धनतेरस 2019: भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से होती है धन की प्राप्ति, दूर हो जाते हैं सभी रोग
धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा की जाती है और भगवान से धन प्राप्ति की कामना की जाती है। भगवान धन्वंतरि की पूजा करने से आर्थिक सकंट दूर हो जाते हैं और सेहत से जुड़े सारे कष्ट भी खत्म हो जाते हैं। इसलिए आप धनतेरस के दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा जरूर करें।
कौन हैं धनवंतरी भगवान
शास्त्रों के अनुसार भगवान धनवंतरी या धन्वंतरि विष्णु जी का अवतार हैं और कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी के दिन भगवान धनवंतरी समुद्र मंथन के दौरान अपने हाथों में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। भगवान धनवंतरी के प्रकट होने पर ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। मान्यता है कि चिकित्सा विज्ञान के विस्तार के लिए भगवान विष्णु ने धनवंतरी का अवतार लिया था।
कब है धनतेरस
इस साल धनतेरस का पर्व 25 अक्टूबर के दिन आ रहा है और धनतेरस के दिन नई वस्तुएं खरीदी जाती हैं। वहीं इस साल धनतेरस की पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब से शुरू है और कब तब है इसकी जानकारी इस तरह से है –
त्रयोदशी तिथि प्रारंभ: 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से
त्रयोदशी तिथि समाप्त: 26 अक्टूबर 2019 को दोपहर 03 बजकर 36 मिनट
धनतेरस पूजा मुहूर्त: 25 अक्टूबर 2019 को शाम 07 बजकर 08 मिनट से रात 08 बजकर 13 मिनट तक।
इस तरह से करें पूजा
धनतेरस के दिन पूजा करने से जीवन में धन की कमी नहीं होती है और घर में बरकत होती है। धनतेरस के दिन आप नई वस्तु जैसे सोना, चांदी, बर्तन, नए कपड़े,गाड़ी और इत्यादि चीजें जरूर खरीदें। शुभ मूहूर्त के दौरान इन चीजों को खरीदने के बाद आप शाम के समय पूजा जरूर करें। धनतरेस की पूजा विधि क्या होती है वो इस प्रकार है।
- आप शाम के समय मां लक्ष्मी, गणेश, कुबरे और भगवान धन्वंतरि की पूजा करें।
- इन सभी भगवानों की मूर्ति एक साथ रख दें। फिर आप भगवान की मूर्ति पर फल और फूल अर्पित करें।
- अगर आप इस दिन चांदी, सोना या कोई बर्तन खरीदते हैं तो उसे भगवान के सामने रख दें और इन पर तिलक लगा दें।
- ये करने के बाद आप भगवान को भोग लगाएं और दीपक जला दें। इसके बाद आप गणपति का नाम लेकर अपनी पूजा शुभ करें।
पूजा पूरी करने के बाद आप भगवान धन्वंतरि की आरती गाएं जो कि इस प्रकार है –
जय धन्वंतरि देवा, जय धन्वंतरि जी देवा।
जरा-रोग से पीड़ित, जन-जन सुख देवा।।जय धन्वं.।।
तुम समुद्र से निकले, अमृत कलश लिए।
देवासुर के संकट आकर दूर किए।।जय धन्वं.।।
आयुर्वेद बनाया, जग में फैलाया।
सदा स्वस्थ रहने का, साधन बतलाया।।जय धन्वं.।।
भुजा चार अति सुंदर, शंख सुधा धारी।
आयुर्वेद वनस्पति से शोभा भारी।।जय धन्वं.।।
तुम को जो नित ध्यावे, रोग नहीं आवे।
असाध्य रोग भी उसका, निश्चय मिट जावे।।जय धन्वं.।।
हाथ जोड़कर प्रभुजी, दास खड़ा तेरा।
वैद्य-समाज तुम्हारे चरणों का घेरा।।जय धन्वं.।।
धन्वंतरिजी की आरती जो कोई नर गावे।
रोग-शोक न आए, सुख-समृद्धि पावे।।जय धन्वं.।।
आरती गाने के बाद आप भगवान से सुखी जीवन की कामना करें। पूजा पूरी होने के बाद आप सरसों के तेल का दीपक अपने घर के मुख्य दरवाजे के बाहर रख दें और हो सके तो मुख्य दरवाजे पर रंगोली भी बना दें।