अध्यात्म

Vaikuntha Chaturdashi 2019: जानें वैकुण्ठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा

Vaikuntha Chaturdashi 2019:  वैकुण्ठ चतुर्दशी हर वर्ष कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को आती है और ऐसा माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव जी इस संसार का कार्यभार भगवान विष्णु जी को सौंप देते हैं। इस साल 11 नवंबर यानी सोमवार के दिन वैकुण्ठ चतुर्दशी आ रही है। इस दिन मंदिरों में विशेष पूजा की जाती है और कई सारी जगह पर तो हरिहर मिलन सवारी भी निकाली जाती है।

वैकुण्ठ चतुर्दशी की पौराणिक कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव भगवान विष्णु से मिलने के लिए जाते हैं और भगवान विष्णु से भेट करने के बाद उनको इस संसार का कार्यभार चार महीनों के लिए सौंप देते हैं। कार्यभार सौंपने के बाद शिव जी आराम करने के लिए कैलाश की यात्रा पर निकल जाते है। इस दिन को प्रति  हरिहर मिलन भी कहा जाता है और इस श्री महाकालेश्वर मंदिर में विशेष पूजा की जाती है।

शास्त्रों के अनुसार देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु द्वारा विश्राम किया जाता है और इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु इस दुनिया का कार्य भार शिव जी को सौंप देते हैं। वहीं कार्तिम मास की एकादशी को विष्णु भगवान जी योग मुद्रा से जाग जाते हैं। जिसके बाद वैकुंठ चतुर्दशी के दिन भगवान शिव वापस से विष्णु जी को इस संसार का कार्यभार सौंप देते हैं और कैलाश चले जाते हैं।

देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक भगवान विष्णु के आराम मुद्रा में होने के कारण ही इस संसार में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं कार्तिम मास की एकादशी को विष्णु जी के जागने के साथ ही शुभ कार्यों का आरंभ हो जाता है। अगर सरल शब्द में कहा जाए तो जब संसार का कार्यभर भगवान विष्णु जी के पास आ जाती है तो शुभ कार्य शुरू हो जाते हैं।

वैकुण्ठ चतुर्दशी का मुहूर्त

इस साल वैकुण्ठ चतुर्दशी 11 नवंबर को आ रही है। पड़ितों के अनुसार चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ 10 नवंबर को शाम 04 बजकर 33 मिनट से हो रहा जो कि 11 नवंबर को शाम 06 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इसलिए 11 नवंबर को वैकुण्ठ चतुर्दशी मनाई जाएगी।

व्रत और पूजा

  • वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन भक्तों द्वारा व्रत रखा जाता है और हरिहर की पूजा की जाती है।
  • वैकुण्ठ चतुर्दशी के दिन सुबह स्नान किया जाता है और नए वस्त्र धारण करके पूजा शुरू की जाती है।
  • इस दिन सुबह के समय पहले शिव जी पूजा की जाती है और शिव को जल चढ़ाया जाता है। वहीं रात के समय भगवान विष्णु की पूजा होता है और इनका पूजन करते समय इनको कमल पुष्प अर्पित किए जाते हैं।
  • इस दिन कई लोगों द्वारा व्रत भी रखा जाता है और इस व्रत को अगले दिन तोड़ा जाता है। अगले दिन सुबह उठाकर स्नान किया जाता है और उसके बाद भगवान की पूजा की जाती है। ये करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है।
  • भोजन करवाने के बाद ये व्रत तोड़ दिया जाता है। इसके अलावा कई लोग इस दिन दाल, चावल, तेल और इत्यादि चीजों का दान भी किया करते हैं।

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