IAS इंटरव्यू में पूछा गया: ‘हिंदू या मुस्लिम में किसे करोगे सपोर्ट?’ ये जवाब देकर लड़की हुई सिलेक्ट
हर साल कई लोग रात दिन एक कर के UPSC परीक्षा की तैयारी करते हैं. ऐसे में कई प्री और मेंस तो निकाल लेते हैं लेकिन जब इंटरव्यू राउंड आता हैं तो अटक जाते हैं. इस इंटरव्यू में अधिकारी कई भिन्न भिन्न सवाल पूछ उम्मीदवार की परख करते हैं. इनमे से अधिकतर सवाल सिचुएशनल भी होते हैं. ऐसे में हम आज आपको 2017 की यूपीएससी परीक्षा में 350वीं रैंक लाने वाली साक्षी गर्ग के इंटरव्यू के कुछ अंश बताने वाले हैं. साक्षी वर्तमान में इंडियन रेवेन्यू सर्विस (IRS) में असिस्टेंट कमीशनर हैं. साक्षी जब इंटरव्यू देने गई थी तब अधिकारीयों ने हिंदू मुस्लिम को लेकर एक रोचक सवाल पूछा था जिसका साक्षी ने बहुत अच्छे अंदाज़ में जवाब दिया.
इस तरह होते हैं IAS इंटरव्यू
सवाल: मान लो आप यूपी के किसी जिले की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट बन जाती हैं. अब एक दिन आपके पास हिंदू समाज आता हैं और बोलता हैं हमें रामनवमी के दिन जुलुस निकलना हैं. फिर अगले दिन मुस्लिम समाज आता हैं और वो भी उसी दिन, उसी समय और उसी रूट पर ताजिया निकलने की परमिशन मांगता हैं. ऐसे में आप क्या करेंगी?
इसका जवाब देते हुए श्रृष्टि ने कहा कि मैं दोनों डालो की भावनाओं का सम्मान करती हूँ क्योंकि ये दोनों ही अपने समाज का प्रतिनिधत्व कर रहे हैं. इसलिए में इस स्थिति से निपटने हेतु उनके लीडर से बात करुँगी. पहले में उन्हें रामनवमी और ताजिये के लिए अलग अलग रूट चुनने को कहूँगी. यदि वो नहीं मानते तो फिर उन्हें एक ही दिन अलग अलग समय पर अपना जुलुस निकालने के लिए कहूँगी. इस तरह दोनों की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचेगी.
इस पर अधिकारी ने कहा कि यदि दोनों दल एक ही समय पर जुलुस निकालने के लिए अड़ जाए तो आप क्या करेंगी? इस पर सृष्टि ने कहा राज्य की डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होने के नाते मेरे पास अधिकार हैं कि मैं उन दोनों ही दलों को जुलुस निकालने से मना कर सकती हूँ. मैं उनके सामने आप्शन रखूंगी कि या तो वे दोनों अलग अलग समय पर अपना जुलुस निकाले या मैं दोनों के ही जुलुस निकालने की परमिशन नहीं दूंगी.
इस पर अधिकारी ने पूछा यदि आप दोनों दलों को मना करती हैं लेकिन एक दल का लीडर विधायक का भाई निकलता हैं तो आप क्या करेगी. ये विधायक रोज आपके साथ बैठता हैं. अपने भाई की सिफारिश भी करता हैं. ऐसे में क्या करेंगी? इस पर सृष्टि ने कहा कि विधायक को निजी तौर पर जानने के बावजूद एक डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट होने के नाते मेरा निर्णय सेम ही रहेगा. यदि दल अलग समय के लिए राजी नहीं होते हैं तो मैं उन्हें जुलुस निकलने की इजाजत नहीं दूँगी.
इसके बाद अधकारी बोले चलो मान लिया आप ने विधायक को मन कर दिया और वो आपकी बात मान भी गया. अब यदि मंडल आयुक्त में जो आप से दस साल सीनियर कमीशनर हैं वो आपसे आ कर बोले कि एक दल को परमिशन दो और दुसरे को मत दो तब आप क्या करेगी? याद रहे वो आपके सीनियर हैं, रोज मीटिंग में आपके साथ होते हैं. इस पर सिर्ष्टि बोली तब मैं सीनियर से विनती करुँगी कि वो मुझे ये बात रिटन में लिख कर दे. ताकि बाद में यदि इस फैसले से कोई दंगा होता हैं तो उसकी जिम्मेदार मैं नहीं रहूंगी.
अधिकारी तब कहते हैं आप रिटन कॉपी मांगेगी तो वे नाराज़ हो जाएंगे. आपकी कैरेक्टर वॉल पर खराब फीडबैक देंगे जिसके चलते आपका प्रमोशन भी खराब हो सकता हैं. इस पर सृष्टि ने कहा मेरा प्रमोशन मेरे काम पर निर्भर करता हैं. इस तरह के पॉलिटिकल प्रेशर आते रहेंगे. लेकिन यदि कोई गलत काम करुँगी तो इसका असर मेरे काम पर नेगेटिव ही रहेगा. इसलिए मैं उनसे रिटन कॉपी देने पर अड़ी रहूंगी.