अब ऐसी ज़िंदगी बिता रहे हैं सम्राट अकबर के वारिस, बाबरी-ताज पर ठोंका है दावा
अक्सर ऐतिहासिक इमारतों पर सरकार का मालिकाना अधिकार होता है, जिसका एहसास वह समय समय पर जनता को दिलाती रहती है, लेकिन इस बार एक अजीब मामला सामने आया। जी हां, भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थान है, जहां लोग घूमना पसंद करते हैं। इसी कड़ी में बाबरी मजिस्द का नाम भी सामने आता है। ऐसे में इन दिनों एक शख्स खुद को ताज और बाबरी का वारिस बता रहा है, जिसको लेकर एक नया विवाद शुरु हो गया और उस शख्स ने बाबरी मजिस्द और राम मंदिर के मसले को सुलझाने का भी दावा किया।
दशकों से राम मंदिर और बाबरी मजिस्द को लेकर विवाद चल रहा है, ऐसे में एक शख्स ने दावा किया है कि वह इस विवाद को आराम से सुलझा सकता है, लेकिन इसके बाद एक नया विवाद मार्केट में आ गया है। बता दें कि मुगल वंशज प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने बाबरी मस्जिद पर अपना दावा पेश किया है। इसके लिए उन्होंने बकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस किया है, जिसमें उन्होंने बाबरी मजिस्द और ताज को लेकर दावा पेश किया है।
प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने ठोंका दावा
प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बाबरी मजिस्द और ताजमहल का वारिस होने का दावा ठोंका है, जिसके बाद देश में एक नई बहस छिड़ गई है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद का मुतवल्ली उन्हें बनाया जाए, क्योंकि वह उनके वारिस है, ऐसे में वे इस मसले को सुलझा भी सकते हैं। बता दें कि इस बात की जानकारी उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड में दी है। हालांकि बोर्ड ने उसे लेने से इनकार कर दिया है, लेकिन फिर भी वे अपने बात पर टिके हुए हैं।
मुश्किल से मिली वंश की पहचान
बताते चलें कि प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुसी को बड़ी मुश्किल से अपनी पहचान मिल सकी, जिसके लिए उन्होंने बड़ी मेहनत भी की। बता दें कि तुसी और उनके वंशज वर्ष 1962 से ही प्रयासरत थे, लेकिन उज्बेकिस्तान की टीम ने 1987 में उन्हें और उनके वंश को पहचान दिलाई। इतना ही नहीं, हैदराबाद की कोर्ट ने प्रिंस का स्टेटस दिया। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि जफर के वंश के 40 लोग अभी जीवित हैं, जिनमें पांचवीं पीढ़ी की महिला भी है।
ताजमहल पर भी ठोंका मालिकाना हक
प्रिंस याकूब ने इससे पहले ताजमहल पर भी अपना मालिकाना हक ठोंका था, जिसके लिए इन्होंने कोर्ट का भी सहारा लिया था। याद दिला दें इन्होंने बाबर के वंशज होने का दावा करते हुए डीएनए रिपोर्ट की कॉपी भी सौंपी अदालत को सौंपी थी, जिसमें इन्हें मुगलों का असली वारिस करार दिया गया था। मतलब साफ है कि एक बार फिर से प्रिंस अपना दावा ठोंकने के लिए मैदान में उतर चुके हैं, जिसके लिए उन्होंने साफ किया है कि इस बार भी वे कोर्ट का सहारा लेंगे और अपना दावा सही साबित करेंगे।