एक रुपये में इडली बेचती है यह दादी जी, महिंद्रा कंपनी के मालिक भी करना चाहते हैं इन्वेस्टमेंट
दुनिया में बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो अपनी मेहनत से कम कमाते हैं लेकिन दूसरों का भी अच्छा ख्याल रखते हैं। आज के समय में जहां लोग पैसा कमाने के लिए किसी भी हद तक चले जाते हैं फिर इसमें दूसरों का नुकसान होता है तो होने दो कोई मतलब नहीं है। मगर भारत के एक गांव में ऐसी भी महिला हैं जो कमाकर अपना पेट भर रही हैं लेकिन गरीबों की जेब का भी खूब ख्याल रखती हैं। 80 साल की इस महिला को सभी दादी कहते हैं और ये आज भी अपना सारा काम खुद ही करती हैं। आखिर कौन है वो दादी जो एक रुपये में बेचती है इडली? जिनसे भारत के ये बड़े बिजनेसमैन प्रभावित हैं।
आखिर कौन है वो दादी जो एक रुपये में बेचती है इडली?
आनंद महिंद्रा बिजनेस की दुनिया के एक चर्चित चेहरे हैं और वे अपने ट्वीट्स के जरिए भी खूब फेमस हैं। इस बार उन्होंने एक अलग ही ट्वीट किया जिसमें तमिलनाडु की एक बुजुर्ह महिला का जिक्र हुआ है। इतना ही नहीं कोयंबटूर में रहने वाली इस 80 साल की कमलाथल के इस बिजनेस में वे निवेश भी करने की इच्छा जाहिर कर रहे हैं। कमलाथल लोगों को सिर्फ 1 रुपये में इडली, सांभर और चटनी खिलाती हैं। एक वीडियो शेयर करते हुए आनंद महिंद्रा ने उनके काम की खूब तारीफ की।
One of those humbling stories that make you wonder if everything you do is even a fraction as impactful as the work of people like Kamalathal. I notice she still uses a wood-burning stove.If anyone knows her I’d be happy to ‘invest’ in her business & buy her an LPG fueled stove. pic.twitter.com/Yve21nJg47
— anand mahindra (@anandmahindra) September 10, 2019
महिंद्रा ने अपने ट्वीट में लिखा, ”कुछ कहानियां बहुत सामान्य होती हैं, लेकिन अगर आप भी कमलाथल जैसा कुछ प्रभावशाली काम करने की शुरुआत करते हैं तो यकीनन दुनिया हैरान रह जाती है। मुझे लगता है कि वो अब भी लकड़ी के चूल्हे का इस्तेमाल करती हैं।
अगर कोई उन्हें जानता है तो मुझे उन्हें एक एलपीजी गैस चूल्हा देने में खुशी होगी और उनके बिजनेस में निवेश करना मुझे अच्छा लगेगा।” तमिलनाडु के कोयबंटूर शहर से करीब 20 किलोमीटर दूर पेरुर के पास Vadivelampalayam नाम का एक गांव हैं वहीं पर कलमाथल रहती हैं। उन्हें सभी दादी कहते हैं और वे पिछले 30 सालों से इडली का ही काम कर रही हैं। उन्होंने ये काम मुनाफे के लिए नहीं अपना काम चलाने और लोगों का पेट भरने के लिए शुरु किया था। दादी हर दिन 1000 इडली बनाती हैं और 80 साल की इस महिला ने किसी को मदद के लिए नहीं रखा है। वे इतनी सस्ती इडली इसलिए बेचती हैं क्योंकि गरीब मजदूर या उनके बीवी-बच्चे पेटभर खाना खा सकें। इस बारे में दादी का कहना है कि पहले वे 50 पैसों में इडली बेचती थीं लेकिन अब 1 रुपये लेती हैं और लोगों ने उनसे कई बार कहा कि वे अपने इडली के भाव बढा दें तो उन्होंने मना कर दिया और कहा कि उनके ग्राहक बहुत गरीब हैं।