अध्यात्म

इस दिन से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष, पितरों के लिए 12 तरह से होते हैं श्राद्ध कर्म

भारत में एक नहीं बल्कि कई त्यौहार लगातार होते ही रहते हैं लेकिन पितृ पक्ष का समय बहुत ही अलग होता है। पितृ पक्ष उन लोगों के लिए होता है जिनके घर में किसी की मृत्यु हो जाती है और पितरों में उन्हें मिलवाने के लिए एक विशेष पूजा की जाती है। इस साल पितरपक्ष 13 सितंबर से शुरु हो रहा है और इसके लिए लोगों में तैयारियां भी शुरु हो चुकी हैं। इस दिन से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष, और आपने जो भी तैयारी की हो लेकिन क्या आप जानते हैं पितरों के श्राद्ध कर्म कैसे होतें हैं?

इस दिन से शुरु हो रहा है पितृ पक्ष

पितृ पक्ष शुक्ल चतुर्दशी से शुरु होकर अश्वनि पक्ष की अमावस्या तक होता है। इसमें पितरों का श्राद्ध किया जाता है और इस साल 13 सितंबर से पितृ पक्ष शुरु होकर 27 सितंबर तक बना रहेगा। पुराण में 12 तरह के अलग-अलग श्राद्ध बताए गए हैं। श्राद्ध के दौरान पितरों का तर्पण किया जाने लगेगा और ऐसी भी मान्यता है कि पितृ पक्ष में हमारे पूर्वज धरती पर आते हैं इसलिए इन दिनों उनकी सेवा का विधान बताया गया है। सभी के पितर अलग होते हैं ऐसे में उनका श्राद्ध भी अलग-अलग तरीके से होता है। हिंदू पुराण में कुल 12 तरह के श्राद्धों का वर्णन किया गया है जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए।

नित्य श्राद्ध- पितृ पक्ष के दौरान व्यक्ति को प्रतिदिन अन्न, जल, दूध और कुश से श्राद्ध करने से पितर भी खुश होते हैं।

नैमित्तिक श्राद्ध- यह श्राद्ध माता-पिता की मृत्यु के दिन किया जाता है जिसे एकोदिष्ट भी कहते हैं।

काम्य श्राद्ध- विशेष सिद्धि प्राप्ति के लिए यह श्राद्ध कराया जाता है।

वृद्धि श्राद्ध- सुख और सौभाग्य की कामना करने के लिए वृद्धि श्राद्ध करते हैं।

सपिंडन श्राद्ध- मृत लोगों के 12वें दिन यह श्राद्ध किया जाता है जिसे महिलाएं भी करती हैं।

पार्वण श्राद्ध- पर्व की तिथि को इस नाम का श्राद्ध किया जाता है।

गोष्ठी श्राद्ध- परिवार के सदस्य मिलकर जो श्राद्ध करते हैं उसे ही गोष्ठी श्राद्ध कहते हैं।

शुद्धयर्थ श्राद्ध- पितृ पक्ष में किया जाने वाला यह श्राद्ध परिवार को शुद्ध करता है।

कर्मांग श्राद्ध- कर्मांग श्राद्ध किसी संस्कार के मौके पर किए जाने वाले श्राद्ध को कहते हैं।.

तीर्थ श्राद्ध- जो श्राद्ध किसी तीर्थ के दौरान किया जाता है उन्हें तीर्थ श्राद्ध कहते हैं।

यात्रार्थ श्राद्ध- यात्रा की सफलता के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को पुष्टयर्थ श्राद्ध कहते हैं।

पुष्टयर्थ श्राद्ध- उन्नति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध को पुष्टयर्थ श्राद्ध कहते हैं।

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