गुरु नानक जयंती 2019: ये हैं गुरु नानक के 8 प्रमुख स्थल, दर्शन के लिए दूर-दूर से आते हैं लोग
पाकिस्तान में मौजूद पंजाब के राएभोए के तलवंडी में गुरुनानक देव जी का जन्म हुआ था. उनका अधिकतर जीवन सुल्तानपुर लोधी और करतारपुर में बीता. यहां कई गुरुद्वारे मौजूद हैं. इसके अलावा भारत और पकिस्तान में उन्होंने जहां-जहां यात्रा की, उस स्थान पर गुरुद्वारे का निर्माण करवाया. यात्रा के दौरान उनके साथ कई हैरान कर देने वाली घटनाएं भी घटी. ऐसे में आज के इस लेख में हम आपको उनके द्वारा बनाये गए कुछ प्रमुख गुरुद्वारों के बारे में बताएंगे.
ननकाना साहिब
सिख धर्म के 10 गुरुओं की कड़ी में सर्वप्रथम गुरु नानक देव हैं. राएभोए के तलवंडी में गुरुनानक का सन 1469 में जन्म हुआ था. उनके पिता का नाम कल्याणचंद और माता का नाम तृप्ता था. अब इसी स्थान को नानक के नाम पर ननकाना साहिब के नाम से जाना जाता है, जो अब पाकिस्तान में मौजूद है. 16 वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ था जिसके बाद उनके दो पुत्र हुए. 1507 में वह परिवार को छोड़ यात्रा पर निकल गए और भारत, अफगानिस्तान जैसे देशों का भ्रमण किया. सन 1539 में उनकी मृत्यु हो गयी.
करतारपुर साहिब
लाहौर के नारोवल जिले में करतारपुर साहिब स्थित है. भारतीय सीमा से यह स्थान महज 3 किलोमीटर दूर है. कहा जाता है कि 4 प्रसिद्ध यात्राओं को पूरा करने के बाद गुरुनानक देवजी 1522 में करतारपुर साहिब में रहने लगे थे. भारत से आने वाले लोग करतारपुर जाने के बाद ननकाना साहिब जाते हैं. गुरुनानक ने अपने जीवन काल के 17 वर्षों को यही बिताया था.
डेरा बाबा नानक साहिब
रावी नदी के तट पर गुरुद्वारा डेरा बाबा नानक साहिब स्थित है. पहली यात्रा के बाद गुरुनानक जी ने इसी जगह पर ध्यान लगाया था. जिस जगह पर गुरुनानक देवजी ने ध्यान लगाया था उस स्थान को महाराणा रणजीत ने सन 1800 ई. के आसपास मार्बल से कवर करके गुरुद्वारे का आकार दिया. यह स्थान भारत-पाकिस्तान से महज एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
सुल्तानपुर लोधी (कपूरथला) के गुरुद्वारे
अपने बहनोई के बुलावे पर गुरुनानक देवजी सन 1504-07 तक सुल्तानपुर में रहे. इस स्थान पर 3 मशहूर गुरुद्वारे हैं. पहला हाट साहिब, दूसरा गुरु का बाग़ और तीसरा गुरुद्वारा कोठी साहिब. इसके अलावा एक चौथा गुरुद्वारा भी है जिसका नाम गुरुद्वारा बेर साहिब है.
गुरुद्वारा कंध साहिब बटाला (गुरुदासपुर)
18 वर्ष की उम्र में इसी स्थान पर गुरुनानक देवजी का सुलक्षणा से विवाह हुआ था. यहां पर हर साल विवाह वर्षगांठ पर उत्सव का आयोजन किया जाता है.
गुरुद्वारा अचल साहिब (गुरुदासपुर)
वैसे तो भारत के पंजाब में गुरुदासपुर में कई गुरुद्वारे हैं लेकिन इसी स्थान पर गुरुनानक देवजी अपनी यात्रा के दौरान ठहरे थे और नाथपंथी योगियों के प्रमुख योगी भांगर से उनका धार्मिक विवाद भी यहीं हुआ था.
चोआ साहिब गुरुद्वारा
पाकिस्तान के पंजाब में यह गुरुद्वारा मौजूद है. मान्यता अनुसार सिखों के पहले गुरु नानक देव का इसी स्थान पर रुकना हुआ था. जब वह यहां रुके थे तब यहां सूखा पड़ा था. कहते हैं कि गुरु नानक देव ने यहां अपने बेंत से जमीन पर मारा और एक पत्थर फेंका, जिसके बाद यहां प्राकृतिक झरने का पता चला. राजा रणजीत सिंह द्वारा इस गुरुद्वारे का निर्माण 1834 में हुआ था.
मणिकर्ण गुरुद्वारा
यह गुरुद्वारा हिमाचल के सिरमौर में स्थित है. इस स्थान पर भी गुरुनानक देवजी ने ध्यान लगाया था. उन्हीं की यात्रा के यादगार के रूप में मणिकर्ण गुरुदारे का निर्माण किया गया. आज के समय में यह एक रहस्यमयी और पवित्र सिख तीर्थस्थान है.
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