अध्यात्म

श्रीमद् भागवत गीता के अनुसार इन 6 चीजों का नहीं करना चाहिए अपमान

श्रीमद् भागवत गीता बेहद ही पवित्र ग्रंथ हैं और इस ग्रंथ के अंदर भगावन कृष्ण जी ने हमें कई चीजों का ज्ञान दिया है। श्रीमद् भागवत गीता में लिखे गए एक श्लोक के माध्यम से भगावन कृष्ण जी ने हमने 6 ऐसे लोगों के बारे में बताया है, जिनके बारे में बुरी सोच रखने पर हमारा नुकसान होता है और हमें जीवन भर दुखों का सामना करना पड़ता है। इसलिए आप नीचे बताए गए छह चीजों के बारे में कभी भी अपने मन में बुरा ख्याल ना लाएं और इनका सदा आदर करें।

श्रीमद् भागवत गीता में लिखा गया श्लोक

यदा देवेषु वेदेषु गोषु विप्रेषु साधुषु।
धर्मो मयि च विद्वेषः स वा आशु विनश्यित।। (श्रीमद् भागवत)

इस श्लोक का अर्थात- इस श्लोक के अनुसार देवताओं, वेदों, गौ, ब्रह्माणों, साधुओं और धर्म के कामों के बारे में जो लोग बुरी सोच रखते हैं उन लोगों का नाश जल्द हो जाता है।

सदा करें भगवान का सम्मान

रावण सदा देवताओं का अपमान करता था और रावण ने कई देवताओं को अपना बंधी भी बना रखा था। रावण की और से किए गए इस अपमान की वजह से ही उसका विनाश हुआ था। इसलिए कहा जाता है कि कभी भी भगवानों का अपमान ना करें और सदा सच्चे मन से इनकी पूजी किया करें।

ना करें वेदों का अपमान

ऐसा कहा जाता है कि असुर हमेशा ही वेदों के खिलाफ थे और इन्होंने कई बार वेदों को नष्ट करने कि कोशिश की थी। हालांकि जिन जिन असुरों ने वेदों का सम्मान नहीं किया उनको भगवान द्वारा दण्ड़ दिया गया था। इसलिए हर मनुष्य को अपने धर्म ग्रंथों और वेदों का सम्मान करना चाहिए।

जरूर करें गायों की पूजा

गायों की पूजा करने से हर पाप नष्ट हो जाते हैं। वहीं जो लोग गायों को पीड़ा देते है उन्हें पाप चढ़ता है। एक कथा के अनुसार बलासुर नामक एक असुर हुआ करता था और इस असुर ने देवताओं की सभी गायों का अपहरण कर लिया था। अपहरण करने के बाद बलासुर ने गायों को खूब पीड़ा दी । वहीं जब इस बात का पता  देवराज इन्द्र को चला तो उन्होंने बलासुर का वध कर दिया।

ऋषि और ब्राह्मणों का ना करें अपमान

एक कथा के अनुसार ऋषि मैत्रेय, धृतराष्ट्र से मिलने के लिए उनके महल में आए थे और उनका स्वागत धृतराष्ट्र के पुत्रों ने काफी अच्छे से  किया। हालांकि दुर्योधन ने  महर्षि मैत्रेय का मजाक बनाना शुरू कर दिया। जिसकी वजह से वो गुस्सा हो गए और गुस्से में ऋषि ने दुर्योधन को युद्ध में मारे जाने का श्राप दिया था। इसलिए कहा जाता है की आप कभी भी किसी ऋषि  या ब्राह्मणों का अपमान ना करें।

धर्म

इंसान को कभी भी अधर्म के रास्ते पर नहीं चलना चाहिए। अश्वत्थामा गुरु द्रोण के पुत्र थे लेकिन समझदार होने के बाद भी वो हमेशा ही अधर्म के कामों में लगे रहे। अश्वत्थामा ने दुर्योधन का साथ महाभारत युद्ध में दिया औ अधर्म के रास्ते पर चलते हुए कई गलत काम किए। जिसकी वजह से भगवान कृष्ण ने उन्हें दर-दर भटकने का श्राप दिया था।

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