14 साल संघर्ष के बाद देव आनंद के भतीजे को मिला पहला मौका, जानिए कौन हैं ये?
एक दौर था जब बॉलीवुड में एवरग्रीन एक्टर देव आनंद लोगों को पहला मौका देते थे और उन्होंने ना जाने कितने सितारों का करियर बनाया है। मगर जब उनके किसी अपने को उनकी जरूरत थी तो वे इंडस्ट्री में मौजूद नहीं थे और 14 साल संघर्ष के बाद देव आनंद के भतीजे को मिला पहला मौका, इतने हजार रुपये पर उन्हें प्रति दिन काम करना पड़ा, चलिए जानते हैं इनके बारे में..
14 साल संघर्ष के बाद देव आनंद के भतीजे को मिला पहला मौका
बॉलीवुड पर लगातार भाई-भतीजावद फैलाने का आरोप सितारों पर लगता रहता है और लोग सवाल उठाते हैं कि स्टारकिड्स को इतनी आसानी से काम कैसे मिल जाता है। मगर हकीकत ऐसी नहीं है। अपने जामाने के मशहूर डायरेक्टर विजय आनंद के बेटे और दिवंगत सुपरस्टार देव आनंद के भतीजे वैभव आनंद को पूरे इंडस्ट्री में पूरे 14 सालों तक स्ट्रगल करना पड़ा था। अब उन्हें पहला ब्रेक एकता कपूर के वेब सीरीज ‘द वर्डिक्ट: नानावटी वर्सेस स्टेट’ मिली जिसमें वे 30 सितंबर से नजर आ रहे हैं और ये अल्ट बालाजी पर बना है।
इस वेब शो के लिए वैभव को मेहनताने के तौर पर उन्हें 18 हजार रुपये प्रतिदिन के हिसाब से मिलता है। 14 साल तक वैभव ने 100 से ज्यादा फिल्मों के लिए ऑडिशन दिए लेकिन उन्हे सिलेक्ट नहीं किया गया। वैभव ने रवि चोपड़ा और सूरज बड़जात्या के लिए असिस्टेंट डायरेक्टर के तौर पर भी काम किया है। कुछ थ्रिलर फिल्मों की कहानी भी लिखीं, जिन्हें वे डायरेक्ट करना चाहते थे लेकिन फाइनेंसर्स ने उन पर भरोसा नहीं जताया और उनका काम अधूरा रह गया। इन सब में अच्छी बात यह है कि सालों तक रिजेक्शन झेलने के बाव वैभव ने अपने अंदर किसी तरह की कड़वाहट नहीं आने दी।
एकता कपूर के वेब शो से शुरु किया और अपने एक इंटरव्यू में वैभव ने बताया, ‘उम्मीद करता हूं कि आगे मुझे अच्छे मौके मिलेंगे। हमेशा से इसी फील्ड में काम करना चाहता था क्योंकि मेरा बैकग्राउंड फिल्मी है और मेरे रगों में एक्टिंग बसी हुई है लेकिन मैंने अपने खानदान की पहुंच का गलत फायदा कभी नहीं उठाया।’ इसी बारे में वैभव ने आगे बात की और बताया, ‘पापा और चाचाजी हमेशा मुझे उनके एरा से निलने की सलाह देते थे। इस लिहाजे से पहले अमेरिका जाकर इसपर पढ़ाई की और वापस आकर पिताजी एक फिल्म में मुझे लॉन्च करना चाहते थे लेकिन उनका इंतकाल हो गया। उनका जाना मुझे बहुत बड़ा झटका दे गया और अगले दो सालों तक मैं उससे उबर नहीं पाया। फिर मैंने खुद को ट्रैक पर आने के लिए तैयार किया।’
‘चाचाजी ने मेरी मदद करने की सोची थी’
वैभव ने इस बारे में बताया, ‘चाचाजी ने मेरा नाम कुछ फिल्ममेकर्स को सुझाया लेकिन मैं खुद का नाम खुद से बनाना चाहता था। रवि चोपड़ा और सूरज बड़जात्या को असिस्ट किया और सूरज जी ने मुझे लेकर एक फिल्म भी प्लान की लेकिन वो भी बन नहीं पाई।’ सलमान खान भी वैभव को लेकर फिल्म बनाना चाहते थे जिसका नाम ‘हैप्पी डेज’ रखा गया था लेकिन ये भी बन नहीं पाई। भाई ने मुझसे वादा किया कि आगे वे उन्हें काम देंगे लेकिन वे अपने कामों में व्यस्त हो गए। मगर अब इन्हें मौका मिल गया है और उम्मीद है आगे भी इन्हें सफलता मिलेगी।