अध्यात्म

भोजन चुराते हुए पकड़ा गया था एक गरीब ब्राह्मण और फिर बन गए धन के देवता कुबेर, जानिये पूरी कहानी

जो लोग धन की इच्छा रखते हैं वह हमेशा धन की देवी महालक्ष्मी की पूजा करते हैं. महालक्ष्मी की पूजा धन की देवी के रूप में की जाती है और धन के देवता के रूप में कुबेर देव को पूजा जाता है. सभी लोगों को शायद एक गरीब ब्राह्मण से लेकर कुबेर बनने तक की कहानी नहीं पता है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि असल में कुबेर देव कौन थे और किस की कृपा दृष्टि से वह धन के देवता बन गए. एक पौराणिक कथा के अनुसार कुबेर देव पूर्वजन्म में गुणनिधि नाम के गरीब ब्राह्मण थे. उन्होंने अपने पिता से धर्मशात्रों की शिक्षा ग्रहण की थी. पर समय के साथ वह धीरे धीरे गलत संगत में पड गए और उन्हें चोरी करने और जुआ खेलने की बुरी आदत लग गयी. गुणनिधि की इन आदतों से परेशान होकर उनके पिता ने उन्हें घर से बाहर निकाल दिया. घर से बाहर निकाले जाने के गुणनिधि की हालत बहुत खराब होने लगी और वह लोगों के घर जाकर खाना मांगने लगे. एक दिन गुणनिधि खाने की तलाश में यहाँ वहां भटक रहे थे. पर उन्हें किसी ने भी खाने के लिए कुछ भी नहीं दिया. भूक और प्यास से परेशान और बेहाल होकर गुणनिधि भोजन की तलाश में जंगल की ओर चल दिए. उसी वक़्त उन्हें कुछ लोग भोग का सामन ले जाते हुए दिखे.

भोग के सामान को देख कर गुणनिधि भूख से और भी ज़्यादा व्याकुल हो गए. खाने के लालच में वो ब्राम्हणो के पीछे पीछे चलने लगे. ब्राह्मणों के पीछे चलते चलते वो एक शिव मंदिर में पहुँच गए. जहां पर उन्होंने देखा कि सभी लोग मंदिर में भगवान शिव की पूजा कर रहे थे और भगवान शंकर को भोग अर्पण करने के बाद सभी लोग भजन कीर्तन में व्यस्त हो गए. तब गुणनिधि शिव मंदिर में भोग का प्रसाद चुराने के लिए बैठ गए. जब ब्राम्हण भजन कीर्तन समाप्त करके सो गए तब गुणनिधि को भोग चुराने का मौका मिला. वो धीरे-धीरे दबे पाव भगवान शिव की मूर्ति के पास गए और वहां पर भोग के रूप में रखा हुआ भोजन चुराकर भागने लगे, पर भागते समय एक ब्राम्हण की नींद खुल गयी और उसने गुणनिधि को भोग चुराकर भागते हुए देख लिया. तब ब्राम्हण ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगा.

अब गुणनिधि वहां से बच कर भागने लगे पर नगर के रक्षक ने उन्हें पकड़ लिया और उनकी मृत्यु हो गयी भोग चुराते समय गुणनिधि की मृत्यु हो गई लेकिन अनजाने में ही गुणनिधि ने महाशिवरात्रि के व्रत का पूरी तरह से पालन किया और इस व्रत के प्रभाव से अगले जन्म में कलिंग देश के राजा बने. इस जन्म में गुणनिधि भगवान शिव के परम भक्त हुए. वह हमेशा शिव भगवान् की पूजा करते और उनकी भक्ति में खोये रहते. उनकी श्रद्धा और कठिन तपस्या को देखकर भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्हें वरदान के रूप में यक्षों का स्वामी और देवताओं का कोषाध्यक्ष नियुक्त कर दिया. मान्यताओं के अनुसार जो लोग सच्चे मन से भगवान् शिव की पूजा करते है उनकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है. भगवान शिव की माया और महिमा से गरीब ब्राम्हण गुननिधि धन के देवता कुबेर बन गए. और संसार में उनकी पूजा की जाने लगी. जो लोग भक्ति श्रद्धा और विधि विधान के साथ कुबेर देव की पूजा करते हैं उनके जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं आती है और उसके घर में हमेशा सुख और समृद्धि बनी रहती है. शास्त्रों में कुबेर देव का स्थान उत्तर दिशा की ओर माना गया है इस लिए घर की उत्तरी दीवार पर कुबेर देव की तस्वीर लगाने से धन से जुडी समस्याएं दूर हो जाती हैं.

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