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अयोध्या में ‘राम लला’ का बनेगा भव्य मंदिर, सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया सुप्रीम फैसला

लम्बे इंतज़ार के बाद अयोध्या मामले पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया हैं. सुप्रीम कोर्ट के अनुसार अयोध्या की विवादित जमीन ‘राम लला’ के हिस्से में आई हैं. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दिया हैं कि वो सुन्नी वक्फ बोर्ड को दूसरी जगह मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ की जमीन मुहैया कराए. इसके साथ ही केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया हैं कि सरकार अगले तीन महीने में मंदिर निर्माण कार्य की रूप रेखा तैयार करे. इसके अतिरिक्त केंद्र सरकार को इस मामले हेतु ट्रस्ट बनाने का आदेश भी सुप्रीम कोर्ट से मिला हैं. यही ट्रस्ट इस मंदिर निर्माण कार्य को मॉनिटर करने का काम करेगा. वहीं इस मामले के रिसरे पक्ष यानी निर्मोही अखाड़े की बात करे तो सुप्रीम कोर्ट का आदेश हैं कि ट्रस्ट बोर्ड अपनी स्कीम में निर्मोहो अखाड़े को एक उचित प्रतिनिधत्व करने का मौका मिले. सुप्रिम कोर्ट ने ये आदेश आर्टिकल 142 के तहत दिया हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में बताया कि मुस्लिम पक्ष अयोध्या जमीन पर अपना दावा साबित करने में नाकामयाब रही हैं. वहीं इस बात का भी जिक्र हुआ कि उस विवादित गुम्बद के नीचे एसएसआई को जो विशाल संरचना मिली हैं वो इस्लामिक नहीं हैं. कोर्ट ने इस बात पर भी जोर दिया कि सिर्फ आस्था के आधार पर किसी को भी मालिकाना हक़ नहीं दिया जा सकता हैं इसका फैसला कानून के आधार पर ही होगा. वहीं ASI रिपोर्ट के आधार पर फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट का कहना हैं कि मंदिर तोड़कर ही मस्जिद बनाई गई थी इस बात का भी कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला हैं.

तो हम अंतिम फैसले को संक्षेप में बताए तो अयोध्या की विवादित भूमि राम लला के पक्ष में आती हैं वहीं मुस्लिम पक्ष यानी सुन्नी वक्फ बोर्ड को केंद्र सरकार मस्जिद बनाने हेतु अलग से 5 एकड़ की जमीन देगी.

निर्मोही अखाड़े के प्रवक्ता ने कहा:

निर्मोही अखाड़े के प्रवक्ता कार्तिक चोपड़ा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारी 150 साल पुरानी लड़ाई को पहचाना, इसके लिए हम उनका शुक्रिया अदा करते हैं। अदालत ने निर्मोही अखाड़े को ट्रस्ट में उचित जगह दी है।

हिंदू महासभा के वकील ने कहा:
हिंदू महासभा के वकील वरुण कुमार सिन्हा ने इस फैसले को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने इसके जरिए एकता का संदेश दिया है।

मुस्लिम पक्ष ने कहा, फैसले का सम्मान करेंगे:
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील जफरयाब जिलानी ने कहा कि हम फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन हम इससे संतुष्ट नहीं हैं। हम आगे की कार्रवाई पर जल्द ही फैसला लेंगे।

मध्यस्थता करने वालों की प्रशंसा:
सुप्रीम कोर्ट ने विवाद में मध्यस्थ की भूमिका निभाने वाले जस्टिस कलिफुल्ला, श्रीराम पांचू और श्रीश्री रविशंकर की प्रशंसा की।
अदालत ने कहा कि 02.77 एकड़ जमीन केंद्र सरकार के अधीन ही रहेगी। साथ ही निर्मोही अखाड़े को मंदिर के लिए बनाए जाने वाले ट्रस्ट में जगह दी जाए, हालांकि यह केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा।

