Interesting

एक दिन के लिए दुल्हन बनते हैं किन्नर, इनकी शादी के रिवाज़ देख कर दांतो तले ऊँगली दबा लेंगे

किन्नर समुदाय के लोगों का जीवन बेहद ही संघर्ष भरा होता है और इस समुदाय के लोगों को आम लोगों द्वारा अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है। हमारे समाज में किन्नर समुदाय के लोगों को अन्य लोगों की तरह सामान दर्जा भी नहीं मिलता है और ये अपना जीवनयापन करने के लिए लोगों से पैसे मांगने का कार्य करते हैं। किन्नरों के जीवन का संघर्ष जन्म लेने के साथ ही शुरू हो जाता है और मरते दम तक रहता है।

कौन होते हैं किन्नर

किन्नर को तीसरे जेंडर का दर्जा प्राप्त है और ये ट्रांसजेंडर समुदाय के लोग होते हैं। किन्नर आम लोगों की दुनिया से कटकर रहते हैं और ये अपने समुदाय के बीच में ही रहा करते हैं। किन्नर की जिंदगी बेहद ही परेशानियों भरी होती है। क्योंकि इन्हें आसानी से कोई भी काम पर नहीं रखता है और काम ना मिलने की वजह से ही ये लोग शादियों में, बच्चा होने पर नाच-गाकर और सिंगल पर लोगों से पैसे मांगते हैं।

वहीं किन्नरों द्वारा जब भी शादियों या बच्चा होने पर पैसे मांगे जाते हैं, तो लोग बिना कुछ कहें इनको पैसे थमा देते हैं। दरअसल किन्नरों की दुआ और बद्दुआ को बेहद ही असरदार माना जाता है और ऐसा कहा जाता है कि इनके द्वारा दी गई दुआ और बद्दुआ जरूर लगती है। इसी वजह से जब भी ये लोगों से पैसे मांगते हैं तो इनकी बद्दुआ ना लगने के डर से लोग इन्हें पैसे दे दिया करते हैं। हालांकि आपने कभी ये सोचा है कि आखिर क्यों किन्नरों की दुआ और बद्दुआ को इतना असरदार माना जाता है और क्यों लोग इनसे बद्दुआ नहीं लेना चाहते हैं ?

दरअसल किन्नरों की जिंदगी बेहद ही दुखों से भरी होती है और अपनी जिंदगी में ये केवल लोगों की नफरत का ही सामना करते हैं। किन्नरों के साथ होने वाले भेदभाव के कारण ही  इनकी बद्दुआ और दुआ को असरदार माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि ये लोग दिल से बेहद ही दुखी होते हैं और दुखी दिल से निकली हर बात सच हो जाती है। शादी में आकर किन्नर लोगों को दुआ ही देते हैं। हालांकि अगर इनको पैसे ना दिए जाए तो इनके मुंह से केवल बद्दुआ ही निकलती है और इनकी बद्दुआ से बचने के लिए लोग बिना कुछ कहें इनको पैसे दे देते हैं।

नहीं दिलाते लोग गुस्सा

किन्नरों को गुस्सा दिलाना भी सही नहीं माना जाता है। इसलिए जब भी ये कोई मांग लोगों से करते हैं तो लोग उस मांग को पूरा कर देते हैं। ताकि इनके मन से केवल उनके लिए दुआ ही निकले।

होती है एक दिन की शादी

जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है और अगर वो किन्नर हो, तो उसे तुरंत किन्नर समुदाय के लोगों को सौंप दिया जाता है। इस समुदाय के लोगों द्वारा ही उस बच्चे को पाला जाता है और उसकी देखभाल की जाती है। वहीं जब वो बच्चा बड़ा हो जाता है तो उसकी शादी भी की जाती है और ये शादी केवल एक दिन की होती है।

दरअसल किन्नरों की शादी से एक  पौराणिक कथा जुड़ी हुई है और ये कथा महाभारत काल की है। कहा जाता है कि अर्जुन और नागा राजकुमारी उलूपी का अरावन नाम का एक बेटा था। जो कि युद्ध के वक्त देवी काली को खुश करने के लिए अपनी बलि देना चाहता था। हालांकि बलि देने से पहले अरावन ने शादी करने की इच्छा जाहिर की थी। लेकिन कोई भी राजा अपनी बेटी की शादी अरावन से नहीं करवाता है। तब श्रीकृष्ण जी मोहिनी का रूप धारण कर अरावन से शादी कर लेते हैं और शादी के अगले दिन ही अरवान अपनी बलि दे देता है। वहीं दक्षिण भारत में ज्यादातर हिंदू किन्नर अरावन को ही अपना देवता मानते हैं और इनकी पूजा करते हैं। अपने देवता से किन्नर एक दिन का विवाह करते हैं और विवाह के अगले दिन ही अरावन को मृत मानकर विधवा हो जाते हैं और विधवा होने का मातम मानते हैं।

किन्नरों को मंगलकारी माना जाता है और इनकी कही हर बात जरूर सच होती है। इसके अलावा ये भी माना जाता है कि अगर किन्नर से लिया गया सिक्का अपने पास रखा जाए तो जीवन में कभी भी पैसों की कमी नहीं होती है और आप धनवान बन जाते हैं।

Back to top button