जानें क्यों ब्रह्मा, विष्णु और महेश में विष्णु जी को श्रेष्ठ देवता माना जाता है
हिंदू धर्म में भगवान के तीन स्वरूप बताए गए हैं जो कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं। पुराणों में ब्रह्मा जी को सृष्टि यानी इस संसार का रचेता कहा गया है, विष्णु जी को इस संसार का पालनहर्ता बताया गया है और महेश यानी शिव जी को इस संसार का संहार कहा गया है।
विष्णु हैं देवों में श्रेष्ठ देवता
पुराणों में विष्णु भगवान को सभी देवताओं में सबसे श्रेष्ठ देवता कहा गया है और विष्णु भगवान को श्रेष्ठ देवता का दर्जा देने से एक कथा जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि एक बार भृगु ऋषि ये पता लगाना चाहते थे कि ब्रह्मा, विष्णु और महेश में से कौन सा देवता सबसे श्रेष्ठ है। ये पता लगाने के लिए भृगु ऋषि ने सोचा कि वो क्यों ना एक-एक कर तीनों देवों से मिलें और मिलने के बाद ये तय करें की कौन सा देवता सबसे श्रेष्ठ देवता है।
भृगु ऋषि सबसे पहले शिव जी के पास गए। लेकिन रुद्रगणों ने भृगु ऋषि को शिव जी से मिलने से रोक दिया। क्योंकि शिव जी सती मां के साथ थे। इसके बाद भृगु ऋषि ब्रह्मा जी के पास उनसे मिलने के लिए पहुंचे। लेकिन ब्रह्मा जी उस समय देवताओं के साथ दरबार में थे। जिसके चलते वो भृगु ऋषि से नहीं मिल सके। शिव जी और ब्रह्मा जी से मुलाकात ना होने के कारण भृगु ऋषि बेहद ही क्रोधित हो गए और क्रोधित होते हुए विष्णु जी से मिलने के लिए पहुंचे।
जब भृगु ऋषि विष्णु जी के पास गए तो उन्होंने पाया की विष्णु जी सो रहे हैं। विष्णु जी को सोता हुआ देख भृगु ऋषि को क्रोध आ गया और उन्होंने विष्णु की छाती पर पैर मार दिया। छाती पर पैर पड़ने के कारण विष्णु जी की नींद खुल गई और विष्णु जी ने भृगु ऋषि से क्षमा मांगते हुए कहा, भृगु ऋषि जी आपको कहीं चोट तो नहीं आई ? क्योंकि मैं कठोर हृदय हूं। ये कहने के बाद विष्णु जी ने भृगु ऋषि के पैरों को पकड़ लिया और उनके पैरों को दबाने लगे। विष्णु जी का ये रूप देख भृगु ऋषि का क्रोध शांत हो गया और उनको अपनी गलती का एहसास हो गया। विष्णु जी की इस महानता को देख भृगु ऋषि ने उन्हें देवों में श्रेष्ठ घोषित कर दिया।
पुराणों में इस तरह से किया गया है विष्णु जी का वर्णन
शांताकारं भुजंगशयनं पद्मनाभं सुरेशं।
विश्वाधारं गगनसदृशं मेघवर्णं शुभांगं।
लक्ष्मीकांतं कमलनयनं योगिभर्ध्यानगम्यं।
वंदे विष्णु भवभयहरं सर्वलोकैकनाथम्।
हमारे पुराणों में विष्णु जी का नाम अन्य देवताओं के मुकाबले सबसे अधिक लिया गया और इनका वर्णन करते हुए लिखा है कि इनका चतुर्भुज स्वरूप है। इनके दो हाथों में गदा है और एक में चक्र है जो कि दंड देने वाला हथियार है। जबकि अन्य दो हाथों में शंख और कमल का फूल है। ये शेषनाग पर वे विश्राम किया करते हैं और लक्ष्मी मां के पति हैं। इनकी आंखे कमल के समान हैं। ये भय का हरण करते हैं और सभी लोकों के एकमात्र स्वामी हैं।