अब तक गलत तरीके से सूर्यदेव को जल चढ़ा रहे थे आप, जानिए सही विधि
सूर्यदेव की पूजा का हिंदू धर्म में काफी महत्त्व बताया गया हैं. वैदिक काल से ही सूर्यदेव को पूजा जा रहा हैं. विष्णु, भगवत, ब्रह्मा वैवर्त जैसी पुरानों में भी इसका उल्लेख देखने को मिलता हैं. ऐसा कहा जाता हैं कि जो व्यक्ति सूर्यदेव की आराधना करता हैं उसके सभी रोग और कष्ट नष्ट हो जाते हैं. उसके जीवन में कोई भी दुःख ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता हैं. यहाँ तक कि जब भगवान विष्णु राम अवतार लेकर धरती लोक पर जब अवतरित हुए थे तो वे भी अपने दिन की शुरुआत सूर्यदेव की पूजा के साथ करते थे.
सूर्यदेव को प्रसन्न करने का सबसे आसान तरीका उन्हें रोजाना जल चढ़ाना भी हैं. आपकी कुंडली में जो सूर्य गृह होता हैं उसे पिता या ज्येष्ठ का पदवी प्राप्त हैं. ऐसे में यदि आपकी कुंडली में सूर्य गृह की स्थिति ठीक ना हो तो आपको पंडित द्वारा सूर्य को जल चढ़ाने की सलाह दी जाएगी. वैसे कुंडली दोष ना हो तो भी आप सूर्यदेव को अच्छे भाग्य के लिए जल अर्पित कर सकते हैं. हालाँकि इस जल को चढ़ाने का भी एक ख़ास नियम होता हैं. यदि आप सही विधि से सूर्य को जल नहीं देंगे तो आपको इसका फल भी नहीं मिलेगा. तो चलिए फिर बिना किसी देरी के सूर्यदेव को जल अर्पित करने की सही विधि जान लेते हैं.
सूर्यदेव को जल देने की विधि
- नियम के अनुसार सूर्य उदय होने के 1 घंटे के भीतर ही जल दे देना चाहिए. ऐसा ना हो तो कम से कम 8 बजे तक तो जल चढ़ाना ही चाहिए.
- जल चढ़ाने के पूर्व आप नियमित क्रियाओं से मुक्त होकर स्नान जरूर करे.
- सूर्य को जल हमेशा पूर्व दिशा की और मुख करते हुए ही देखा चाहिए. हालाँकि यदि पूर्व में सूरज ना दिखे तो दिशा बदली जा सकती हैं.
- जब सूर्यदेव को जल दे तो उसमे पुष्प या अक्षत (चावल) मिलाए जा सकते हैं.
- सूर्यदेव जो जल चढ़ाने के दौरान एक ख़ास मंत्र बोलने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. ये मंत्र हैं – ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
- सूर्यदेव को जल देने के पश्चात धुप एवं अगरबत्ती के माध्यम से उनकी पूजा भी करनी चाहिए.
- यदि आप सूर्य को जल लाल रंग के वस्त्र पहन चढ़ाते हैं तो ये और भी शुभ और लाभकारी होता हैं.
- जब सूर्य को जल अर्पित करे तो आपके दोनों हाथ आपे सिर के ऊपर होना चाहिए. इस तरह सूर्य की सातों किरणें आपके शरीर पर पड़ती हैं और एक सकारात्मक उर्जा आपके अंदर प्रवेश करती हैं. यह पॉजिटिव एनर्जी आपके भाग्योदय के साथ कष्टों को दूर करने में सहयात प्रदान करती हैं.
- अंत में सूर्यदेव की तीन परिक्रमा भी अपने स्थान पर घूमते हुए करीनी चाहिए.
दोस्तों हमें उम्मीद हैं कि आपको हमारी दी गई ये जानकारी बहुत पसंद आई होगी. अब आज से आप इसी विधि से सूर्यदेव को जल दिया करे. इससे आपको बहुत लाभ होगा. वैसे आपको हमारा ये उपाय पसंद आया तो इसे दोस्तों एवं रिश्तेदारों संग साझा करना ना भूले. इस तरह वे भी इसका लाभ ले सकेंगे.