यात्रियों से भरी बस चलाते समय ड्राईवर को आया दिल का दौरा, फिर उसने जो किया वो काबलेतारीफ़ था
आज के दौर में हर कोई अपनी जान की परवाह पहले करता हैं. दूसरों पर आपके किसी निर्णय का क्या सर पड़ेगा इसका फैसला लेते हुए व्यक्ति हमेशा से ही खुद की सेफ्टी को पहली प्राथमिकता देता हैं. हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो इंसानियत का परिचय देते हुए दूसरों की जिंदगी बचाने के लिए अपनी जान दाव पर लगा देते हैं. उदहारण के लिए कुछ दिनों पहले एक महिला और उसके बच्चे को बचाने के लिए ऑटो वाला पानी में कूद गया था. उसने महिला की जान तो बचा ली लेकिन खुद डूब गया था. इसी कड़ी में एक अन्य मामला फिर सामने आया हैं जहाँ एक बस ड्राईवर ने अपनी जान से ज्यादा बस में सवार सभी यात्रियों की सेफ्टी के बारे में पहले सोचा.
TSRTC (तेलंगाना स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कारपोरेशन) के 48 वर्षीय बस चालाक ने इंसानियत और प्रेजेंस ऑफ़ माइंड की नई मिसाल दी हैं. दरअसल O. Yadaiah नाम का बस ड्राईवर 20 अक्टूबर को दोपहर के दिन यात्रियों से भरी बस चला रहा था. तभी दो पहर दो बजकर तीस मिनट पर उसे दिल का दौरा पड़ गया. हद से ज्यादा दर्द होने के बावजूद उसने अपनी ड्यूटी पूरी करने का निर्णय लिया और यात्रियों से भरी बस को सुरक्षित महात्मा गांधी बस स्टेशन पर पार्क कर दिया. ऐसा करने के बाद वो वहीं बेहोश हो गया.
वहां मौजूद लोग ड्राईवर को ओस्मानिया जनरल हॉस्पिटल भी ले गए लेकिन अफ़सोस की डॉक्टर उसकी जान नहीं बचा सके. जानकारी के अनुसार कुछ बस ड्राइवर्स की हड़ताल चल रही थी. ऐसे में Yadaiah को उनकी जगह कुछ दिनों के लिए रखा गया था. ये उसकी तीसरी ट्रिप थी लेकिन वो नहीं जानता थी कि ये उसकी आखरी ट्रिप भी होगी.
उस बस में मौजूद कंडक्टर जी. संतोष का कहना हैं “ये ड्राईवर की प्रेजेंस इफ माइंड थी जो इतने सारे लोगो की जान बच गई. उनकी सतर्कता से सिर्फ बस में मौजूद लोग ही नहीं बल्कि बस स्टेशन पर बस का इंतज़ार कर रहे लोग भी सुरक्षित हैं. हम उसे दर्द से चीखते हुए सुन सकते थे, लेकिन फिर भी उसने बस नहीं रोकी और उसे सुरक्षित तरीके से पर किया.”
गौरतलब हैं कि यदि दिल का दौरा आने की वजह से ड्राईवर बस पर से अपना नियंत्रण खो देता तो बस में बैठे यात्री और रोड पर चल रहे लोग सभी की जान खतरे में होती. बस ड्राईवर ने कहीं भी अचानक बीच सड़क पर भी बस नहीं रोकी बल्कि वो उसे सुरक्षित पार्किंग तक ले गया ताकि सड़क पर पीछे से आ रहे वहां से टक्कर ना हो जाए. यहाँ ड्राईवर की तारीफ़ करनी पड़ेगी कि दिल का दौरा आने जैसी स्थिति में भी उसने अपनी जान से ज्यादा दुसरे लोगो के बारे में सोचा. ड्राईवर की इस सोच और जज्बे को हमारा सलाम हैं.
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि इस दुःख की घड़ी में भगवान उसकी बीवी सरिता और 18 वर्षीय बेटे वेंकटेश को शक्ति दे. साथ ही Yadaiah की आत्मा की शान्ति की प्रार्थना भी करते हैं. इस पुरे मामले पर आपकी क्या राय हैं हमें जरूर बताए.