हज जाने के बाद वहां क्या करते हैं मुसलमान भाई-बहन, जानिए क्या क्या करना होता है
हमारे मुसलमान भाई अक्सर हज के लिए सऊदी अरब जाते रहते हैं. इस बात की जानकारी तो सभी को हैं. हालाँकि वो वहां जाने के बाद क्या क्या करते हैं इसका इल्म सिर्फ मुसलमानों को ही हैं, हिंदुओं या अन्य धर्म के लोगो को इसकी जानकारी बहुत कम हैं. ऐसे में आज हम आपको इसके बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं.
इहराम: इहराम एक तरह का लिबाज़ होता हैं. इसमें मर्द और महिला दोनों को ही एक ख़ास तरह के कपड़े पड़ते हैं. इसमें मर्द बिना सिलाई वाला दो टुकड़ों से बना एक सफ़ेद चोगा धारण करते हैं. वहीं महिलाओं की बात करे तो वे सफ़ेद रंग वाले खुले कपड़े पहनती हैं. ये कपड़ा उनके हाथ और चेहरे को छोड़ पूरी बॉडी पर ढका रहता हैं. इसके साथ ही इस दौरान आपको शारीरिक संबंध बनाने, लड़ाई झगड़ा करने, खुशबू वाले पदार्थ लगाने और बाल नाखून इत्यादि काटने से परहेज करना पड़ता हैं.
तवाफ: जब श्रद्धालु मक्का पहुँच जाते हैं तो वहां पर काबा के सात चक्कर लगाते हैं. ये चक्कर घड़ी की विपरीत दिशा में लगाने होते हैं. इस प्रक्रिया को तवाफ कहा जाता हैं.
सई: इसके बाद हाजी मस्जिद में दो पत्थरों के मध्य 7 बार परिकृमा करते हैं. इस प्रोसेस को सी कहा जाता हैं. असल में ये इब्राहिम की पत्नी हाजरा की पानी की तलाश का प्रतिक होता हैं.
उमरा: अब तक जितने भी कार्य किए गए हैं उसकी गिनती हज में नहीं होती हैं बल्कि इस पूरी प्रक्रिया को उमरा कहा जाता हैं. हज की असल और मुख्य रस्म इसके बाद ही स्टार्ट होती हैं. आमतौर पर इसकी शुरुआत सिर्फ शनिवार से प्रारंभ होती हैं जिसके अंतर्गत हाजी मुख्य मस्जिद से 5 किलोमीटर दूर मीना जाते हैं.
जबल उर रहमा: अगले दिन जबल उर रहमा नाम की एक पहाड़ी के पास लोग जमा होने लगते हैं. मीना से 10 किलोमीटर दूर अराफात पहाड़ी के पास लोग जमा होकर नमाज भी अदा करते हैं.
मुजदलफा: जैसे ही सूर्य अस्त होता हैं हाजी अराफात और मीना के मध्य स्थित मुजदलफा की और जाते हैं और आधी रात तक यहीं ठहरते हैं. इस जगह पर पत्थर जमा किए जाते हैं जिन्हें बाद में शैतान को मारा जाएगा.
ईद: इसके अगले दिन जब हाजी मीना लौट आते हैं तो मिलक्र ईद का जश्न मनाते हैं. इस दौरान रोजाना तीन बार 7 पत्थरों को मारने की रस्म होती हैं.
बकरा हलाल: जब पहली दफा पत्थर मारा जाता हैं तो बकरे को हलाल किया जाता हैं. इसका मांस जरूरतमंद लोगो में बाँट दिया जाता हैं. बताते चले कि बकला हलाली एक प्रतिक होता हैं जिसका संबंध अब्राहम के अल्लाह की खातिर अपने बेटे इस्माइल की दी गई कुर्बानी से हैं.
सफाई: अब सभी हाजी अपने बाल और नाखून काटते हैं. इसमें मर्द पुरे गंजे हो जाते हैं जबकि महिलाएं सिर्फ एक उंगल बाल काटती हैं. इस प्रक्रिया के बाद सामान्य कपड़े पहनने की अनुमति होती हैं.
दोबारा तवाफ: इसके पश्चात दोबारा तवाफ की बारी आती हैं. इसमें हाजी मक्का की मुख्य मस्जिद लौट काबा के 7 चक्कर लगते हैं.
पत्थर: अब दोबारा मीना जाकर 2-3 दिन तक पत्थर मारने की रस्म होती हैं.
दोबारा काबा: अब दोबारा लोग काबा जाकर सात चक्कर लगाते हैं और इसी के साथ हज पूर्ण होता हैं.