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सब से छुपकर रात को निकाली जाती है किन्‍नरों की अंतिम यात्रा, नहीं होता है किसी को देखने की इजाजत

हमारे समुदाय में किन्नरों को अच्छी नजर से नहीं देखा जाता है, मगर इनकी दुओं को बेहद ही असरदार माना जाता है और इनसे कोई भी इंसान बद्दुआ नहीं लेना चाहता है। शादी या बच्चा होने के समय किन्नरों का आना शुभ माना जाता है और लोग इनकी दुआएं जरूर लेते हैं।

किन्नरों का जीवन कैसा होता है इस पर लोगों द्वारा चर्चा नहीं की जाती है और किन्नरों की जिदंगी एक रहस्यमह जिंदगी मानी जाती है। आज हम आपको किन्नरों की जिंदगी से जुड़े कुछ ऐसे ही पहलू बताने जा रहे हैं जिनके बारे में आपको शायद ही पता होगा।

होती हैं आध्यात्मिक शक्ति

किन्नरों को तीसरा जेंडर माना जाता है और किन्नरों की दुनिया हम लोगों की दुनिया से एकदम अलग होती है। ऐसा कहा जाता है कि इनको अपनी मौत का आभास पहले ही हो जाता है और मौत का आभास होने के साथ ही ये दुनिया से कट जाते हैं और अकेले रहना शुरू कर देते हैं। इतना ही नहीं किन्नरों को जब अपनी मौत का आभास होता है तो ये भोजन करना बंद कर देते हैं और केवल पानी ही पीया करते हैं।

ईश्वर से करते हैं दुआ

मौत आने से कुछ दिनों पहले ही किन्नर भगवान की प्रार्थन में लग जाते हैं और भगवान से बस यही दुआ करते हैं कि उनको अगले जन्म में किन्नर ना बनाएं। जब अन्य किन्नरों को अपने साथी की मौत होने के बारे में पता चलता है, तो वो अपने साथी से दुआ जरूर लेते हैं। दरअसल मान्यता है कि मरणासन्न किन्नर से दुआ लेना अच्छा होता है और इनके द्वारा दी गई दुआ जरूर लगती है।

नहीं लगने देते अन्य लोगों को मौत की खबर

जब किसी किन्नर को मौत का आभास होता है तो इसकी जानकारी केवल किन्नर समुदाय को ही दी जाती है। किन्नर समुदाय के अलावा किसी बाहरी व्यक्ति को किन्नर की मौत की खबर ना पता चले इसकी सावधानी भी बरती जाती है। यहां तक शव दफनाने की जानकारी भी लोगों को नहीं दी जाती है।

अलग तरह से निकलती है शव यात्रा

किन्नरों की शव यात्रा भी बेहद ही अलग तरह से निकाली जाती है और इनके शव को खड़ा करके अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जाता है। वहीं किन्नर की शव यात्रा देखना अशुभ माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर आम लोग  मृत किन्नर का शरीर देख लेते हैं तो वो अगले जन्म में किन्नर बन जाते हैं।

मृत किन्नर को दी जाती है गाली

किन्नर के मरने के बाद उसे अन्य किन्नरों द्वारा खूब सारी गालियां दी जाती है और शव यात्रा से पहले मृतक को जूते-चप्पलों से पीटा भी जाता है। ताकि अगर किन्नर से कोई गलती हुई हो तो उसका प्रायश्चित हो जाए और अगले जन्म वो आम इंसान बनकर आए।

रात में दफनाया जाता है

किन्नरों के शव को जलाया नहीं जाता है और किन्नरों का अंतिम संस्कार गुप्त तरीके से होता है। इनके शव को रात के समय दफनाया जाता है। ताकि कोई इंसान इनको देख ना लें। वहीं शव दफनाने से पहले किन्नर के मुंह में पवित्र नदी का पानी भी डाला जाता है।

एक सप्ताह तक रखते हैं व्रत

अपने करीबी किन्नर की मौत होने के बाद किन्नरों द्वारा एक सप्ताह तक व्रत करा जाता है और भगवान से दुआ की जाती है कि मृतक किन्नर को अगले जन्म में आम इंसान का जीवन जीने को मिले।

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