अध्यात्म

पद्मनाभ स्वामी मंदिर में 3 मुद्राओं में हैं भगवान विष्णु, मंदिर के 7 दरवाजों के पीछे है ऐसा रहस्य

भगवान विष्णु द्वारा इस संसार के कार्यभार को देखा जाता है और इन्हें सभी देवों में सबसे उच्च माना जाता है। भगवान विष्णु को कई नामों से जाना जाता है और इनकी कुल 9 अवतारों की पूजा की जाती है। तिरुवनंतपुरम का पद्मनाभ स्वामी मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में आकर विष्णु जी की पूजा करने से जीवन के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और मनचाही चीज प्राप्त हो जाती है।

इस मंदिर में भगवान विष्णु शेषनाग पर शयन मुद्रा में विराजमान हैं। मान्यता है कि इस मंदिर को 5 हजार साल पहले बनाया गया था। ये बेहद ही भव्य मंदिर है और इस मंदिर से जुडी एक मान्यता के अनुसार यहां पर श्री कृष्ण के बड़े भाई बलराम ने आकर पूजा की थी।

किया था पुनर्निर्माण

मान्यता है कि इस मंदिर को 6वीं शताब्‍दी में त्रावणकोर के राजाओं ने बनवाया था जिसका जिक्र 9वीं शताब्‍दी के ग्रंथों में भी आता है। 1750 में महाराज मार्तंड वर्मा ने खुद को भगवान का सेवक यानी की ‘पद्मनाभ दास’ बताया। इसके साथ ही त्रावणकोर राजघराने ने पूरी तरह से भगवान को अपना जीवन और संपत्ति सौंप दी है। बता दें कि 1947 तक त्रावणकोर के राजाओं ने इस राज्‍य में राज किया था। फिलहाल मंदिर की देख-रेख का कार्य शाही परिवार के अधीन एक प्राइवेट ट्रस्ट संभाल रहा है।। इस मंदिर में विष्णु जी के अलावा श्रीदेवी और भूदेवी की मूर्तियां भी स्थापित हैं। जबकि मंदिर के प्रवेश द्वार पर भी भगवान विष्णु की लेटी हुई प्रतिमा बनाई गई है। वहीं गर्भ गृह में रखी गई भगवान विष्णु की मूर्ति का श्रृंगार सोने के आभूषणों से किया जाता है और ये प्रतिमा लेटी हुई मुद्रा में है। हर समय मुख्य कक्ष में विष्णु जी की मूर्ति के  सामने दीपक भी जलता रहता है।

लेटी हुई प्रतिमा के अलावा इस मंदिर में भगवान विष्णु की बैठी हुई और खड़ी मूर्तियां भी स्थापित की गई हैं। गर्भ गृह में भगवान विष्णु की शयनमुद्रा में मूर्ति रखी गई है और इस प्रतिमा को रोज ताजे फूल चढा़ए जाते हैं। जबकि भगवान विष्णु की खड़ी प्रतिमा को विशेष उत्सवों के दौरान मंदिर से बाहर ले जाया जाता है और पवित्र स्नान करवाया जाता है। भगवान विष्णु के अलावा विशेष अवसरों पर नरसिंह और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्तियों को भी स्नान कराया जाता है। ये स्नान समुद्र के किनारे करवाया जाता है।

बना है सोने का स्तंभ

इस मंदिर में सोने का काम किया गया है और यहां पर एक स्वर्ण स्तंभ भी बनाया हुआ है। ये सोने का स्तंभ बेहद ही सुंदर है और जो भी लोग इस मंदिर में आते हैं वो विष्णु जी के दर्शन करने के बाद इस स्तंभ के दर्शन जरूर करते हैं। इसके अलावा मंदिर की दीवारों पर किया गया कार्य भी बेहद ही सुंदर है।

मंदिर के 7 दरवाजों के पीछे ऐसा रहस्य, डरती है दुनिया खुल गया तो

पद्मनाभ स्वामी मंदिर, भगवान विष्णु को समर्पित है, जो पूरी दुनिया में मशहूर है। साथ ही दुनिया के कुछ रहस्यमय जगहों में इसकी गिनती होती है। दरअसल, यहां ऐसे कई रहस्य हैं, जिन्हें कई कोशिशों के बाद भी लोग इसको सुलझा नहीं पाएं हैं। इस मंदिर का सातवां दरवाजा हर किसी के लिए एक पहेली बना हुआ है, बताया जाता है यह दरवाजा केवल एक इंसान खोल सकता है और दूसरा नहीं। आइए जानते हैं आखिर क्या है इस सातवें दरवाजे का रहस्य…

