दशहरे के दौरान इन जगहों पर होने वाले मेले हैं दुनियाभर में प्रसिद्ध
विजयादशमी के दिन दशहरे का पर्व पूरे भारत में मनाया जाता है और इस साल ये पर्व 8 अक्टूबर को आ रहा है। विजयादशमी के दिन रावण का दहन किया जाता है और शमी वृक्ष की पूजा की जाती है। कई जगहों पर दशहरे के दौरान मेले का आयोजन भी किया जाता है।
दशहरे के दिन देश के अलग-अलग कोनों में मेले का आयोजन होता है और ये मेले काफी भव्य होते हैं। दशहरे के दौरान देश भर में लगने वाले कुछ प्रसिद्ध मेलों के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।
बस्तर का मेला
इस जगह पर होने वाले मेले पर रावण का दहन नहीं किया जाता है। इस मेले के दौरान रथ चलाने की परम्परा है और इस रथ पर राम जी को विराजमान किया जाता है। छत्तीसगढ़ के बस्तर में होने वाला ये मेला 600 साल से मनाया जा रहा है और हर साल हजारों की संख्या में लोग इस जगह पर आकर ये मेला देखा करते हैं।
मैसूर का मेला
मैसूर शहर में मनाया जाने वाला दशहरा दुनिया भर में प्रसिद्ध है और दशहरे के अवसर पर इस जगह पर दुनिया भर से लोग आया करते हैं।
दशहरे के दौरान मैसूर शहर में मेले का आयोजन किया जाता है और मैसूर महल को लाइटों से सजाया जाता है। इस जगह पर प्रथम बार ये मेला 1610 में आयोजन किया गया था और तब से अब तक ये मेला इस जगह हर साल मनाया जाता है। इस जगह पर करीब 409 वर्षों से मेले का पर्व मनाया जा रहा है और हर साल दशहरे के दिन शोभ यात्रा भी निकाली जाती है।
कोटा का मेला
राजस्थान के कोटा शहर में दशहरे का पर्व 25 दिनों तक मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि दशहरे के दौरान इस शहर में मेले का आयोजन करने की परम्परा 125 वर्ष से चली आ रही है और इस परम्परा को महाराव भीमसिंह द्वितीय द्वारा शुरू किया गया था।
कोटा में आयोजित होने वाले मेलों के दौरान रावण, मेघनाद और कुंभकरण के पुतले को जलाया जाता है और भजन कीर्तन जैसी प्रतियोगिताएं भी रखी जाती हैं।
मदिकेरी का मेला
कर्नाटक राज्य के मदिकेरी शहर में भी कुल चार जगहों पर दशहरे के मेले का आयोजन किया जाता है। ये आयोजन इस शहर के चार मंदिरों में किया जाता है और ये मेला 10 दिनों तक चलता है। इतना ही नहीं इस मेला की तैयारी 3 महीने से पहले से ही शुरू हो जाती है।
कुल्लू का मेला
हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में आयोजित होने वाला दशहरा बेहद ही खास होता है और इस जगह पर ये मेला 7 दिनों तक मनाया जाता है। इस मेले के दौरान लोगों द्वारा सिर पर भगवान की मूर्तियां रखी जाती हैं और इन मूर्तियों को राम भगवान के पास ले जाया जाता है। कुल्लू में इस मेले का आयोजन ढालपुर मैदान में किया जाता है और इस जगह पर मनाया जाने वाला ये दशहरा अंतरराष्ट्रीय त्योहार घोषित किया गया है। ऐसा माना जाता है कि ये दशहरे 17वीं शताब्दी से इस जगह पर मनाया जाता है।