Tulsi Vivah 2019: जानें तुलसी विवाह की कथा, पूजा विधि और महत्व
हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को तुलसी विवाह आता है और इस एकादशी के दिन धूमधाम से तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम के साथ किया जाता है। इस साल तुलसी विवाह 08 नवंबर 2019 के दिन आ रहा है। तुलसी विवाह को ओर भी कई नामों से जाना जाता है और राजस्थान में इसे ‘बटुआ फिराना’ कहा जाता हैं।
तुलसी विवाह कथा
तुलसी विवाह से एक कथा जुड़ी हुई है और कथा के अनुसार वृंदा नामक एक महिला को शालिग्राम पत्थर से विवाह करने का वरदान मिला था। हालांकि विवाह के लिए वृंदा के सामने एक शर्त रखी गई थी। जिसके अनुसार वृंदा को भगवान शालिग्राम की पत्नी बनने हेतु तुलसी का स्वरुप लेना था और शालिग्राम से विवाह करने के लिए वृंदा ने तुलसी का रुप लिया था। आपको बता दें कि शालिग्राम पत्थर को भगवान विष्णु का स्वरुप माना जाता है।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी विवाह के साथ ही देवउठनी एकादशी भी आती है और देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु निद्रा अवस्था से जाग जाते हैं। देवउठनी एकादशी के दिन सबसे पहले भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और पूजा करने के बाद तुलसी का विवाह किया जाता है। शास्त्रों में तुलसी के विवाह का काफी महत्व भी बताया गया है और शास्त्रों के अनुसार एकादशी के दिन तुलसी और भगवान शालिग्राम का विवाह करवाने से जीवन की तकलीफें दूर हो जाती है। वहीं जिन लोगों का विवाह नहीं हो रहा होता है। अगर वो सच्चे मन से तुलसी का विवाह करते हैं तो उनका विवाह भी जल्द ही हो जाता है। साथ में ये भी कहा जाता है कि जिन लोगों की कोई बेटी नहीं है अगर वो तुलसी का विवाह करते हैं तो उन्हें कन्यादान जैसा पुण्य प्राप्त होता है। इतना ही नहीं ये भी माना जाता है कि तुलसी का विवाह करने से वैकुण्ठ लोक की प्राप्ति होती है।
तुलसी विवाह की विधि
- तुलसी का विवाह एकादशी की शाम को किया जाता है। विवाह करने से पहले आप विष्णु जी की पूजा करें।
- विष्णु जी की पूजा करने के बाद तुलसी के पौधे को अच्छे से सजाएं और गमले के पास मण्डप बनाएं।
- तुलसी को आप सुहाग का सामान अर्पित करें और गमले पर साड़ी लपेट दें। गमले का आप अच्छे से श्रृंगार भी करें।
- इसके बाद आप विवाह की रस्म शुरू करें और सबसे पहले भगवान गणेश का नाम लें। फिर शालिग्राम की मूर्ति को मंडप पर रख दें और शालिग्राम की पूजा करें। पूजा करने के बाद शालिग्राम की मूर्ति और तुलसी जी की सात परिक्रमा कराएं और अंत में आरती कर विवाह को संपन्न करें।
- तुलसी विवाह में आप वो सब रस्में करें, जो कि किसी भी लड़की के विवाह में की जाती है।
- तुलसी विवाह के अलावा 08 नवंबर को देवउठनी एकादशी भी है और देवउठनी एकादशी के दिन व्रत रखना शुभ होता है। इसलिए आप देवउठनी एकादशी का व्रत भी इस दिन जरूर रखें और चावल का सेवन ना करें। क्योंकि देवउठनी एकादशी के दिन चावल का सेवन करना वर्जित माना जाता है।