मस्जिद गिराना कानून का उल्लंघन: सुप्रीम कोर्ट
बाबरी मस्जिद विध्वंस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद को गिराना कानून का उल्लंघन है।
अदालत ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि तीन महीने के भीतर मंदिर बनाने के लिए ट्रस्ट बनाया जाए और मुस्लिम पक्ष को अलग से पांच एकड़ जमीन दी जाए। इस जमीन पर नई मस्जिद बनाई जाएगी।

सुन्नी वक्फ बोर्ड अपना दावा रखने में विफल हुआ: कोर्ट
अदालत ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड अयोध्या विवाद में अपना दावा रखने में विफल हुआ है। मुस्लिम पक्ष ऐसे सबूत पेश करने में विफल रहा है कि जिससे यह साबित हो सके कि विवादित जमीन पर सिर्फ उसका ही अधिकार है।
कोर्ट ने फैसले में कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड को अलग जमीन दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिए हैं कि मुस्लिमों को नई मस्जिद बनाने के लिए वैकल्पिक जमीन दी जाए।

मुस्लिम अंदर नमाज पढ़ते थे और हिंदू बाहरी परिसर में पूजा करते थे :
यह स्पष्ट है कि मुस्लिम अंदर नमाज पढ़ा करते थे और हिंदू बाहरी परिसर में पूजा किया करते थे।
हालांकि हिंदुओं ने गर्भगृह पर भी अपना दावा कर दिया। जबकि मुस्लिमों ने मस्जिद को छोड़ा नहीं था।

कोर्ट ने कहा- रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं :
अदालत ने यह भी कहा कि रामजन्मभूमि कोई व्यक्ति नहीं है, जो कानून के दायरे में आता हो।
अदालत ने कहा कि आस्था के आधार पर फैसले नहीं लिए जा सकते हैं। ये विवाद सुलझाने के लिए सांकेतक जरूर हो सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अंग्रेजों के शासनकाल में राम चबूतरा और सीता रसोई में पूजा हुआ करती थी। इस बात के सबूत हैं कि हिंदुओं के पास विवादित जमीन के बाहरी हिस्से का कब्जा था।

निर्मोही अखाड़ा न तो सेवादार और ना ही श्रद्धालु: कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि निर्मोही अखाड़ा न तो सेवादार है और न ही भगवान रामलला के श्रद्धालु है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि ‘लिमिटेशन’ की वजह से अखाड़े का दावा खारिज हुआ था।

खाली जमीन पर नहीं थी मस्जिद: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाबरी मस्जिद खाली जमीन पर नहीं बनी थी। एएसआई के मुताबिक मंदिर के ढांचे के ऊपर ही मंदिर बनाया गया था।
अदालत ने कहा कि हिंदू इसे भगवान राम की जन्मभूमि मानते हैं। उनकी अपनी धार्मिक भावनाएं हैं। मुस्लिम इसे मस्जिद कहते हैं। हिंदुओं का मानना है कि भगवान राम केंद्रीय गुंबद के नीचे जन्मे थे। यह व्यक्तिगत आस्था की बात है।

चीफ जस्टिस बोले संतुलन बनाना होगा :
चीफ जस्टिस ने फैसला पढ़ते हुए कहा कि अदालत को लोगों की आस्था को स्वीकार करना होगा। अदालत को संतुलन बनाना होगा।
निर्मोही अखाड़े के दावे पर फैसला सुनाते हुए शीर्ष अदालत ने पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट पर भरोसा जताया। कोर्ट ने कहा कि इस पर शक नहीं किया जा सकता। साथ ही पुरातत्व विभाग की खोज को नजरअंदाज करना मुश्किल है।

शिया वक्फ बोर्ड का दावा खारिज :
चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हम शिया वक्फ बोर्ड की विशेष याचिका को खारिज करते हैं। शिया वक्फ बोर्ड ने 1946 में फैजाबाद कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी।
अदालत ने कहा कि बाबरी मस्जिद मीर बकी ने बनवाई थी। अदालत के लिए धर्मशास्त्र के क्षेत्र में जाना सही नहीं होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि राजस्व रिकॉर्ड में विवादित जमीन सरकारी जमीन के नाम पर दर्ज है।

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