूर की जाती है।
पूजा विधि
- अगहन मास के हर दिन आप सुबह और शाम के समय श्री कृष्ण जी और शंख की पूजा करें।
- आप रोज सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद पूजा घर की अच्छे से सफाई करें।
- इसके बाद श्री कृष्ण जी की मूर्ति को नए वस्त्र अर्पित करें और मूर्ति के सामने एक दीपक जला दें। दीपक जलाने के बाद श्री कृष्ण जी को फूल अर्पित करें और उन्हें भोग लगाएं। याद रहे की भोग में आप उन्हें तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाएं।
- कृं कृष्णाय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें। इसके अलावा आप ऊँ नमो भगवते गोविन्दाय, ऊँ नमो भगवते नन्दपुत्राय या ऊँ कृष्णाय गोविन्दाय नमो नम: मंत्रों को भी पढ़ सकते हैं।
- मंत्र पढ़ने के बाद आप आरती गाएं और आरती पूरी होने के बाद भोग को प्रसाद के रूप में बांट दें और खुद भी ग्रहण कर लें।
- हो सके तो आप इस मास के दौरान रोज मंदिर जाएं और राधा और कृष्ण जी के सामने एक दीपक जलाएं।
अगहन मास के दौरान करें ये काम
- अगहन मास के दौरान आप ब्राह्मणों की सेवा करें और गरीब लोगों को दान करें।
- इस मास के दौरान हो सकते तो पवित्र नदियों में जाकर स्नान जरूर करें।
- इस मास में आप जितना हो सके उतना भजन और कीर्तन भी करें।
- शाम के समय तुलसी के सामने दीपक जरूर जलाएं।
वैज्ञानिक महत्व
- अगहन मास से वैज्ञानिक महत्व भी जुड़ा हुआ है और इस महीने को रोगों को दूर करने वाला महीना भी कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस महीने में वातावरण अनुकूल हो जाता है और अनुकूल वातावरण होने से शरीर की रक्षा कई तरह के सूक्ष्मजीवों से होती हैं।
- अगहन मास के दौरान सूर्य की किरणें अमृत के सामान होती हैं और इन किरणों से रोगाणु समाप्त हो जाते हैं।
- अगहन मास के दौरान चलने वाली हवा बेहद ही ताजी होती है और ये हवा शरीर के लिए उत्तम माना जाती है।