सेना प्रमुख को रक्षामंत्री पर्रिकर का पूरा समर्थन, आतंकियों के मददगारों से निपटने के लिए सेना को खुली छूट!
एक बार फिर से कश्मीर की सियासत गर्म है लेकिन इस बार मुद्दा आर्मी चीफ बिपिन रावत का बयान और उस पर रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का समर्थन बना है. रक्षामंत्री मोनहर पर्रिकर ने सेना प्रमुख बिपिन रावत के उस बयान को खुलकर समर्थन किया है, जिसमें सेना प्रमुख ने कहा था कि आतंकियों का साथ देने वाले भी आतंकी हैं.
सेना प्रमुख को रक्षामंत्री जी का पूरा समर्थन :
पर्रिकर ने एक निजी चैनल से बातचीत में कहा कि सेना के ऑपरेशन में स्थानीय लेवल पर किसी ने रुकावट डालने की कोशिश की तो, उस समय कमांडिंग ऑफिसर को निर्णय लेने का पूरा अधिकार होता है. पर्रिकर ने कहा कि सेना हर कश्मीरी को आतंकियों का समर्थक नहीं मानती है, लेकिन जो आतकियों के साथ है, वह आतंकी ही है.
पर्रिकर से पहले केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने सेना प्रमुख के बयान का बचाव किया था. रिजिजू ने कहा था, कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों के शत्रुतापूर्ण रवैये की वजह से ज्यादा लोग हताहत होते हैं. सुरक्षा बलों की आतंकरोधी अभियानों के दौरान हमला करने वालों के साथ राष्ट्रविरोधी तौर पर बर्ताव करना होगा. ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.
बता दें कि पर्रिकर और रिजिजू की यह टिप्पणी जनरल रावत के बयान की पृष्ठभूमि में आई है. जनरल रावत ने कहा था कि जम्मू कश्मीर में स्थानीय लोग जिस तरह से सुरक्षा बलों को अभियान संचालित करने में रोक रहे हैं उससे अधिक संख्या में जवान हताहत हो रहे हैं. साथ ही रावत ने कहा था, ‘हम स्थानीय लोगों से अपील करते हैं कि अगर किसी ने हथियार उठा लिए हैं और वह स्थानीय लड़के हैं. अगर वे आतंकी गतिविधियों में लिप्ट रहना चाहते हैं, आईएसआईएस और पाकिस्तान के झंडे लहराते हैं तो हम लोग उन्हें राष्ट्र विरोधी तत्व मानेंगे और उनके खिलाफ एक्शन लेंगे.’ कश्मीर घाटी में दो अलग-अलग मुठभेड़ों में एक मेजर समेत सेना के चार जवानों शहीद होने के एक दिन बाद जनरल रावत का यह बयान सामने आया था. फिलहाल घाटी में बिपिन रावत के बयान के बाद विपक्षी पार्टियां इस बयान का पुरजोर विरोध कर रही है. कांग्रेस ने इसे ‘ज्यादती’, तो कश्मीर में विपक्षी नैशनल कॉन्फ्रेंस इसे ‘दुखद’ करार दिया था.