मुसलमानों ने पैसे जोड़ बनवाया काली माँ का मंदिर, मौलवी ने किया उद्घाटन, बताया कैसा महसूस हुआ
आपसी भाईचारा, सांप्रदायिक सौहार्द, सद्भाव और सहिष्णुता ये कुछ ऐसे शब्द हैं जिन्हें हम सभी कई बार सुनते हैं, लेकिन इनका पालन बहुत कम लोग ही कर पाते हैं. हमारा भारत देश विविधताओं से भरा हुआ हैं. इसकी सबसे बड़ी खूबसूरती यही हैं कि यहाँ एक ही समाज में कई धम्र और जातियों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं. सोशल मीडिया पर कुछ असामाजिक तत्व भले ही कितना भी भड़काने की कोशिश करे लेकिन रियल लाइफ में दो धर्मों के लोगो के बीच कोई दुश्मनी या नफरत नहीं होती हैं. इस बात के उदहारण हमें कई दफा देखने को मिल जाते हैं. मसलन अब पश्चिम बंगाल के मुस्लिम समुदाय को ही ले लीजिए. यहाँ बीरभूम जिले में मुसलमानों ने ना सिर्फ काली माँ के मंदिर के लिए चंदा एकत्रित किया बल्कि खुद उसका निर्माण भी किया.
दरअसल दो वर्ष पूर्व बीरभूम जिले में चौड़ी सड़क बनने जा रही थी. ऐसे में इस काम के चलते रास्ते मा पड़ने वाला काली माँ का मंदिर तोड़ा गया था. हालाँकि इलाके के मुस्लिम समुदाय ने चंदा इकट्ठा कर बीते रविवार दिवाली पर फिर से दूसरी जगह काली मंदिर का निर्माण करवा दिया. इतना ही नहीं इस नए मंदिर का उद्घाटन भी मौलवी ने किया. आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ये घटना बासापुरा की हैं जो कि कोलकाता से लगभग 160 किलोमीटर की दूरी पर पड़ता हैं.
यहाँ के स्थानीय निवासी निखिल भट्टाचार्य ने बताया कि काफी लम्बे समय से यहाँ लोग चौड़ी सड़क की मांग कर रहे थे. ऐसे में स्थानीय पंचायत ने दो वर्ष पहले इसके लिए हामी भर दी थी. हालाँकि इस प्रक्रिया में मंदिर तोड़ना पड़ा था. बीते वर्ष भी दुर्गा पूजा का त्यौहार पंडाल बनवाकर करना पड़ा था. ये काम बहुत खर्चीला भी था. ऐसे में इलाके के मुस्लिम लोगो ने चंदा एकत्र कर मंदिर दूसरी जगह बनवा दिया. इसे बनाने में कुल 10 लाख रुपए का खर्च आया.
2011 की जनगणना केअनुसार बासपारा के ननूर ब्लॉक में लगभग 35 फीसदी मुस्लिम ही रहते हैं. इन लोगो ने चंदा एकत्र कर करीब 7 लाख रुपए एकत्रित कर लिए थे. बाकी राशि का प्रबंध अन्य धर्मों के लोगो ने किया. स्थानीय निवासी सुनील साहा बताते हैं कि यदि इलाके के मुस्लिम पैसो की मदद नहीं करते तो ये मंदिर नहीं बनवाया जा सकता था. इन मुस्लिमों ने 2018 और 2019 की दुर्गा पूजा में हुए खर्च में भी मदद की थी.
चुकी मुस्लिमों ने इस काम में बढ़चढ़ हिस्सा लिया था इसलिए मंदिर के उद्घाटन के लिए भी इलाके के मौलवी नसीरुद्दीन मंडल को बुलाया गया. इस मंदिर का उद्घाटन कर नसीरुद्दीन ने कहा कि वैसे तो मैंने कई मस्जिदों और मदरसों का उद्घाटन किया हैं लेकिन मंदिर के उद्घाटन में मुझे अलग ही सुखद और अनोखा अनुभव मिला.
ये घटना पुरे देश के लिए मिसाल साबित हुई हैं. जहाँ एक तरफ कुछ असामाजिक तत्व और राजनेता धर्म के नाम पर लोगो के बीच दरार पैदा करने की कोशिश करते रहते हैं तो वहीं दुसरी ओर हमें कुछ ऐसे भी लोग हैं जो इन बातों में ना पड़ भाईचारे में विश्वास रखते हैं. हमारी भी आपको यही सलाह हैं कि आप लोगो के बहकावे में ना आए और आपसी प्रेम स्नेह बनाए रखे.