रातभर जागकर माँ-बाप करते थे सिलाई-कढ़ाई का काम, 2 बेटों ने एक साथ IAS बन पूरा किया सपना
झुंझुनू शहर, मोदी रोड पर रहने वाले सुभाष कुमावत और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी के चेहरे पर आज एक सुकून देखने को मिलता है. इन दोनों की आंखों में एक गहराई नज़र आती है जिसमें इतनी सारी खुशियां भरी है कि खुशी के आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. घर में लोग लगातार बधाइयां देने आ रहे हैं, और यह दोनों सभी से बड़ी नम्रता के लोगो के साथ मुलाकात कर रहे हैं और बधाइयां स्वीकार कर रहे हैं. ऐसा तब होता है जब किसी के सालों की मेहनत, दिन रात जागने की तपस्या और हर वक्त संघर्ष करने के बाद उन्हें एक बहुत बड़ी सफलता मिलती है.
सुभाष कुमावत सिलाई करने का काम करते हैं और उनकी पत्नी राजेश्वरी देवी बंधेज बांधने का काम करती हैं. इनकी तीन बेटे हैं. जिनमें से दो बेटों का सिविल सर्विस में सिलेक्शन हुआ है. शुक्रवार के दिन यूपीएससी का परिणाम घोषित हुआ जिसमें सुभाष कुमावत के बड़े बेटे पंकज कुमावत ने 443 वीं और उनके छोटे बेटे अमित कुमावत ने 600 वीं रैंक हासिल की. सुभाष कुमावत झुंझुनू गुड़ा रोड पर सिलाई करने का काम करते हैं. उनके परिवार में आज तक किसी ने भी सरकारी नौकरी नहीं की है. पंकज कुमावत ने आईआईटी दिल्ली से मैकेनिकल में बीटेक किया. बीटेक करने के बाद कुछ समय उन्होंने नोएडा की प्राइवेट कंपनी में जॉब भी की और अपने छोटे भाई को अपने पास रखा. उनके छोटे भाई ने भी आईआईटी दिल्ली से बीटेक किया.
दोनों भाई दिल्ली में साथ रह कर पढ़ाई करते थे. दोनों का एक ही सपना था कि वह किसी भी तरह आईएएस की परीक्षा में सफल हो जाए. उन दोनों को अपने माता पिता का सपना पूरा करना था. आज इन दोनों भाइयों ने एक साथ अपने माता-पिता का यह सपना पूरा करके दिखाया है. पंकज और अमित से बातचीत करने पर उन्होंने बताया कि हमें पता है कि हमारे माता-पिता ने हमें कैसे पढ़ाया है. हमारे लिए पढ़ना बहुत आसान था, पर हमारे माता-पिता के लिए हमें पढ़ाना बहुत मुश्किल. वह हमारी फीस, किताबें और ऐसी दूसरी चीजों का इंतजाम कैसे करते थे. इस बात को हम सिर्फ महसूस कर सकते हैं. हमारी पढ़ाई के लिए हमारे माता-पिता ने बहुत संघर्ष किया है.
हमारे घर की स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी. हम चार भाई बहनों को पढ़ाने के लिए हमारे माता-पिता सिलाई करते रात भर जागते, मां तुरपाई करती और पापा सिलाई करते. उन्होंने हमसे कभी भी कुछ नहीं कहा. वह हमेशा इतना ही कहते थे कि तुम लोगों को पढ़कर एक दिन बड़ा आदमी बनना है. यह सपना उन्होंने देखा हमने तो बस उनके सपने को पूरा किया है. आज हमारे परिवार की स्थिति ठीक है, लेकिन हम बस यही कहना चाहते हैं कि परेशानियों, कमियों और नकारात्मक चीजों को कभी भी सफलता के आड़े नहीं आना चाहिए.
हमारी सफलता के लिए हमारे मां बाप बड़े बड़े सपने देखते हैं और उन्हें पूरा करने के लिए सबसे जरूरी है मेहनत, मेहनत करने से सफलता अपने आप ही मिलती है. जिले के कुमावास के निकास कुमार का भी सिविल सर्विसेज में सिलेक्शन हुआ है. निकास कुमार गुरुग्राम में बिजनेस कंसलटेंट के पद पर कार्यरत हैं. इनका सिलेक्शन फर्स्ट अटेम्प्ट में हुआ है. विकास कुमार को सिविल सर्विसेज में 518 वीं रैंक मिली है. निकास के पिता खेती का काम करते हैं और इनके पिता का नाम शीशराम खीचड़ है. निकास ने दिल्ली से बीटेक किया है. इनकी माता का नाम विद्या देवी है और ये एक गृहिणी हैं. निकास के छोटे भाई का नाम विकास कुमार है और ये वायु सेना में काम करते हैं.