इस मंदिर में 7 तहखाने हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट की निगरानी खोले गए थे, जिसमें एक लाख करोड़ रुपये के हीरे और जूलरी निकली थी। इसके बाद जैसे ही टीम ने वॉल्ट-बी यानी की सातवां दरवाजे के खोलने की शुरुआत की, तो दरवाजे पर बने कोबरा सांप के चित्र को देखकर काम रोक दिया गया। कई लोगों की मान्यता थी कि इस दरवाजे को खोलना अशुभ होगा।

शापित बताया जाता है दरवाजा

मान्यताओं के अनुसार, त्रावणकोर के महाराज ने बेशकीमती खजाने को इस मंदिर के तहखाने और मोटी दीवारों के पीछे छुपाया था। जिसके बाद हजारों सालों तक किसी ने इन दरवाजो खोलने की हिमाकत नहीं की है और इस तरह से बाद में इसे शापित माना जाने लगा। कथाओं के अनुसार, एक बार खजाने की खोज करते हुए किसी ने 7वें दरवाजे को खोलने की कोशिश की, लेकिन कहते हैं कि जहरीले सांपों के काटने से सबकी मौत हो गई।

दरवाजे खोलने पर आ सकती है प्रलय

बताया जाता है कि ये दुनिया का सबसे धनी हिंदू मंदिर है जिसमें बेशकीमती हीरे-जवाहरात जड़े हैं। इस दरवाजे को सिर्फ कुछ मंत्रों के उच्चारण से ही खोला जा सकता है। इस मंदिर को किसी भी तरह खोला गया तो मंदिर नष्ट हो सकता है, जिससे भारी प्रलय तक आ सकती है। दरअसल ये दरवाजा स्टील का बना है। इस पर दो सांप बने हुए हैं, जो इस द्वार की रक्षा करते हैं। इसमें कोई नट-बोल्ट या कब्जा नहीं हैं

मंत्रों से खुल सकता है इस मंदिर का दरवाजा

कहा जाता है कि इस दरवाजे को ‘नाग बंधम’ या ‘नाग पाशम’ मंत्रों का प्रयोग कर बंद किया है। इसे केवल ‘गरुड़ मंत्र’ का स्पष्ट और सटीक मंत्रोच्चार करके ही खोला जा सकता है। अगर इसमें कोई गलती हो गई तो मृत्यु निश्चित मानी जाती है। बताया जाता है कि फिलहाल भारत तो क्या दुनिया के किसी भी कोने में ऐसा सिद्ध पुरुष नहीं मिल सका है तो इस मंदिर की गुत्थी सुलझा सके।

करोड़ों-अरबों का हो सकता है खजाना

कहा जाता है कि इस मंदिर के खजाने में दो लाख करोड़ का सोना है। मगर इतिहासकारों के अनुसार, असल में इसकी अनुमानित राशि इससे कहीं दस गुना ज्यादा होगी। इस खजाने में सोने-चांदी के महंगे चेन, हीरा, पन्ना, रूबी, दूसरे कीमती पत्थर, सोने की मूर्तियां, रूबी जैसी कई बेशकीमती चीजें हैं, जिनकी असली कीमत आंकना बेहद मुश्किल है।

 जाने मंदिर से जुड़े हैं ये नियम

  • अगर आप पद्मनाभ स्वामी मंदिर जाना चाहते हैं, तो इस मंदिर में प्रवेश करने से जुड़े नियमों को भी अच्छे से जान लें। क्योंकि इस मंदिर में केवल उन्हीं पुरुष को प्रवेश करने की अनुमित होती है जो कि धोती में होते हैं। जबकि महिलाओं का साड़ी पहनना जरूर होता है।
  • रोज हजारों की संख्या में लोग आते हैं और मंदिर में प्रवेश करने के लिए लंबी लाइन में लगना पड़ता है। ये मंदिर रात के 8.30 बजे तक ही खुली रहता है और रात की आरती के बाद इसे बंद कर दिया जाता है।

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