गरीबी के बावजूद ‘नीरज’ ने रोशन किया किसान मां-बाप का नाम, IES परीक्षा में हासिल की 27वीं रैंक
आपने अक्सर सुना होगा की लोग ज़मीन से उठकर आसमान को छूते हैं। सफ़लता कोई सौगात में मिलने वाली चीज नहीं है । इसके लिए “निरंतर लगे रहना और डंटे रहना” पड़ता है । ऐसा कुछ कर दिखाया है गरीब किसान के बेटे नीरज ने। आज हम आपको एक ऐसे ही विद्यार्थी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसने मुश्किलों और अभावों के बीच रहते हुए आईएएस परीक्षा 27 वां स्थान हासिल किया है। हम बात कर रहे हैं आगरा शहर के शमशाबाद गांव श्यामो के पास मौजूद छोटे से गांव ब्रह्म नगर में रहने वाले नीरज कुमार की…। जिन्होंने अपने माता-पिता और जिले का नाम पुरे देश में रोशन किया है। बचपन से नीरज का जीवन संघर्ष से भरा हुआ था। पिता की गरीबी और परिस्थितियों के खिलाफ होने के बावजूद नीरज कुमार ने कभी भी हिम्मत नहीं हारी और सभी के सामने खुद को साबित किया।
नीरज ने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस की परीक्षा में पूरे इंडिया में 27 वीं रैंक हासिल की है। यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन ने इंडियन इंजीनियरिंग सर्विस मेंस परीक्षा का रिजल्ट घोषित कर दिया है। रिजल्ट देखने के बाद नीरज खुशी से पागल हो रहे हैं। इन्होंने इस एग्जाम के लिए बहुत ही मेहनत की थी और उन्हें अपनी मेहनत का परिणाम भी मिला। नीरज के पिता का नाम केदारनाथ है।। यह एक किसान है। इनकी मां का नाम श्रीमती देवी है। ये एक ग्रहणी है। इनका बड़ा भाई टेंट लगाने का काम करता है। नीरज की चार बहने हैं जिनकी शादी हो चुकी है। पिता और भाई ने बहुत मुश्किलों से एक एक पैसा जोड़ कर नीरज के हॉस्टल का खर्चा उठाया। पढ़ाई करते वक्त नीरज के दोस्तों ने इनकी आर्थिक रूप से बहुत मदद की।
नीरज ने अपनी दसवीं की परीक्षा यूपी बोर्ड रानी अवंती बाई इंटर कॉलेज श्यामो से पास की थी। हाई स्कूल में इन्हें सिर्फ 50% मार्क्स मिले थे। दसवीं के बाद नीरज ने बहुत मुश्किल से इंटरमीडिएट की परीक्षा पास की थी। नीरज के इंटरमीडिएट में फिजिक्स में ग्रेस मार्क्स आये थे। बैक पेपर देने के बाद इन्होंने 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की। इसके बाद बहुत कड़ी मेहनत करने के बाद इन्हें के एनआईटी “सुल्तानपुर राजकीय इंजीनियरिंग संस्थान” में एडमिशन मिला। नीरज ने साल 2017 में बीटेक की परीक्षा में टॉप किया था।
2 साल तैयारी करने के बाद इंजीनियरिंग सर्विस में सक्सेस पायी। अक्सर लोग हाई स्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षा में कम नंबर आने के बाद निराश हो जाते हैं। हाई स्कूल में कम नंबर आने के बाद स्टूडेंट्स को ऐसा लगता है की वो भविष्य में कुछ नहीं कर पायेगे पर, नीरज कुमार स्टूडेंट्स के लिए एक मिसाल है। स्टूडेंट्स नीरज को देखकर यह सीख सकते हैं की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के नंबरों से ही कैरियर निर्धारित नहीं होता है। कड़ी मेहनत के द्वारा आप कभी भी सफलता को अपनी झोली में डाल सकते हैं। बहरहाल नीरज को अपनी मेहनत का फल मिला और अब नीरज अपने आने वाले सुनहरे भविष्य के सपनो में खोये हैं। ऐसा अकसर देखा जाता है कि कड़ी मेहनत के बाद भी कई लोग होते हैं जिन्हें लगता है कि उन्हें अपनी मेहनत जितना फल नहीं मिल रहा है। लेकिन, नीरज ने तमाम मुश्किलों के बावजूद भी हार नहीं मानी।