गरीबी और दुखों का मिनटों में नाश कर देता है ‘दारिद्रयदहन शिवस्तोत्र’
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् शिव भगवान से जुड़ा हुआ एक पाठ हैं। ऐसा कहा जाता है कि इस पाठ को पढ़ने से जीवन का हर दुख दूर हो जाता है और जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। जिन लोगों को धन-संपत्ति में हानि होती है या जो लोग धन-संपत्ति जोड़ना चाहते हैं वो लोग दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् जरूर पढ़ा करें। दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् पढ़ने से आपके जीवन में धन की वर्षा हो जाएगी है और कभी भी धन की कमी नहीं होगी।
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् शब्द में दारिद्रयदहन का अर्थ है दरिद्रता यानी गरीबी का नाश है। इस पाठ को पढ़ने से मन को शांति मिलती है और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है। यह पाठ जो लोग करते हैं उनका मन शुद्ध हो जाता है और उनको क्रोध, लोभ, डर और अहंकार से मुक्ति मिल जाती है।
किसके द्वारा लिखा गया है दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम्
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् को महर्षि वशिष्ठ द्वारा लिखा गया है और इस स्त्रोत्र को पढ़ने से भगवान शिव की कृपा पाई जा सकती है। इस स्त्रोत को पढ़ने से गरीबी दूर हो जाती है और धन की प्राप्ति होती है। इसलिए जो लोग अमीर बनना चाहते हैं वो लोग रोज इस पाठ का जाप करें। यह पाठ बेहद ही छोटा है और इसको 20 मिनट के अंदर ही पढ़ा जा सकता है।
दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् पाठ अर्थ सहित
विश्वेश्वराय नरकार्णवतारणाय
कर्णामृताय शशिशेखरधारणाय।
कर्पूरकांतिधवलाय जटाधराय
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥1॥
अर्थ – विश्व के स्वामीरूप विश्वेश्वर, नरकरूपी संसारसागर से उद्धार करने वाले, कानों से श्रवण करने में अमृत के समान नाम वाले, अपने भाल पर चन्द्रमा को आभूषणरूप में धारण करने वाले, कर्पूर की कान्ति के समान धवल वर्ण वाले, जटाधारी और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
गौरीप्रियाय रजनीशकलाधराय
कालान्तकाय भुजंगाधिपकङ्कणाय।
गङ्गाधराय गजराजविमर्दनाय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय . ॥2॥
अर्थ हिंदी – माता गौरी के अत्यन्त प्रिय, रजनीश्वर (चन्द्रमा) की कला को धारण करने वाले, काल के भी अन्तक (यम) रूप, नागराज को कंकणरूप में धारण करने वाले, अपने मस्तक पर गंगा को धारण करने वाले, गजराज का विमर्दन करने वाले और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
भक्तिप्रियाय भवरोगभयापहाय
उग्राय दुर्गभवसागरतारणाय।
ज्योतिर्मयाय गुणनामसुनृत्यकाय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय॥3॥
अर्थ – भक्तिप्रिय, संसाररूपी रोग एवं भय के विनाशक, संहार के समय उग्ररूपधारी, दुर्गम भवसागर से पार कराने वाले, ज्योति स्वरूप, अपने गुण और नाम के अनुसार सुन्दर नृत्य करने वाले तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
चर्माम्बराय शवभस्मविलेपनाय
भालेक्षणाय मणिकुण्डलमण्डिताय।
मञ्जीरपादयुगलाय जटाधराय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय॥4॥
अर्थ – व्याघ्रचर्मधारी, चिताभस्म को लगाने वाले, भाल में तीसरा नेत्र धारण करने वाले, मणियों के कुण्डल से सुशोभित, अपने चरणों में नूपुर धारण करने वाले जटाधारी और दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
पञ्चाननाय फणिराजविभूषणाय
हेमांशुकाय भुवनत्रयमण्डिताय।
आनंतभूमिवरदाय तमोमयाय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥5॥
अर्थ – पांच मुख वाले, नागराजरूपी आभूषणों से सुसज्जित, सुवर्ण के समान वस्त्र वाले अथवा सुवर्ण के समान किरणवाले, आनन्दभूमि (काशी) को वर प्रदान करने वाले, सृष्टि के संहार के लिए तमोगुणाविष्ट होने वाले तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
भानुप्रियाय भवसागरतारणाय
कालान्तकाय कमलासनपूजिताय।
नेत्रत्रयाय शुभलक्षणलक्षिताय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥6॥
अर्थ – सूर्य को अत्यन्त प्रिय भवसागर से उद्धार करने वाले, काल के लिए भी महाकालस्वरूप, कमलासन (ब्रह्मा) से सुपूजित, तीन नेत्रों को धारण करने वाले, शुभ लक्षणों से युक्त तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय
नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय।
पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरार्चिताय॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥7॥
अर्थ– राम को अत्यन्त प्रिय रघुनाथजी को वर देने वाले, सर्पों के अतिप्रिय, भवसागररूपी नरक से तारने वाले, पुण्यवानों में अत्यन्त पुण्य वाले, समस्त देवताओं से सुपूजित तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय
गीतप्रियाय वृषभेश्वरवाहनाय।
मातङग्चर्मवसनाय महेश्वराय ॥
दारिद्रयदुःखदहनाय नमः शिवाय ॥8॥
अर्थ– मुक्तजनों के स्वामीरूप, चारों पुरुषार्थों को फल को देने वाले, स्तुतिप्रिय नन्दीवाहन, गजचर्म को वस्त्ररूप में धारण करने वाले, महेश्वर तथा दरिद्रतारूपी दु:ख के विनाशक भगवान शिव को मेरा नमस्कार है।
कब पढ़ना चाहिए यह पाठ
भगवान शिव का दारिद्रयदहन शिवस्तोत्रम् पाठ आप हर रोज पढ़ सकते हैं। आप रोज भगवान शिव की पूजा करने के बाद यह पाठ पढ़ें। यह पाठ दिन में एक बार करने से ही आपके दुखों का नाश हो जाएगा और आपके जीवन में धन आने लग जाएगा। वहीं अगर आपके पास रोज इस पाठ को पढ़ने का समय नहीं है। तो आप सोमवार के दिन इस पाठ को करें। सोमवार का दिन शिव भगवान से जुड़ा होता है और इस दिन शिवलिंग पर जल चढ़ाने के बाद आप इस पाठ को पढ़ लें।
वहीं अगर आप चाहें तो इस पाठ को अपने पूजा घर में भी पढ़ सकते हैं। आप सुबह उठकर स्नान कर लें। स्नान करने के बाद शिव जी की पूजा करें और एक घी का दीपक जला लें। फिर आप इस पाठ को पढ़ना शुरू कर दें। इस पाठ को पूरा करने के बाद शिव भगवान का नाम ले लें और पाठ की किताब को मंदिर में वापस से रख दें। आप रोज इसी तरह इस स्त्रोत को पढ़े। वहीं जब आपके जीवन से गरीबी दूर हो जाए तो आप मंदिर में जाकर शिवलिंग को जल और दूध चढ़ा दें।
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