शिव को पाने के लिए मां ब्रह्मचारिणी ने की थी कठिन तपस्या, इनकी पूजा से मनोकामना होती है पूरी
नवरात्रि के पर्व के दौरान मां के नौ रूपों का पूजन किया जाता है और नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित हैं। नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन किया जाता है और मां को सफेद रंग की चीजें अर्पित की जाती हैं। मां ब्रह्मचारिणी से एक कथा भी जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी ने शिव को पाने के लिए कठोर तपस्या की थी और इस तपस्या के कारण ही इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से जीवन के सभी कष्ट खत्म हो जाते हैं और मां ब्रह्मचारिणी पार्वती मां का ही एक रूप हैं। मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में एक जप की माला और बांए हाथ में कमंडल होता है। मां ब्रह्मचारिणी साक्षात ब्रह्म का स्वरूप भी माना जाता है ।
मां ब्रह्मचारिणी हैं कई नाम
मां ब्रह्मचारिणी के कई सारे नाम हैं और इन्हें देवी भगवती दुर्गा, शिवस्वरूपा, गणेशजननी, नारायनी, विष्णुमाया और पूर्ण ब्रह्मस्वरूपिणी भी कहा जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जो लोग मां ब्रह्मचारिणी का पूजन करते हैं उन लोगों के जीवन में कभी भी बुरा वक्त नहीं आता है और सदा मां उनपर अपनी कृपा बनाई रखती हैं। इसलिए आप नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी का पूजन जरूर करें।
मां ब्रह्मचारिणी के पूजन की विधि
नवरात्रि के दूसरे दिन आप सुबह उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद आप मां ब्रह्मचारिणी की मूर्ति चौकी पर रख दें और मूर्ति के सामने आप घी का एक दीपक जला दें। दीपक जलाने के बाद आप मां को सफेद रंग के फूल चढ़ा दें और भोग में भी सफेद रंग की चीजें मां को चढ़ाए। हो सके तो आप नवरात्रि के दूसरे दिन सफेद रंग के ही वस्त्र धारण करें। क्योंकि मां ब्रह्मचारिणी का प्रिय रंग सफेद माना जाता है।
आप पूजा शुरू करने से पहले पूजा से जुड़ा संकल्प लें लें और संकल्प लेने के बाद पूजा की शुरूआत कर दें। आप पूजा करते समय मां ब्रह्मचारिणी से जुड़ी कथा पढ़ लें। कथा पढ़ने के बाद आप नीचे बताए गए मंत्र का जाप करें।
देवी ब्रह्मचारिणी का मंत्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥
मंत्र का जाप करने के बाद आप मां ब्रह्मचारिणी की आरती गाएं और मां से जुड़ी आरती इस प्रकार है-
मां ब्रह्मचारिणी की आरती –
जय अंबे ब्रह्माचारिणी माता। जय चतुरानन प्रिय सुख दाता।
ब्रह्मा जी के मन भाती हो। ज्ञान सभी को सिखलाती हो।
ब्रह्मा मंत्र है जाप तुम्हारा। जिसको जपे सकल संसारा।
जय गायत्री वेद की माता। जो मन निस दिन तुम्हें ध्याता।
कमी कोई रहने न पाए। कोई भी दुख सहने न पाए।
उसकी विरति रहे ठिकाने। जो तेरी महिमा को जाने।
रुद्राक्ष की माला लेकर। जपे जो मंत्र श्रद्धा देकर।
आलस छोड़ करे गुणगाना। मां तुम उसको सुख पहुंचाना।
ब्रह्माचारिणी तेरो नाम। पूर्ण करो सब मेरे काम।
भक्त तेरे चरणों का पुजारी। रखना लाज मेरी महतारी
मां की आरती करने के बाद आप मां को चढ़ाया गया प्रसाद लोगों में बांट दें और मां से घर की सुख शांति की कामना करें।