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इस वजह से जवाहर लाल बने थे देश के पहले पीएम, वरना सरदार पटेल का बनना था तय

15 अगस्त, 1947 को भारत ब्रिटिश रूल से आजाद हुआ और जब ऐसा हुआ तो पूरे देश में खुशियां मनाई गईं। हर कोई देश के पहले प्रधानमंत्री बनने का इंतजार कर रहा था। कैटेगरी में दो लोग थे सरदार पटेल और जवाहरलाल नेहरू लेकिन कांग्रेस पार्टी से बार-बार कहने पर जवाहरलाल नेहरू को आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनाए गए। मगर हर किसी का मन सरदार पटेल को पीएम बनाना चाहते थे लेकिन इस वजह से जवाहर लाल बने थे देश के पहले पीएम, फिर ऐसा क्या हुआ जो नेहरू पीएम बने, चलिए बताते हैं।

इस वजह से जवाहर लाल बने थे देश के पहले पीएम

31 अक्टूबर, 1875 को गुजरात के नदियाद में जन्में वल्लभ भाई पटेल देश भर में लोकप्रिय थे । देश में एक वर्ग द्वारा ये बात कही जाती है कि सरदार पटेल देश के पहले पीएम होते तो हालात कुछ और ही होते। साल 1950 में इनका निधन हो गया था लेकिन उन्हें पीएम बनने भी नहीं दिया गया। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटिश हुकूमत बहुत कमजोर हो गई थी और साल 1946 में ब्रिटिश सरकार ने कैबिनेट मिशन प्लान बनाया, इसके तहत कुछ अंग्रेज अधिकारियों को ये जिम्मेदारी मिली कि वे भारत की आजादी के लिए भारत के नेताओं से बातचीत करें। तब फैसला ये हुआ कि भारत में एक आखिरी सरकार बनेगी। अंतरिम सरका के तौर पर वायसराल की एक्जियूटिव काउंसिल बनाई जा रही थी। अंग्रेज वायसराय को इसका अध्यक्ष बनाया जाना था, जबकि कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष को इस काउंसिल का वाइस प्रेसिडेंट बनाया जाना था। आगे चलकर आजादी के बाद इसी वाइज प्रेसिडेंट का पीएम बनना तय हुआ। उस समय कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष अबुल कलाम आजाद कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष थे और कई बड़े नेताओं के जेल में होने के कारण वे इस पद पर बने हुए थे। मौलाना आजाद इस समय पर पद छोड़ना नहीं चाहते थे, लेकिन महात्मा गांधी के दबाव पर उन्हें पद छोड़ना पड़ा। अब कांग्रेस नेताओं ने सरदार वल्लभ भाई पटेल को कांग्रेस का अध्यक्ष और आजाद भारत का पहला प्रधानमंत्री बनने का प्रस्ताव रखा लेकिन महात्मा गांधी नेहरू को पीएम और अध्यक्ष बनाना चाहते थे। साल 1946 में एक बैठक हुई जिसमें महात्मा गांधी, नेहरू, सरदार पटेल, आचार्य कृपलानी, राजेंद्र प्रसाद, खान अब्दुल गफ्फार खान सहित कई बड़े कांग्रेसी नेता शामिल हुए थे। महात्मा गांधी अपनी बात पर अड़े थे और वल्लभ पटेल जनप्रिय नेता थे तो सभी उनके नाम पर अड़े थे।

कांग्रेस के अंदर पटेल की एक जबरदस्त पकड़ थी फिर भी महात्मा गांधी नेहरू के पीछे पड़े थे। इसकी वजह ये थी कि गांधी को लगता था कि नेहरू पटेल से यंग हैं और वे देश को अलग ही मुकाम पर लेकर जाएंगे। इसके अलावा मॉडर्न होने के नाते नेहरू अंग्रेजों से भी अच्छे से वार्ता कर सकते हैं। इसके अलावा गांधी को ऐसा भी लगता था कि जवाहर लाल अंतरराष्ट्रीय मामलों पर भारत का प्रतिनिधित्व सरदार पटेल से बेहतर तरीके से रख पाएंगे। इसके बाद काफी प्रयासों और कई लोगों की नाराजगी के बाद भी जवाहरलाल नेहरू को देश का पहला प्रधानमंत्री बनाया गया।

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