इंसानियत जिंदा हैं: अंजान महिला को रक्तदान करने 500 KM दूर गया ये शख्स, जाने कैसा हुआ था संपर्क
आज के जमाने में अधिकतर यही देखने को मिलता हैं कि लोग बिन किसी मतलब या फायदें के दूसरों की कोई सहयता नहीं करते हैं. खासकर जब वो व्यक्ति अंजान हो. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स से मिलाने जा रहे हैं जिसने लाखों लोगो का दिल जीतते हुए ये साबित कर दिया कि इस दुनियां में अभी भी कुछ अच्छे और नेकदिल लोग मौजूद हैं. दरअसल ये शख्स एक महिला के लिए रक्तदान करने की खातिर पुरे 500 किलोमीटर गया. इतना ही नहीं इस शख्स की वजह से महिला की जान भी बाख गई. दरअसल गंजम जिले के मंदासिंगी हांव के पत्रापुर ब्लाक के MKCG मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में एक महिला ने बच्चे को जन्म दिया था. चुकी ये डिलीवरी सी-सेक्शन के माध्यम से हुई थी तो सर्जरी के दौरान महिला का काफी खून बह गया था. उसका हीमोग्लोबिन लेवल लगातार नीचे जा रहा था. ऐसे में महिला को रक्तदान की सख्त जरूरत थी.
जब महिला का ब्लड टेस्ट किया गया तो पता चला कि उनका बलोद ग्रुप ‘Bombay A+ve’ आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ये ब्लड ग्रुप काफी रेयर होता हैं. पुरे भारत में इस ब्लड ग्रुप के सिर्फ 2 लाख 50 हजार लोग ही हैं. ऐसे में अस्पताल के ब्लड बैंक की इंचार्ज डॉ. रश्मिता पानीग्रही ने बाकी सभी ब्लड बैंकों से संपर्क साधा लेकिन उन्हें इस ग्रुप का ब्लड नहीं मिल सका. इसके बाद उन्होंने डोनर ढूँढने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया. ऐसे में व्हाट्सएप्प के जरिये ये मेसेज ओड़िशा के रौरकेला में रहने वाली दीलिप बरिक को मिला. उन्हें इसकी जानकारी भुबनेश्वर स्थित डोनर ग्रुप से मिली थी. ऐसे में दीलिप ने रक्तदान करने की इच्छा व्यक्त की और वो अपने निवास स्थल से करब 500 किलोमीटर का सफ़र तय कर महिला के पास हॉस्पिटल ब्लड डोनेट करने जा पहुंचे.
हॉस्पिटल पहुँचते ही उन्होंने सबिता नाम की महिला को रक्तदान किया. इसके बाद सबिता की हालत स्थिर हो गई. यदि दीलिप समय रहते नहीं मिलते या इतनी दूर ब्लड डोनेट करने के लिए नहीं आते तो शायद सबिता नहीं बच पाती. दीलिप का कहना हैं कि वो इसके पहले भी कई बार रक्तदान कर चुके हैं. वे बताते हैं कि लोगो को ब्लड डोनेट करने से मुझे ख़ुशी मिलती हैं. इसलिए मैं इस काम में कभी पीछे नहीं हटता हूँ.
उधर सोशल मीडिया पर जब लोगो को इस घटना के बारे में पता चला तो वो दीलिप की तारीफ़ करने लगे. आज के दौर में दीलिप जैसे बहुत कम ही लोग देखने को मिलते हैं जो किसी अंदाज व्यक्ति के लिए इतना कुछ कर सकते हैं. आज की व्यस्त लाइफ में वैसे भी किसी के पास समय नहीं रहता हैं. ऐसे में दीलिप ने 500 किलोमीटर का सफ़र सिर्फ इसलिए तय किया ताकि उनके रक्तदान की वजह से एक महिला की जान बच जाए. आज दिलीप की वजह से हाल ही में पैदा हुए उस मासूम बच्चे की माँ भी ज़िंदा हैं. यदि हम सभी लोग भी इस तरह इंसानियत दिखाने लगे तो ये दुनियां स्वर्ग से कम नहीं होगी.
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