शिव पुराण के अनुसार ये व्रत रखने से हो जाते हैं जीवन के हर कष्ट दूर
प्रदोष व्रत हर महीने आते हैं और इन व्रत के दौरान शिव भगवान की पूजा की जाती है। दरअसल प्रदोष व्रत हर महीने के दोनों पक्षों के त्रयोदशी यानी 13वें दिन आते हैं। शिव पुराण में प्रदोष व्रत का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि प्रदोष तिथि पर भगवान शिव पृथ्वी पर रहने वाले लोगों की प्रार्थना सुन लेते हैं और यही कारण है कि लोगों द्वारा प्रदोष व्रत रखा जाता है और ये व्रत कर लोग भगवान शिव से अपनी हर मन कामना पूर्ण करवा लेते हैं। इसलिए अगर आपकी कोई कामना अधूरी है तो आप प्रदोष व्रत को रखा करें।
कैसे रखता जाता है प्रदोष व्रत
प्रदोष व्रत पूरी तरह से भगवान शिव को समर्पित हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा करने से और इनका व्रत रखने से सभी दुख दूर हो जाते हैं। प्रदोष व्रत निर्जल व्रत होता है और इस व्रत के दौरान पानी नहीं पीया जाता है। इसके अलावा इस दिन सफेद रंग के वस्त्र धारण करना उत्तम माना जाता है।
प्रदोष व्रत की पूजा विधि
- प्रदोष व्रत के दिन शाम के समय शिव भगवान की पूजा की जाती है और पूजा करने से पहले स्नान जरूर किया जाता है। इसलिए आप अगर ये व्रत रखते हैं तो आप शाम के समय शिव भगवान की पूजा करें और पूजा से पहले स्नान जरूर करें।
- पूजा करते समय आपका मुंह पूर्व दिशा की और ही होना चाहिए और इस दिशा की और बैठकर ही आप अपनी पूजा आरंभ करें।
- पूजा करने हेतु आप मिट्टी से एक शिवलिंग बना लें और इस शिवलिंग को पूजा घर में रख इसकी पूजा करें। पूजा शुरू करते हुए आप सबसे पहले इस शिवलिंग को पंचामृत अर्पित करें और बिलपत्र चढ़ा दें। इसके बार शिवलिंग के सामने एक देसी घी का दीपक जला दें। पूजा करते समय आप इस बात का ध्यान रखें की आप शिवलिंग को लाल रंग का फूल ना चढाएं और हो सके तो केवल सफेद रंग का फूल ही अर्पित करें।
- इसके बाद आप शिव जी से जुड़े पाठों को पढ़ें और पूजा पूरी होने के बाद शिव भगवान के नाम का जाप भी करें।
- पूजा पूरी हो जाने के बाद आप अगले दिन सुबह उठकर स्नान करें और स्नान करने के बाद मिट्टी से बनाए गए शिवलिंग का विधिवत विसर्जन करें।
प्रदोष व्रत का का महत्व
ऐसा कहा जाता है कि प्रदोष व्रत रखने से महादेव हर इच्छा को पूर्ण कर देते हैं। इसके अलावा जो लोग ये व्रत रखते हैं उन लोगों के सभी पाप भी धुल जाते है और उन्हें शिव धाम की प्राप्ति होती है।
प्रदोष व्रत कथा
प्रदोष व्रत से एक कथा भी जुड़ी हुई है और इस कथा के अनुसार चंद्रमा को एक बार क्षय रोग हो गया था और इस रोग के कारण उनकी चमक कम होने लगी। इस दोष से बचने हेतु चंद्रमा ने भगवान शिव की प्रार्थना की और प्रदोष व्रत रखा। चंद्रमा द्वारा रखे गए व्रत से खुश होकर भगवान शिव ने उन्हें इस दोष से मुक्ति दे दी और चंद्रमा की चमक वापस आ गई। इसलिए कहा जाता है कि ये व्रत करने से हर कामान पूर्ण हो जाती है और शिव भगवान आपकी रक्षा करते हैं।