59 साल बाद देवउठनी एकादशी के दिन बन रहा है दुर्लभ योग, इन 3 देवताओं से पाएं मनचाही मुराद
इस साल देवउठनी एकादशी के दिन गुरु-शनि का योग धनु राशि में बन रहा है और ये योग 59 साल बाद बन रहा है। इससे पहले 30 अक्टूबर, साल 1960 को देवउठनी एकादशी पर गुरु-शनि का योग धनु राशि में बना था और इस साल यानी 2019 में फिर से देवउठनी एकादशी के दिन यही शुभ संयोग बन रहा है।
देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त
इस साल 8 नवंबर को देवउठनी एकादशी आ रही है और इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है। आप देवउठनी एकादशी के दिन शुभ मुहूर्त के दौरान पूजा जरूर करें। देवउठनी एकादशी का शुभ मुहूर्त की जानकारी इस प्रकार है –
देवउठनी एकादशी तिथि और शुभ मुहूर्त
एकादशी तिथि आरंभ: 07 नवंबर 2019 की सुबह 09 बजकर 55 मिनट से
एकादशी तिथि समाप्त: 08 नवंबर 2019 को दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक ।
देवउठनी एकादशी व्रत से जुड़ी कथा
देवउठनी एकादशी की कथा के अनुसार एक शंखासुर नामक राक्षस हुआ करता था। ये राक्षस बेहद ही बलवान था और देवताओं को खूब तंग किया करता था। इस राक्षस से बचने के लिए देवताओं ने भगवान विष्णु से मदद मांगी थी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने शंखासुर का वध कर दिया था। शंखासुर का वध करने से भगवान विष्णु बेहद ही थक गए थे और अपनी इसी थकान को दूर करने के लिए भगवान विष्णु ने चार माह तक विश्राम किया था।
विष्णु जी के विश्राम करने की वजह से ही चार महीने यानी आषाढ़ मास से कार्तिक मास तक कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं। वहीं कार्तिक मास में आने वाली देवउठनी एकादशी से विष्णु जी जागृत हो जाते हैं। जिसके साथ ही शुभ कार्यों का आरंभ हो जाता है।
देवउठनी एकादशी से जुड़ी खास बातें
- देवउठनी एकादशी के दिन तुलसी का विवाह शालिग्राम के साथ किया जाता है।
- इस दिन विष्णु भगवान की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है।
- विष्णु भगवान के अलावा देवउठनी एकादशी के दिन सूर्य देव की भी पूजा करना शुभ फल देता है।
- इस दिन चावल का सेवन बिल्कुल नहीं किया जाता है और केवल जमीन पर ही बैठना और सोना चाहिए।
- देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखने से हर कामना पूर्ण हो जाती है
- व्रत रखने वाले लोग इस दिन केवल एक बार ही फलाहार करें।
- देवउठनी एकादशी के दिन भगवान के नाम का जाप करें और रात के समय सोने की जगह भजन और जागरण करें।
- इस दिन आप वस्तुओं और खाने की चीजों का दान भी जरूर करें। ऐसा करने से पुण्य प्राप्ति होती है।
- शाम के समय तुलसी के पौधे के पास तेल का दीपक जरूर जलाएं।
- ऐसा कहा जाता है कि देवउठनी एकादशी की व्रत कथा सुनने से 100 गायों के दान के सामान पुण्य की प्राप्ति होती है। इसलिए आप इस दिन देवउठनी एकादशी की व्रत कथा भी जरूर पढ़ें।
- देवउठनी एकादशी के दिन पूजा करते समय सबसे पहले विष्णु जी को जगाया जाता है और विष्णु जी को जगाने के लिए नीचे दिए गए मंत्र को पढ़ा जाता है।
भगवान विष्णु को जगाने का मंत्र –
‘उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये।
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्॥’
‘उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥’
‘शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव।’