अध्यात्म

हिंगलाज मंदिर में गिरा था मां सती का सिर, श्रीराम ने की थी यहां आकर मां की पूजा

हिंगलाज माता मंदिर 51 शक्तिपीठों में से एक है। ये मंदिर एक छोटी सी गुफा में बना हुआ है और इस गुफा के अंदर ही मां की मूर्ति भी स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि जहां ये मंदिर बनाया गया है, वहां पर माता सती का सिर गिरा था। ये मंदिर पाकिस्तान के बलूचिस्तान में है। हिंगलाज देवी पर हिंदू खत्री समुदाय की काफी आस्था है और ये देवी इस समुदाय की कुलदेवी हैं।

हिंगलाज माता मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में है और इस मंदिर के अंदर मानव निर्मित माता की मूर्ति नहीं है। इस गुफा के अंदर अपने आप ही एक मिट्टी की देवी बनी हुई है और इस देवी की पूजा लोगों द्वारा की जाती है।

पैदल चलकर करनी होती है यात्रा

हिंगलाज माता का मंदिर मकरान रेगिस्तान की खेरथार पहाड़ियों के पास स्थित है और इस मंदिर तक गाड़ियां नहीं जाया करती हैं। हिंगलाज माता तक जाने के लिए पैदल यात्रा करनी पड़ती है जो कि 500 किलोमीटर तक की होती है। दरअसल जिस जगह पर ये मंदिर स्थित है वहां की सड़कें बेहद ही खराब हैं और इसी वजह से इस जगह पर गाड़ी ले जाने पर पाबंदी है।

शिला पर उभरी है माता की छवि

इस मंदिर में मां हिंगलाज की छवि एक शिला पर उभरी है और इस शिला की ही पूजा लोगों द्वारा की जाती है। इतना ही नहीं इस मंदिर में किसी भी तरह का दरवाजा भी नहीं लगाया गया है। नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में एक भव्य मेले का आयोजन भी किया जाता है और इस मेले को देखने के लिए और माता के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग इस मंदिर में आते हैं।

मुस्लिमों की भी है आस्था

मां हिंगलाज पर मुस्लिमों की भी काफी आस्था है और बलूचिस्तान और सिंध जगह पर रहने वाले मुस्लिम इस मंदिर में आकर मां के दर्शन जरूर किया करते हैं। इसके अलावा इस मंदिर में कराची शहर से भी हजारों की संख्या में मुस्लिम और हिंदू आया करते हैं।

जाना जाता है माता को कई नामों से

हिंगलाज माता को कई नामों से जाना जाता है। इनको स्थानीय लोग कोट्टरी, कोट्टवी और कोट्टरिशा नाम से बुलाते हैं। जबकि मुस्लिम भक्त माता को नानी और बीबी नानी कहते हैं।

मंदिर से जुड़ी है कथा

हिंगलाज माता मंदिर से एक कथा भी जुड़ी हुई है और ऐसा कहा जाता है कि इस जगह पर भगवान राम जी ने आकर मां के दर्शन किए थे और मां की पूजा की थी।  इतना ही नहीं कई जाने माने आध्यात्मिक संत जैसे गुरु गोरखनाथ, गुरुनानक देव और दादा मखान भी इस मंदिर में आ चुके हैं और मां का आशीर्वाद ले चुके हैं।

ये मंदिर कराची से तकरीबन 250 किलोमीटर की दूर पर स्थित है और इस मंदिर के पास ही तीन ज्वालामुखी भी हैं, जिन्हें गणेश, शिव और पार्वती के नाम से जाना जाता है। ये मंदिर एक प्रचानी मंदिर है और इस मंदिर में आकर मांगी गई हर कामना पूर्ण हो जाती है। हालांकि इस मंदिर के पाकिस्तान में स्थित होने की वजह से भारत के लोग यहां पर जाकर मां के दर्शन नहीं कर सकते हैं।

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