अध्यात्म

रणथंभौर मंदिर में त्रिनेत्र गणपत्ति की होती है पूजा, लोगों द्वारा चिट्ठी पर लिखी जाती है मनोकामना

अक्सर लोग मंदिरों में जाकर भगवान के सामने हाथ जोड़कर उनसे अपनी मनोकामना बोलते हैं और भगवान से प्रार्थना करते हैं कि वो उनकी मनोकामना पूर्ण कर दें। लेकिन राजस्थान के सवाई माधौपुर के पास एक ऐसा मंदिर हैं, जहां पर लोग अपनी मनोकामना चिट्ठी पर लिखते हैं और इस चिट्ठी को गणेश भगवान के चरणों में चढ़ाते हैं।

ऐसा कहा जाता है कि चिट्ठी में लिखी मनोकामना को गणेश भगवान जी पूरा कर देते हैं। रणथंभौर में गणेश जी का ये मंदिर बेहद ही प्रसिद्ध मंदिर है और हर रोज हजारों की संख्या में गणेश जी के सामने भक्तों की चिट्ठी रखी जाती है। वहीं जो लोग इस मंदिर में नहीं आ सकते हैं वो लोग मंदिर के पते पर अपनी चिट्ठी भेज देते हैं और इन चिट्ठियों को पुजारी भगवान के चरणों में रख देते हैं। इस मंदिर के पुजारियों के अनुसार गणेश जी भक्तों की चिट्ठी में लिखी मनोकामनाएं पूरी कर देते हैं।

बेहद ही अलग तरह की है गणेश जी की प्रतिमा

इस मंदिर में रखी गई गणेश जी की प्रतिमा बेहद ही अलग तरह की है। गणेश जी की इस प्रतिमा की तीन आंखें हैं और गणेश जी के साथ उनकी पत्नियां रिद्धि-सिद्धि और पुत्र शुभ-लाभ की मूर्तियां भी साथ में रखी गई है। इस मंदिर में आकर भक्त गणेश जी की पूजा उनके सपरिवार के साथ करते हैं।

काफी प्राचीन है ये मंदिर

ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर को 10 वीं सदी में बनाया गया था और इस मंदिर का निर्माण राजा हमीर द्वारा करवाया गया था। एक बार राजा हमीर के सपने में गणेश जी आए थे। जिसके बाद राजा ने अपने किले के अंदर ही इस मंदिर को बनवा दिया।

इस तरह है शुरू हई चिट्ठी भेजने की परंपरा

इस मंदिर के पुजारियों के अनुसार मुगल काल के दौरान इस मंदिर में लोगों द्वारा गणेश जी को चिट्ठी भेजी जाती थी। हालांकि उस दौरान लोग मांगलिक कार्य होने पर गणेश जी को चि़ट्ठी लिख इन्हें आमंत्रित किया करते थे। वहीं धीरे -धीरे भक्तों ने गणेश जी को अपनी मनोकामनाएं लिखकर भेजना शुरू कर दिया और तभी से इस मंदिर में रोजाना हजारों की संख्या में चिट्ठी आना शुरू हो गई।

भक्तों के अनुसार जो भी अपनी कामान चिट्ठी पर लिखकर गणेश जी को भेजता हैं वो जरूर पूर्ण हो जाती है। वहीं गणेश चतुर्थी के दौरान इस मंदिर में गणपत्ति बप्पा के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग आया करते हैं और बप्पा से आशीर्वाद लिया करते हैं। ये मंदिर सवाई माधौपुर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर रणथंभौर के किले में स्थित है।

कैसे पहुंचे इस मंदिर

ये मंदिर जयपुर  से 150 किलोमीटर की दूरी पर है। ये मंदिर रणथंभौर किले के अंदर बना हुआ है और इस जगह जाने के लिए जयपुर से रेल और बस की सुविधा मौजूद है। आप रेल या बस के माध्यम से इस मंदिर में आसानी से जा सकते हैं। वहीं इस मंदिर के पास ही कई सारी धर्मशालाएं भी हैं जहां आप रुक सकते हैं।

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